पटनाः बिहार के पटना हाइकोर्ट में पिछले दो दशकों से राज्य के विभिन्न निचली अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मुकदमों के मामलें पर आज सुनवाई अधूरी रही. एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ कौशिक रंजन की जनहित याचिका पर सुनवाई की. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (बालसा) के सचिव को नेशनल जुडिशल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के उपलब्ध आंकड़े को मूल रिकॉर्ड से जांच करने का निर्देश दिया था.
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सात लाख आपराधिक मामले लंबित: याचिकाकर्ता कौशिक रंजन की अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बड़ी तादाद में आपराधिक मामले लंबित पड़े हैं. उन्होंने बताया कि लगभग 67 हजार मामले ऐसे हैं, जिनमें पार्टियां कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार व विभिन्न जिला विधिक सेवा प्राधिकार को ऐसे मामलों को चिन्हित कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि सहायता के अभाव में वकीलों के लगभग सात लाख आपराधिक मामले लंबित है.
जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश : कोर्ट ने इस सम्बन्ध में बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार को आंकड़े की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि इन मामलों में वकीलों की सहायता दिए जाने को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए था. अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि बहुत सारे मामलें काफी पुराने है, जिनमें अधिकांश सन्दर्भहीन हो चुके है. तीस चालीस साल पुराने मामलों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है.
कोर्ट के सामने पेश किया गया आंकड़ाः याचिकाकर्ता के वकील शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि ये आंकड़े नेशनल जुडिशल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से मिले है. इन्ही आंकड़ों को कोर्ट के सामने पेश किया गया. कोर्ट को यह भी बताया गया इतने पुराने लंबित मामले में आरोपी और परिवादी दोनों की जीवित रहने पर संदेह है, ऐसी स्थिति में या नहीं तो बेकार और कानूनी तौर पर औचित्य पड़े अपराधिक मामले को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए. इस मामलें पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी.