पटना:बिहार में औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने के लिए सरकार ने कई योजना बना रखी है. राज्य के अंदर फिलहाल 75 इंडस्ट्रियल एरिया है. औद्योगिक क्षेत्र के भूखंड की कीमत 50 लाख से लेकर ढाई करोड़ पर एकड़ तक है. उद्योगपतियों को उद्योग लगाने के लिए 7 दिनों के भीतर जमीन दिए जा रहे हैं. बिहार सरकार ने कई नीतिगत बदलाव भी किए हैं. बिहार लॉजिस्टिक नीति 2023 को मंजूरी दी गई है. ज्यादातर उद्योगपतियों की चिंता बिहार में विधि व्यवस्था को लेकर थी हाल के कुछ महीनों में जिस तरीके से आपराधिक घटनाओं में इजाफा हुआ है. उससे उद्योगपतियों की चिंता भी बढ़ गई है.
अपराध के ग्राफ में इजाफा से उद्योगपतियों की चिंता बढ़ी: राज्य के अंदर लीटर और टेक्सटाइल नीति को भी धरातल पर लाया जा रहा है. राज्य के अंदर फिलहाल 3000 एकड़ भूमि ही लैंड बैंक में है. ज्यादातर उद्योगपतियों की चिंता बिहार में विधि व्यवस्था को लेकर थी हाल के कुछ महीनों में जिस तरीके से आपराधिक घटनाओं में इजाफा हुआ है. उससे उद्योगपतियों की चिंता भी बढ़ गई है. अपहरण की घटना में लगातार इजाफा हो रहा है. चिकित्सकों से भी करोड़ों के रंगदारी मांगी जा रही है.
अपहरण के मामले बढ़ें: बिहार में अपहरण की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है. साल दर साल अपहरण की घटना में लगातार इजाफा हो रहा है. आंकड़ों के लिहाज से अगर देखें तो 2020 में 7889 अपहरण के मामले दर्ज हुए थे जो 2021 में बढ़कर 10198 हो गए. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में 11822 अपहरण के मामले दर्ज हुए हैं.
ज्यादातर उद्योगपति पटना के इर्द-गिर्द ही उद्योग लगाना चाहते हैं: उद्योग लगाने के लिए तो कई उद्योगपतियों ने दिलचस्पी दिखाई है, लेकिन ज्यादातर उद्योगपति पटना के इर्द-गिर्द ही उद्योग लगाना चाहते हैं. सरकार के समक्ष बंद पड़े चीनी मिलों को भी फिर से चालू करने की चुनौती है. 50000 करोड़ से अधिक का करार बिहार सरकार के साथ उद्योगपतियों ने किया है, लेकिन देखना होगा की धरातल पर कितने का इन्वेस्टमेंट हो पता है.
भूमि कम होना भी चिंता का विषय: सरकार ने आईटी नीति को भी मंजूरी दी है. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत छोटे और मझोले कारोबारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है. 10 लख रुपए कार्य सरकार के द्वारा दिया जा रहा है. जिसमें 50% सब्सिडी के रूप में होगा. महिलाओं को ब्याज रहित ऋण दिया जा रहा है. प्लग एंड प्ले इंफ्रास्ट्रक्चर योजना के तहत राज्य के अंदर 24 लाख स्क्वायर फीट भूखंड को डेवलप किया गया है. सरकार के समक्ष कई चुनौतियां भी मौजूद हैं. एक ओर लाल फीता शाही उद्योगपतियों के लिए परेशानी का सबब है तो भूमि की उपलब्धता कम होना भी सरकार के लिए चिंता का विषय है.
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