पटना : कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन की (Corona New Variant Omicron ) पहचान में की जाने वाली जिनोम सिक्वेंसिंग नहीं हो पा रही है. दरअसल बीते दिनों स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने निर्देश दिया था कि प्रदेश में फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री वाले जो भी संक्रमित मिलेंगे उनका सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए पटना आईजीआईएमएस (Genome Sequencing In IGIMS ) भेजा जाएगा. बीते 10 दिनों में प्रदेश में फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री वाले लगभग 10 लोगों की पॉजिटिव रिपोर्ट सामने आई है. लेकिन इनका सैंपल जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए आईआईएमएस के बजाय उड़ीसा के भुनेश्वर के लैब में भेजा गया है.
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बताते चलें कि आईजीआईएमएस में जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग में नेक्स्ट जेनरेशन एडवांस मशीन है. जिनोम सीक्वेंसिंग के एक साइकिल रन में करीब 15 लाख का खर्च आता है. आईजीआईएमएस के पास अभी फंड का अभाव था ऐसे में आईजीआईएमएस प्रबंधन द्वारा सरकार से फंड की मांग को लेकर अनुरोध किया गया था जिसके बाद सरकार ने हाल ही में आईजीआईएमएस को फंड मुहैया कराया है. सरकार की तरफ से आईजीआईएमएस को जिनोम सीक्वेंसिंग के दो साइकिल रन के लिए ₹30 लाख एलॉट किए गए हैं.
आईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ. नम्रता कुमारी ने जानकारी दी कि जिनोम सीक्वेंसिंग के एक साइकिल रन में करीब 15 लाख रुपए की लागत आती है. एक बार में अधिकतम 96 सैंपल की जिनोम सीक्वेंसिंग जांच की जा सकती है. उन्होंने बताया कि 96 सैंपल स्टोर करने का कॉर्टेज होता है. मशीन में एक सैंपल की जिनोम सीक्वेंसिंग की जाए या 96 सैंपल की जिनोम सीक्वेंसिंग की जाए लागत इतनी ही रहती है.
'प्रदेश में अभी पॉजिटिव मामले कम मिल रहे हैं. खासकर फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री वाले पॉजिटिव मरीज काफी कम मिल रहे हैं. ऐसे में दो या तीन सैंपल के लिए जिनोम सीक्वेंसिंग की मशीन को रन कराना आर्थिक दृष्टिकोण से न्यायोचित नहीं है. ऐसे में अभी के समय अगर 1-2 सैंपल का सीक्वेंसिंग कराना रह रहा है तो पुणे के या भुनेश्वर के वायरोलॉजी लैब में भेज दिया जा रहा है. जहां जिनोम सीक्वेंसिंग की प्रक्रिया के लिए कॉर्टेज में सैंपल का जगह खाली रह रहा है.':- डॉ. नम्रता कुमारी, माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष
डॉ. नम्रता कुमारी ने बताया कि मीडिया में बेवजह अभी के समय हर पॉजिटिव मामले के लिए जिनोम सीक्वेंसिंग करने की बात कह कर तूल दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए जरूरी होता है कि कम सिटी वैल्यू का सैंपल मिले. उन्होंने बताया कि अभी जो भी पॉजिटिव मामले आ रहे हैं. वह माइल्ड और मॉडरेट मरीज की मिल रहे हैं. उनकी RT-PCR जांच में प्रीति वैल्यू काउंट अधिक रह रही है. उन्होंने कहा कि जिनोम सीक्वेंसिंग कर वायरस के नेचर के बारे में अच्छी तरह से तब पता लगाया जा सकता है. जब सैंपल के आरटी पीसीआर जांच में सिटी वैल्यू काउंट कम हो. सामान्य तौर पर अगर सैंपल का सिटी वैल्यू काउंटर 16 या 16 से कम रहता है तो उस सैंपल का जिनोम सीक्वेंसिंग कर म्यूटेशन के बारे में अच्छी तरह से पता लगाया जा सकता है.
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