पटना:बिहार में जाति आधारित गणनाको लेकर पिछले 2 सालों से जमकर सियासत हो रही है. पिछले साल जातीय गणना करने पर फैसला हुआ और कैबिनेट से 500 करोड़ की स्वीकृति भी दी गई. इस साल 7 जनवरी से पहले चरण की जातीय गणना शुरू हुई. पहले चरण की जातीय गणना समाप्ति के बाद 15 अप्रैल से जातीय गणना का दूसरे चरण का काम भी शुरू हो गया लेकिन पटना हाई कोर्ट से रोक के बाद जातीय गणना का काम पूरा नहीं हो सका.
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सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका:सरकार की ओर से यह कहा गया कि 80% के करीब काम हो गया है. पहले पटना हाई कोर्ट से बिहार सरकार को झटका लगा. सरकार जब सुप्रीम कोर्ट गई तो वहां से भी झटका लगा और अब पटना हाईकोर्ट के फैसले पर ही सब कुछ तय होगा.
जातीय जनगणना पर सहमति: 27 फरवरी 2020 को बिहार विधानसभा जाति आधारित गणना कराने का सर्वसम्मति प्रस्ताव पारित किया गया. 21 अगस्त 2021 को नीतीश कुमार 10 पार्टियों के नेता के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. 2 जून 2022 को जाति आधारित गणना के लिए सर्वदलीय बैठक हुई. जाति आधारित गणना करने की सहमति बनी.
कैबिनेट ने 2 जून को दी मंजूरी:2 जून 2022 कैबिनेट में जातीय गणना कराने की स्वीकृति मिली. 500 करोड़ खर्च करने की व्यवस्था की गई थी. वहीं 9 जून 2022 को बिहार सरकार की तरफ से जातीय गणना कराने की अधिसूचना जारी हुई थी. 1 मार्च तक ही जातीय गणना कराने का लिया गया था फैसला लेकिन ऐप तैयार नहीं होने के कारण 15 मई तक तिथि बढ़ाई गई.
21 जनवरी को पहले चरण का काम पूरा: 7 जनवरी 2023 से शुरू होकर 21 जनवरी 2023 को पहले चरण का जातीय गणना का कार्य समाप्त हुआ. 15 अप्रैल से दूसरे चरण का जातीय गणना शुरू हुई और 15 मई को समाप्त होना था लेकिन 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना रोकने का अंतरिम आदेश दिया. 3 जुलाई को फिर से सुनवाई की तिथि तय की.
हाईकोर्ट से झटका के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील:5 मई को बिहार सरकार की ओर से जल्द सुनवाई की याचिका दायर की गई. कोर्ट ने 9 मई को सुनवाई की तिथि तय की. वहीं 9 मई को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका को खारिज कर दिया. जिसके बाद 10 मई को बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली गई.
आज पटना हाईकोर्ट में होगी सुनवाई: 17 मई को जस्टिस संजय करोल के जातीय गणना सुनवाई से अलग होने के कारण 18 मई को सुनवाई की तिथि तय की गई. 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कोई राहत नहीं दी और पटना हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया. अब 3 जुलाई यानी आज पटना हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.
विकास के लिए जातीय गणना:बिहार सरकार ने जातीय गणना करने का फैसला तब लिया, जब केंद्र सरकार ने इसे कराने से मना कर दिया था लेकिन अब मामला कोर्ट में फंस गया है. नीतीश सरकार जातीय गणना के पीछे तर्क देती रही है कि इससे समाज के पिछड़े और गरीब तबकों का आंकड़ा प्राप्त होगा और उनके विकास के लिए योजना बना सकेंगे लेकिन बीजेपी की तरफ से ही कहा जाता रहा है कि इससे लाभ नहीं नुकसान होगा और नीतीश कुमार जाति के बहाने सियासत करेंगे.