पटना: पूनम का चांद(Kartik Purnima 2022) और चंद्र ग्रहण की बेला इन दोनों के संगम पर काली शक्तियां ज्यादा शक्तिशाली हो जातीं हैं. तांत्रिक, ओझा-गुणी इसी 'काली मान्यता' को आधार बनाकर अपनी दुकान ऐसे मौकों पर सजा लेते हैं. एक ओर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आस्था की डुबकी लगाई जा रही थी तो दूसरी ओर उसी घाट पर बाबाओं की फौज लोगों को भूतखेलिया से शर्तिया इलाज की गारंटी दे रही थी. इसी दौरान बिहार की राजधानी पटना में पाटीपुल घाट पर कार्तिक पूर्णिमा की सुबह गंगा स्नान के दौरान घाट संख्या 83 पर खुलेआम ओझा गुणियों के अंधविश्वास का खेल चलता (Ganga Ghat in Patna ) दिखा.
ये भी पढ़ें- जानिए भारत के प्रमुख शहरों का चंद्र ग्रहण समय
पटना के घाटों पर भूतों का मेला: पटना के दीघा के विभिन्न घाटों पर दर्जनों की संख्या में पहुंचे ओझा गुणियों का झुंड, मजमा लगाकर अजीबोगरीब हरकत करते नजर आए. गंगा घाटों पर भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फांसकर भूत भगाने और उनकी समस्याओं से उन्हें निजात दिलाने का यह खेल बदस्तूर चलता रहा. यहाँ सबसे हैरानी की बात यह रही कि अंधविश्वास की चंगुल में फंसे भोले-भाले लोग भी इन ओझा गुणियों के इशारे पर अजीबोगरीब हरकत करते नजर आए.
बेरोकटोक भूत भगाते ओझा-गुणी: दरअसल कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दौरान गंगा घाटों पर ओझा-गुणियों का खेल सदियों से चलता आ रहा है. हालांकि, पटना के गंगा घाटों पर अंधविश्वास का खेल पहले कभी इसतरह चलता हुआ नजर नहीं आया था. इस वर्ष पटना के दीघा घाट के पाटीपुल घाट सहित अन्य कई घाटों पर ओझा गुणियों के द्वारा झुंड लगाकर लोगों के समस्याओं का निवारण किया जा रहा था. लोग इनसे अपने ऊपर सवार भूतों के भगा रहे थे. मौके पर मौजूद ओझा-गुणी मंत्र उच्चारण कर ढोल मंजीरे की तेज आवाज के बीच भोले-भाले महिलाओं के भूत को भगाते. गंगा घाटों पर दर्जनों की संख्या में ऐसे नजारे दिखे.
अंधविश्वास का मायाजाल: दीघा घाट से लेकर मरीन ड्राइव तक ऐसे ओझा-गुणियों का मायाजाल फैला हुआ दिखा. चेले गंगा घाटों पर फैले हुए थे. लोगों को उनके दुखों का निवारण करने की तांत्रिक विधि बताकर पूजा करवाने लगते हैं. मंत्रोच्चार होते ही महिलाएँ जोर जोर से सिर हिलाने लगतीं हैं. मजमा देखकर दूसरे लोग भी इस ओर खिंचे चले आते हैं. लोगों को लगता है कि शायद उनके दुख का भी निवारण इसी पूजा में है. अंधविश्वास में सबकुछ गंवाकर ये लोग यहां से विदा होते हैं. ये पूरा खेल यूं ही चलता रहता है. क्योंकि अंधविश्वास फैलाने वाले बाबाओं को रोकने के लिए कोई भी नजर नहीं आता.
अंधविश्वास का तोड़ है सरकार? : दरसल कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान के दौरान गंगा घाटों पर जगह-जगह झाड़ फूंक, भूतखेली का खेल होता आया है. पर ऐसी तस्वीर राजधानी पटना के गंगा घाटों पर आज तक नजर नहीं आई है. इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन पटना के दीघा के कई घाटों पर ओझा-गुणी ढोल मंजीरे की तेज आवाज के बीच मंत्र का उच्चारण कर महिलाओं और पुरुषों के समस्याओं के साथ-साथ उनके भूतों को भगाते भी नजर आए हैं. बावजूद इसके पटना के गंगा घाटों पर इन ओझा गुणियों को रोकने और टोकने वाला कोई नहीं था. कहीं ना कहीं यह ओझा गुनी भयमुक्त होकर आस्था के दौरान अंधविश्वास का यह खेल खुलेआम खेल रहे थे.