बिहार

bihar

ETV Bharat / state

बिहार में दलितों पर सियासत, जीतन राम मांझी की चुप्पी पर विपक्ष कस रहा तंज

बिहार में दलितों को लेकर सियासत तेज हो गई है. ऐसे में खुद को दलितों का नेता कहने वाले जीतन राम मांझी ने चुप्पी साध रखी है. जिसको लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है.

ham leader jitan ram manjhi
ham leader jitan ram manjhi

By

Published : Jun 7, 2021, 8:03 PM IST

पटना:बिहार में पिछले दिनों पूर्णिया में दलितों पर हमला किया गया. उनके घर जला दिए गए. प्रशासन की तरफ से इस मामले में कार्रवाई भी हुई. कई की गिरफ्तारी हो चुकी है. लेकिन इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं और पूरे मामले में पूर्व सीएम और दलितों के नाम पर सियासत करने वाले जीतन राम मांझी ने लगातार चुप्पी साध रखी है.

ये भी पढ़ें:जीतन राम मांझी की 'नई डिमांड' - डबंल इंजन की सरकार में मिले विशेष राज्य का दर्जा

दलितों को रिझाने की कोशिश
विपक्ष भी इसको लेकर सवाल खड़ा कर रहा है. वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इस मामले को उठाकर दलितों को रिझाने की कोशिश शुरू कर दी है. कार्रवाई को लेकर सरकार पर सवाल भी खड़ा किया है.

दलितों पर लगातार हमले
बिहार में दलितों के नाम पर खूब सियासत होती रही है. 243 सीटों में से 40 सीटें एससी-एसटी के लिए रिजर्व है. जीतन राम मांझी और रामविलास पासवान ने दलितों के नाम पर राजनीति की है. अब राम विलास पासवान के बेटे ने मोर्चा संभाला है. लेकिन ताज्जुब की बात है कि बिहार में इन दिनों दलितों पर लगातार हमले हो रहे हैं. लेकिन न तो जीतन राम मांझी ने सवाल उठाया है और ना ही चिराग पासवान ने.

पुलिस के रवैए पर नाराजगी
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने पूरे मामले को उठाते हुए चिंता जताई और पुलिस के रवैए पर भी अपनी नाराजगी जताई है. जीतन राम मांझी की चुप्पी और बीजेपी अध्यक्ष के रवैये पर विपक्ष भी तंज कसने लगा है.


दलितों की राजनीति करने वाले जीतन राम मांझी की चुप्पी पर उनके पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव का कहना है कि पूरे मामले पर हमारे नेता की नजर है. पटना आते ही अपनी बात रखेंगे.

हम प्रवक्ता विजय यादव

"नीतीश सरकार में किसी के साथ उपेक्षा नहीं हो सकती है. बिहार में दलितों का अच्छा खासा वोट बैंक है. ऐसे में जो घटना हो रही है, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष उसके बहाने, जहां एक खास वर्ग पर निशाना भी साध रहे हैं. तो वहीं दलितों को रिझाने की कोशिश भी कर हैं"- विजय यादव, प्रवक्ता, हम

देखें रिपोर्ट

"सरकार में हम बड़े भागीदार हैं. इसलिए पार्टी की जिम्मेवारी अधिक है और सरकार के संज्ञान में चीजों को हमारे प्रदेश अध्यक्ष ला रहे हैं. जिससे किसी के प्रति कोई अन्याय ना हो सके"- विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता

देखें वीडियो
दलितों के नाम पर सियासतबिहार में फिलहाल तो कोई चुनाव नहीं है. लेकिन दलित वोट बैंक सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण रहा है. लोजपा और हम और बसपा जैसी पार्टियां दलितों के नाम पर ही सियासत करते रहे हैं. नीतीश कुमार ने वोट के लिये ही दलितों को महा दलित में पहले बांटा. लेकिन हाल में दलितों पर हो रहे हमले पर दलितों की राजनीति करने वाले जीतन राम मांझी और अन्य नेताओं की चुप्पी कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें:...तो इस वजह से बिहार को नहीं दिया जा सकता विशेष राज्य का दर्जा

एससी-एसटी के लिए सुरक्षित
बिहार में दलित वोट बैंक की बात करें तो 243 सीटों में से 40 सीट एससी-एसटी के लिए सुरक्षित है और इस पर सभी की नजर रहती है. सही है फिलहाल तो कोई चुनाव नहीं है. लेकिन पिछले चुनाव को देखें तो, बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी का एक तरह से एससी-एसटी सीटों पर दबदबा रहा है. यह भी एक बड़ा कारण है कि बीजेपी इस मौके को छोड़ना नहीं चाह रही है.

भाजपा को मिली थी 20 सीट
साल 2010 की बात करें तो भाजपा ने 20 सीटों पर कब्जा जमाया था और जदयू ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. आरजेडी को भी एक सीट मिली थी. साल 2015 में बीजेपी ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया था. तो जदयू ने 11, आरजेडी ने 15 सीटों पर और कांग्रेस को 5 सीट पर जीत मिली थी. सीपीआईएमएल, बीएसपी, हम और इंडिपेंडेंट को एक-एक सीट मिली थी.

दलितों का वोट बैंक
साल 2020 में जदयू को 8, बीजेपी के 11, हम को 3, वीआईपी को एक, राजद को आठ, कांग्रेस को 5, माले को 3 और सीपीआई को 1 सीट मिली है. बिहार में 14% के आसपास दलितों का वोट बैंक हैं. लेकिन जीतन राम मांझी 17% बताते रहे हैं और खुद को दलितों के सबसे बड़े नेता होने की बात भी करते रहे हैं. फिलहाल दलितों पर हो रहे हमले पर भी चुप्पी साध रखी है. यह नीतीश सरकार को बचाने की कोशिश है या और कुछ यह देखने वाली बात है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details