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Patna News: 'हिंदू समाज में जाति संस्कृति नहीं.. विकृति', राज्यपाल ने शिक्षा मंत्री को दिखाना आईना

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के मौके पर पहुंचे राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) ने फिर शिक्षामंत्री चंद्रशेखर के हिंदू धर्म को लेकर की गई टिप्पणी का जवाब देते हुए उन्हें एक तरह से आईना दिखाया. राज्यपाल ने कहा कि हिंदू धर्म में जातीय व्यवस्था संस्कृति नहीं विकृति है और संस्कृति और विकृति के अंतर को समझना होगा. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Mar 19, 2023, 5:09 PM IST

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय स्थापना दिवस समारोह में राज्यपाल ने शिक्षा मंत्री के बयान का दिया जवाब

पटना:बिहार की राजधानी पटना में रविवार को एएन कॉलेज सभागार में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के पांचवें स्थापना दिवस के मौके पर पहला स्थापना दिवस समारोह (Patliputra University foundation day celebrations ) आयोजित किया गया. क्योंकि 2018 में स्थापना के बाद से एक भी कार्यक्रम नहीं हो सका था. इस बार पहला स्थापना दिवस मनाया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर और विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रदेश के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखरमौजूद रहे. राज्यपाल ने कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री के बयान से उलट उन्हें आइना दिखाते हुए कहा कि हिंदू संस्कृति समृद्ध संस्कृति रही है, लेकिन इसमें जातीय व्यस्था जैसी विकृति आ गई है. इसे समझना होगा कि क्या संस्कृति और क्या विकृति.

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राज्यपाल ने शिक्षा मंत्री को दिखाया आईनाः दरअसल, इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री ने एक बार फिर से हिंदू धर्म में जाति की संस्कृति पर टिप्पणी की और इसे देश की प्रगति में बाधक बताया. इस पर अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने शिक्षा मंत्री को आईना दिखाते हुए कहा कि हिंदू संस्कृति समृद्ध संस्कृति रही है और कुछ विकृतियां आ गई है जैसे जातीय व्यवस्था लेकिन समझना होगा संस्कृति और विकृति में अंतर होता है.

हिंदू धर्म में जातीय व्यवस्था को शिक्षा मंत्री ने बताया संस्कृति: शिक्षा मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि सभी व्यक्ति जाति धर्म से ऊपर उठकर अपने कार्य में अपना शत प्रतिशत योगदान करें. तब ही हमारा देश जो कभी विश्व गुरु हुआ करता था, वह गुरु एक बार फिर से बन सकता है. उन्होंने कहा कि आज हमारे देश को विश्व गुरु बनने में जो सबसे बड़ी बाधक है. वह हमारी जाति व्यवस्था है. हिंदू धर्म में जाति की जो संस्कृति है वह देश के प्रगति में बाधक है. दुनिया में कहीं भी जात पात की संस्कृति नहीं है.

"सभी व्यक्ति जाति धर्म से ऊपर उठकर अपने कार्य में अपना शत प्रतिशत योगदान करें. तब ही हमारा देश जो कभी विश्व गुरु हुआ करता था, वह गुरु एक बार फिर से बन सकता है. आज हमारे देश को विश्व गुरु बनने में जो सबसे बड़ी बाधक है. वह हमारी जाति व्यवस्था है. हिंदू धर्म में जाति की जो संस्कृति है वह देश के प्रगति में बाधक है. दुनिया में कहीं भी जात पात की संस्कृति नहीं है" -चंद्रशेखर, शिक्षा मंत्री

'फिजी और माॅरीशस में भी हिंदूओं के कारण है जातीय व्यवस्था':चंद्रशेखर ने आगे कहा कि जो देश भारत से टूटकर अलग हुए हैं, जैसे फिजी और मॉरीशस, वहां हमारे देश के ही हिंदू लोग गए हैं. वहीं पर जाति की संस्कृति देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि वह सचिवालय में जातियों के कारण संचिकाओं को रुकते हुए देखे हैं और आज भी जाति व्यवस्था से काफी लोग पीड़ित हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा कि वह युवाओं और सभी प्रबुद्ध लोगों से अपील करेंगे कि जात-पात से ऊपर उठकर कार्य करें तभी देश आगे बढ़ेगा और महान बनेगा.

राज्यपाल ने जातीय व्यवस्था को संस्कृति नहीं विकृति बतायाः वहीं अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा मंत्री ने जाति की संस्कृति पर बात कही है. इस पर वह अधिक नहीं कहेंगे, क्योंकि यह कार्यक्रम शिक्षा के विषय पर है. लेकिन इतना जरूर कहेंगे कि हमारी संस्कृति काफी समृद्ध संस्कृति रही है और हिंदू संस्कृति एक समृद्ध संस्कृति है. समय के साथ-साथ हमारी संस्कृति में कुछ विकृति आ गई है. इनमें से एक जाति व्यवस्था भी है. इसलिएहमें यह समझना होगा कि संस्कृति और विकृति में अंतर है और इन विकृतियों को दूर करने के लिए पहल करनी होगी.

किसी भी धर्म का ईमानदारी से पालन करना ही हिंदू संस्कृतिः राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम की है. राज्यपाल ने स्वामी विवेकानंद के अमेरिका यात्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि एक बार स्वामी विवेकानंद से लोगों ने पूछा हिंदू संस्कृति बेहतर है तो हम भी हिंदू संस्कृति को अपना लेते हैं. इसके बाद स्वामी विवेकानंद ने उत्तर दिया कि आप जिस धर्म में है उसी का ईमानदारी से पालन करें यही हिंदू संस्कृति है.

"हमारी संस्कृति काफी समृद्ध संस्कृति रही है और हिंदू संस्कृति एक समृद्ध संस्कृति है. समय के साथ-साथ हमारी संस्कृति में कुछ विकृति आ गई है. इनमें से एक जाति व्यवस्था भी है. इसलिए हमें यह समझना होगा कि संस्कृति और विकृति में अंतर है और इन विकृतियों को दूर करने के लिए पहल करनी होगी" -राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, राज्यपाल


वीसी ने राजभवन में एक कार्यक्रम कराने का किया आग्रह: पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस के मौके पर राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय के ललित कला में अव्वल विद्यार्थियों को सम्मानित करना उनके लिए एक सुखद अनुभव है और यह अच्छा लग रहा है कि विश्वविद्यालय ललित कला को भी आगे बढ़ा रहा है. उन्होंने पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति आरके सिंह से कहा कि वह उन्हें निमंत्रण देते हैं कि विश्वविद्यालय के ललित कला में अच्छा करने वाली जो भी छात्र-छात्राएं हैं जो अच्छे गजल गाते हैं.अच्छे गीत गाते हैं लोक संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं उनका प्रोग्राम एक राजभवन में कराएं.

राज्यपाल ने राजनेताओं को लेकर की मजाकिया टिप्पणीः राज्यपाल ने राजनेताओं को लेकर एक मजाकिया टिप्पणी की, जिसके बाद पूरा सभागार ठहाकों से गूंज उठा. उन्होंने हिमाचल प्रदेश के अपने एक किस्से को याद करते हुए बताया कि उनके साथ एक एक एडीसी थे जो आईपीएस होते हैं. राज्यपाल ने कहा कि एक कार्यक्रम में जाने के दौरान एडीसी ने उनसे पूछा कि एक सवाल पूछूं जिसके बाद वह चौंक गए कि कहीं कुछ कठिन सवाल ना पूछ दें, लेकिन फिर भी उन्होंने कहा कि पूछिए. एडीसी ने उनसे पूछा कि एक अच्छा राजनेता कैसे बनते हैं. वह आश्चर्यचकित हो गए कि राजनेता भी कोई अच्छा होता है क्या, राज्यपाल के इतना कहना था पूरा सभागार ठहाकों और तालियों से गूंज उठा.

'अच्छा राजनेता बनने से पहले अच्छा इंसान बनें': राज्यपाल ने तुरंत मंचासीन शिक्षा मंत्री से मजाकिया अंदाज में ही इसके लिए माफी मांगी और कहा कि उन्होंने 2 मिनट ठहर कर अपने एडीसी को जवाब दिया कि राजनेता कोई भी अच्छा नहीं होता है, कोई भी अच्छा वकील नहीं होता है, कोई भी अच्छा पुलिस वाला नहीं होता है, कोई भी अच्छा चार्टर्ड अकाउंटेंट नहीं होता है. उन्होंने कहा कि इंसान अच्छा होता है और अच्छा बनने के लिए जरूरी है कि एक अच्छा इंसान बने और जो अच्छा इंसान बनेगा जिसके विचार उच्च रहेंगे, वह चाहे राजनेता हो पुलिसवाला हो या कोई अन्य पद पर हो वह अच्छा रहेगा. जो अच्छा इंसान बनेगा वही अच्छा राजनेता बनेगा.



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