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तीनों वाम दल मिलकर लड़ेंगे बिहार विधानसभा चुनाव: हनन मोल्ला

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Published : Sep 9, 2020, 10:00 PM IST

हनन मोल्ला ने बताया कि इसका एक बड़ा कारण वामपंथी दलों की आपस की तकरार थी. जिसके कारण अलग अलग चुनाव लड़ते थे और उसका फायदा भाजपा को होता था. अब तीनों पार्टिया. साथ चुनाव लड़ेंगी और नतीजे बेहतर आएंगे.

Hanan Molla
Hanan Molla

नई दिल्ली:बिहार विधानसभा चुनाव में तीन प्रमुख वामपंथी दल सीपीएम, सीपीआई और सीपीआईएम(एल) मिल कर चुनाव लड़ेंगे. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार प्रभारी हनन मोल्ला ने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन का हिस्सा बनने को तैयार है.

उन्होंने कहा कि तीनों वामपंथी दलों ने यह निर्णय किया है कि एक दूसरे के खिलाफ लड़ने की बजाय इस बार बिहार में मिल कर चुनाव लड़ेंगे. हनन मोल्ला ने आगे बताया कि राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव से इस संबंध में उनकी बातचीत भी हुई थी. इसके बाद उन्हें कहा गया कि जिन सीटों पर वाम दल चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनकी सूची भेजें. सीपीएम ने 17, सीपीआई ने 25 और सीपीआईएम(एल) ने 26 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा महागठबंधन के सामने रखी है और सीटों की सूची भी भेज दी गई है.

हनन मोल्ला से खास बातचीत

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लेफ्ट पार्टियों को 30 सीटें दी जा सकती है. लेकिन सीपीएम नेता ने इस पर कहा कि अभी यह तय नहीं हुआ है और सीटों की संख्या पर 11 तारीख के बाद कुछ स्पष्ट हो सकता है.

क्या कहते हैं हनन मोल्ला
हनन मोल्ला ने कहा कि वामपंथी पार्टियां हमेशा मुद्दों पर चुनाव लड़ती आई हैं और इस बार भी मुद्दों पर ही चुनाव में लड़ेंगी. उन्होंने कहा 'बिहार में बेरोजगारी, बाढ़, शिक्षा और स्वास्थ्य बड़े मुद्दे हैं और जनता नीतीश सरकार से त्रस्त है. नीतीश कुमार ने जो भी वादे जनता से किए वह पूरे नहीं कर पाए हैं और इस बार बिहार में बदलाव होगा. नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा कार्ड खेल कर पिछले चुनाव में जनता के साथ धोखा किया. लेकिन इस बार उनकी यह चाल काम नहीं करेगी'.

गौरतलब है कि वामपंथी दलों का बिहार में अपना एक जनाधार लंबे समय से रहा है और उनका संगठन भी सभी स्तर पर सक्रिय है. लेकिन इसके बावजूद चुनाव में वामपंथी दलों को खास कामयाबी नहीं मिल पाती है. हनन मोल्ला ने बताया कि इसका एक बड़ा कारण वामपंथी दलों की आपस की तकरार थी. जिसके कारण अलग अलग चुनाव लड़ते थे और उसका फायदा भाजपा को होता था. अब तीनों पार्टिया. साथ चुनाव लड़ेंगी और नतीजे बेहतर आएंगे.

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