पटना(मसौढ़ी): एक तरफ तो राज्य सरकार 'जल जीवन हरियाली' के तहत सूबे में पौधरोपण को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक करने मे जुटी है, वहीं दूसरी तरफ राजधानी के ग्रामीण इलाकों में लोग हरे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं. इन पेड़ों में पीपल भी शामिल है, जिसे पर्यावरण का सबसे अच्छा मित्र माना जाता है.
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ठेंगे पर कानून!
मसौढ़ी में कई जगहों पर हरे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई हो रही है. इन हरे पेड़ों की कटाई गैरकानूनी तरीके से हो रही है. वन अधिनियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए पीपल समेत अन्य पेड़ों की कटाई की जा रही है. वन विभाग से लेकर स्थानीय प्रशासन तक, कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहा है.
पर्यावरण पर खतरा
हम सब जानते हैं कि पीपल हो या अन्य पेड़, सभी पर्यावरण के लिए जरूरी हैं. इसके बावजूद मसौढ़ी अनुमंडल के मसौढ़ी, धनरूआऔर पुनपुन में कई जगहों पर हरे वृक्षों की कटाई चल रही है. जाहिर है इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है.
कार्रवाई का दावा
पटना वन प्रमंडल के वन पदाधिकारी पुरूषोत्तम सिंह की मानें तो वैसे लोग, जो हरे वृक्षों की कटाई करते पकड़े जाएंगे उन पर कठोर कारवाई की जाएगी. साथ ही अगर कोई निजी जमीन पर भी हरे वृक्ष की कटाई कर रहा है तो उसके लिए भी वन विभाग से परमिट लेनी होगी.
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पीपल पर्यावरण का मित्र
पीपल के पेड़ को हवा को शुद्ध करने वाला सबसे अहम वृक्ष माना गया है. पीपल एक ऐसा वृक्ष है जो सूर्य के ताप को रोक लेता है. इसके पेड़ पर लगने वाला फल पिपरी को सुखाकर कई प्रकार की दवाओं में प्रयोग किया जाता है. यह सांस, जुकाम, कब्ज, त्वचा, दांत और घाव ठीक करने में असरदार साबित होता है
पीपल की पूजा का महत्व
पद्मपुराण के अनुसार पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु का रुप है. इसलिए इसे धार्मिक क्षेत्र में श्रेष्ठ देव वृक्ष की पदवी मिली और इसका विधि विधान से पूजन आरंभ हुआ. माना जाता है कि पीपल की जड़ में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सब देवताओं से युक्त अच्युत सदा निवास करते हैं.