पटना:बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने कहा है कि अभी उन्होंने राजनीति में आने के बारे में कोई फैसला नहीं किया है. बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गुप्तेश्वर पांडेय ने मंगलवार को अचानक वीआरएस ले लिया. वे अगले साल फरवरी में रिटायर होने वाले थे.
उन्होंने कहा कि, मैं आज की तारीख में डीजीपी नहीं हूं. मैंने न कोई राजनीतिक पार्टी ज्वॉइन की है न ही मैं अभी कोई कोई राजनेता हूं. उन्होंने कहा कि, जब कोई राजनीतिक पार्टी ज्वॉइन करुंगा तो आप सबको बताकर ज्वॉइन करुंगा.
गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि, सोसायटी में काम करने का तरीका केवल राजनीति ज्वॉइन करना नहीं है. बिना राजनीति ज्वॉइन किए हुए भी समाज में सेवा की जा सकती है. साथ ही उन्होंने कहा कि, मैं जब यह तय करुंगा की राजनीति में जाना है और तय पार्टी के बारे में सोचूंगा तो आप सब को बता दूंगा.
'2 महीने से मेरा जीना मुश्किल था'
बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया है. बिहार सरकार के पुलिस महानिदेशक भारतीय पुलिस सेवा के 1987 बैच के अधिकारी पांडेय ने इससे पहले वीआरएस का आवेदन दिया था, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया. वीआरएस के बाद उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि मैंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्कीम ले लिया है. यह मेरा अधिकार है. 2 महीने से मेरा जीना मुश्किल था. हर रोज इस्तीफे को लेकर फोन आ रहे थे. लोग खबर चला रहे थे.
'गुप्तेश्वर पांडे डीजीपी नहीं है, मैं स्वतंत्र हूं'
गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि मैंने 34 साल की सेवा अवधि पूरी की है. इस अवधि में किसी भी दल का कोई नेता या पार्टी मुझ पर पूर्वाग्रह का आरोप नहीं लगा सकता है. आज तक किसी ने मेरी निष्पक्षता पर उंगली नहीं उठाई है. मैंने सभी का काम किया है. किसी अपराधी के साथ कोई समझौता नहीं किया. सब पर कहर बनकर टूटा हूं. 50 से अधिक मुठभेड़ की है. मुझे कोई नहीं कह सकता कि मैंने किसी निर्दोष के साथ कुछ गलत किया हो. आज की तिथि में गुप्तेश्वर पांडे डीजीपी नहीं है. मैं स्वतंत्र हूं. लाखों लोग मेरे पास आ रहे हैं. मैं उनसे बात करूंगा, तब कुछ कहूंगा. मैंने पॉलीटिकल पार्टी अभी ज्वॉइन नहीं की है. बक्सर, बेगूसराय और बगहा हर जगह से लोग मेरे पास आ रहे हैं.
सुशांत केस से मेरा कोई निजी संबंध नही- डीजीपी
गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि मैंने 34 साल तक के ईमानदारी से अपनी ड्यूटी की है. सुशांत कि केस मेरे से कोई लेना-देना नहीं है. सुशांत के साथ जो मुंबई में हुआ. यहां उसका बुजुर्ग निराश बाप ने हमसे न्याय की गुहार लगाई थी हमने उनका काम किया. मेरे अनुशंसा पर बिहार सरकार ने सीबीआई जांच की अनुशंसा की. इस पर बहुत हंगामा भी हुआ. मेरे अधिकारी के साथ गलत हुआ. इस बात को खुद सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है. मैंने जो किया डीजीपी के हिसाब से किया. बहुत लोग सुशांत के केस से मुझे जोड़ कर देख रहे थे. मेरे घर में कोई कलेक्टर जज नहीं था. मेरे परिवार के लोग अनपढ़ थे. मैंने झोला और बोरा लेकर दूसरे गांव जाकर अपना पढ़ाई कंप्लीट किया है. मैंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है. मैंने गरीब की परिभाषा जानी जब भुइया के घर गया और वहां पर रहकर खाना खाया करता था.