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गर्मी में जल संकट से निपटने के लिए सरकार सतर्क, चापाकल की जियो टैगिंग के जरिए होगी मॉनिटरिंग

जमीनी स्तर पर चापाकल की वास्तविक स्थित जानने के लिए सरकार ने साढ़े सात लाख चापाकलों का जियो टैगिंग कराया है. चापाकल की रिपेयरिंग के बाद पूरी जानकारी विभाग के पोर्टल पर डाला जायेगा.

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विनोद नारायण झा

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Published : Feb 20, 2020, 3:25 PM IST

पटनाः पिछले साल गर्मी के मौसम में भीषण जल संकट की स्थिति उत्पन्न हुई थी. राज्य के नदी, तालाब और चापाकल तक सूख गए थे. सरकार को कई जगहों पर टैंकर भेजने पड़े थे. लेकिन इस बार समय रहते सरकार ने एहतियात के तौर पर कई कदम उठाए हैं. पीएचईडी मंत्री के मुताबिक हर घर नल का जल के अलावा चापाकल से पानी लोगों तक पहुंचेगा. इसके लिए सरकार ने सात लाख चापाकलों का जियो टैगिंग कराया है.

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की व्यवस्था के लिए साढ़े नौ लाख चापाकल बनाये हैं. प्रशासनिक अधिकारी कागजों पर चापाकल को सही स्थिति में बता देते हैं. लेकिन वास्तव में चापाकल चालू अवस्था में नहीं रहते हैं. इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने सात लाख चापाकलों का जियो टैगिंग करवाया है.

देखिए रिपोर्ट

विभाग के पोर्टल पर पूरी जानकारी
लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण(पीएचईडी) मंत्री विनोद नारायण झा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान इसकी पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पीएचईडी विभाग ने लगभग साढ़े 7 लाख चापाकलों का जियो टैगिंग करवाया गया है. मरम्मत संबंधी सारी जानकारी कार्यपालक अभियंता विभाग के पोर्टल पर देंगे. आंकड़ों को 7 दिन के भीतर प्रविष्ट करना होगा. वहीं, मरम्मत किए गए चापाकल की यूनिक आईडी खुद बन जाएगी जिस पर खर्च संबंधी वाउचर भी अंकित किए जा सकेंगे.

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