पटना: गर्मी के मौसम में जब तापमान में बढ़ोतरी होती है, तब प्रदेश में अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) के मामले बढ़ने लगते हैं. बीते वर्षों में जिस प्रकार से मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार(Chamki Bukhar in Muzaffarpur) की वजह से कई बच्चों की जानें गई हैं, इसकी रोकथाम और उचित इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) ने बताया कि बीमारी के खतरे की संभावनाओं को देखते हुए स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सकों को विशेषज्ञों द्वारा उचित मार्गदर्शन दिया जा रहा है. स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि किस प्रकार से एईएस के मामले को हैंडल करना है.
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चमकी से निपटने के लिए तैयारी: रविवार को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने जानकारी दी कि हर साल गर्मी के मौसम में प्रदेश में कई बच्चे एईएस की चपेट में आ जाते हैं. इस को देखते हुए विभाग की ओर से बीते महीने 14 और 15 मार्च को इसके नियंत्रण को लेकर चिकित्सा पदाधिकारियों और पैरामेडिकल स्टाफ का एक प्रशिक्षण पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में आयोजित किया गया. इन चिकित्सकों को बीमारी से लड़ने के लगातार कोशिश हो रही है. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें इस बात की जानकारी मुहैया करवाई गई कि इस बीमारी की रोकथाम कैसे करें. साथ ही बीमारी की चपेट में आए बच्चों की जान बचाने के लिए किन त्वरित उपायों को अपनाना चाहिए. देर हो तो जान के नुकसान की संभावना बढ़ जाती है और इस बीमारी की चपेट में आने वाले ज्यादातर छोटे उम्र के बच्चे होते हैं.
'बच्चों का रखें विशेष ख्याल': स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान बच्चों को बचाया गया कि किन परिस्थितियों में बच्चों को बड़े अस्पतालों में रेफर करना है और किस प्रकार उनका प्रारंभिक उपचार हो और उनके सैंपल की तुरंत जांच की जाए. यदि बदन में गर्मी ज्यादा है तो कैसे कम किया जाए और तापमान नियंत्रण कैसे किया जाता है. किन-किन परिस्थितियों में क्या-क्या बेहतर उपाय हो सकते हैं, इसकी जानकारी दी गई है और अब प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले चिकित्सक अपने जिले में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं.
बेहतर उपचार की जानकारी: मंगल पांडे ने कहा कि एईएस के नियंत्रण को लेकर राज्य के सभी 38 जिलों से 2-2 चिकित्सकों और 2-2 पारा मेडिकल स्टाफ को दो चरणों में मास्टर टीओटी का प्रशिक्षण दिया गया है. यह सभी अपने-अपने जिलों में स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सा पदाधिकारियों को बीमारी के बेहतर उपचार की जानकारी प्रदान कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि एईएस की चपेट में आए बच्चों को समय पर समुचित इलाज मिले और इससे होने वाले नुकसान को कम से कम किया जा सके.
चमकी बुखार के लक्षण : इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम को आम भाषा में दिमागी बुखार कहा जाता है. इसकी वजह वायरस को माना जाता है. इस वायरस का नाम इंसेफेलाइटिस वाइरस है. इसे अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) यानी एईएस (AES) भी कहा जाता है. एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है. अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है. इस बीमारी के सामान्य लक्षण होते हैं. गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं. साथ ही बच्चे के मुंह में झाग निकलना और उसको झटका लगना. अगर बच्चों को सास लेने में दिक्कत हो या दांत बंद हो जाए. तो तुरंत उसे अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.
इन बातों का रखें ध्यान :बच्चों को गंदे पानी के संपर्क में न आने दें. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें. तेज धूप में बच्चों को बाहर नहीं निकलने दें. बच्चे में चमकी व तेज बुखार होते ही नजदीकी पीएचसी लेकर पहुंचे. अपने मन से और गांव के कथित डॉक्टरों से इलाज नहीं कराएं. पीएचसी, आशा, सेविका को जानकारी देने पर एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी. एम्बुलेंस से बच्चे को एसकेएमीएच में इलाज के लिए लाने में कोई परेशानी नहीं होगी. चमकी व तेज बुखार बीमारी है यह देवता व भूत प्रेत का लक्षण नहीं है. ओझा से झाड़फूंक करवाने की जगह सरकारी अस्पताल लेकर बच्चे को जाएं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी न होने दें. बच्चों को सिर्फ हेल्दी फूड ही दें. रात को खाना खाने के बाद मीठा जरूर दें. बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर बार तरल पदार्थ देते रहें, ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.
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