पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण(Corona virus) की दूसरे लहर में काफी संख्या में लोग पॉजिटिव हुए इनमें से करीब 15% ऐसे मरीज रहे जिनकी एंटीजन और आरटीपीसीआर (RT-PCR) रिपोर्ट नेगेटिव थी, लेकिन एचआरसीटी चेस्ट स्कैन कराने पर वायरस की पुष्टि हुई. ऐसे में जिन मरीजों की जांच रिपोर्ट एचआरसीटी (High resolution computed tomography) में पॉजिटिव आयी. उनका चिकित्सकों ने कोरोना गाइडलाइंस के तहत इलाज किया और काफी संख्या में मरीज ठीक भी हुए मगर कई मरीजों की जान भी गई.
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HR-CT में कोरोना संक्रमण की पुष्टि..लेकिन
अब ऐसे में राज्य सरकार द्वारा कोरोना से मृत व्यक्ति के परिजनों को जो सहायता राशि देती है. उससे ऐसे संक्रमित मरीजों के परिजन वंचित हो जा रहे हैं. जिनका एचआरसीटी में रिपोर्ट पॉजिटिव है, लेकिन सरकार कोरोना के लिए एचआरसीटी जांच को मान्य नहीं मानती है. पटना के कंकड़बाग के रहने वाले शंभू शरण सहाय को अप्रैल महीने में सर्दी खांसी के साथ बुखार की शिकायत हुई. परिजनों ने दो बार एंटीजन किट से और एक बार RT-PCR टेस्ट कराया, मगर रिपोर्ट नेगेटिव आई. वहीं तबीयत में सुधार नहीं आई और स्थिति बिगड़ने लगी तब चेस्ट का सिटी स्कैन कराने पर रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण का पता चला. तब तक शंभू शरण का फेफड़ा 80% तक खराब हो गया था. जिसके बाद इलाज के दौरान अप्रैल में अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
सरकारी अनुदान को लेकर परेशानी
वहीं शंभू शरण सहाय का इलाज अस्पताल में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हुआ. अब उनके परिजन उनकी मौत को प्रदेश में कोरोना से मृतकों की सूची में दर्ज कराने के लिए परेशान हैं. इस प्रकार के पटना में कई ऐसे मामले सामने आए हैं. वहीं इस तरह के मामले पर पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि एंटीजन किट की सटीकता 45 से 50 फ़ीसदी रहती है. आरटी पीसीआर किट जिसे गोल्ड स्टैंडर्ड भी माना जाता है उसकी सटीकता लगभग 70% से 80% तक के बीच रहती है.
'कई केसेज में ये भी देखने को मिला है कि आरटीपीसीआर रिपोर्ट फॉल्स नेगेटिव है. ऐसे केसेज के लिए हाई रेजोल्यूशन चेस्ट एक्स-रे करना यानी कि एचआरसीटी में डिटेक्ट होता है कि लंग्स में कोविड-19 के इंफेक्शन के पैटर्न हैं. ऐसे में उसके आधार पर सीटी वैल्यू तय की जाती है कि इंफेक्शन का लंग्स पर कितना इंवॉल्वमेंट रहा है.':- डॉ. दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
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कई देशों में HR-CT टेस्ट को मान्यता
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि चीन में और अन्य कई देशों में भी कोरोना जांच के तौर पर एचआरसीटी की मान्यता है. आईसीएमआर ने भी कहा है कि एचआरसीटी में अगर वायरस के इंफेक्शन का पैटर्न नजर आते हैं तो कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत मरीज का इलाज करना है. वहीं आईसीआईएमआर (ICMR) ने कोरोना की डायग्नोसिस के लिए एचआरसीटी को मान्यता नहीं दी है. सिर्फ आरटीपीसीआर और एंटीजन किट को ही मान्यता दी है.