पटना:राज्य में सांप्रदायिक दंगे, चुनावी, जातिगत और सामूहिक हिंसा के दौरान हुए संपत्ति नुकसान का राज्य सरकार द्वारा उचित मुआवजा देने के मामलें पर सुनवाई (Hearing In Patna High Court) की. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने आफताब आलम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव को अभ्यावेदन देने का निर्देश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को निष्पादित कर दिया.
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संपत्ति नुकसान के लिए 2.5 लाख:याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अलका वर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस तरह की हिंसा में संपत्ति की नुकसान होने पर राज्य सरकार ने अधिकतम मुआवजा की राशि मात्र ढाई लाख रुपये रखी है. राज्य सरकार ने 10 सितम्बर, 2013 को एक प्रस्ताव पारित कर ये निर्णय लिया. इस प्रकार की हिंसा में होने वाली संपत्ति की नुकसान की राशि काफी बड़ी होती हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा मुआवजा की अधिकतम राशि ढाई लाख रुपये रखा जाना अपर्याप्त हैं.
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'संपत्ति बचाना सरकार की जिम्मेदारी':उन्होंने कोर्ट को बताया कि नरीमन कमिटी के अनुशंसा के अनुसार इस तरह की हिंसा में संपत्ति के हुए नुकसान के आकलन के बाद उन्हें पूरी राशि दी जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस सम्बन्ध में स्पष्ट निर्देश 2009 में ही दिया जा चुका है. इस तरह की दंगे, हिंसा और संपत्ति की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी होती हैं. अगर सरकार द्वारा संपत्ति की रक्षा नहीं हो पाती है, तो प्रभावित पक्षों को पूरी राशि मुआवजा के रूप देना चाहिए, न खानापूर्ति होनी चाहिये.