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3 जिलों की प्यास बुझाने के लिए 'भगीरथ प्रयास' से गया पहुंच गईं गंगा

बिहार में गंगा उद्वह योजना (Ganga Udvah Yojana in Bihar) के तहत गंगा नदी गया तक पहुंच रहीं हैं. नवादा में इसका सफल ट्रायल भी हो चुका है जो ये बताता है कि काम मुश्किल नहीं बस एक भगीरथ प्रयास की जरूरत है. गंगा मैदान से चढ़कर पहाड़ों पर भी पहुंच गईं हैं. इस भगीरथ प्रयास से तीन जिलों की प्यास बुझेगी. पढ़ें पूरी खबर-

बिहार में गंगा उद्वह योजना
बिहार में गंगा उद्वह योजना

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Published : May 24, 2022, 10:33 PM IST

पटना : गंगा धरती पर कैसे आईं इसकी कहानी पौराणिक मान्यताओं में कई तरीके से बताए और कहे गए हैं. अभी भी मान्यता हर जनमानस में है कि गंगा नदी नहीं एक सभ्यता है. गंगा बिहार में उन तमाम सभ्यताओं को अपने साथ जोड़े हुए हैं जो संभवत पूरे भारत में नहीं है. पश्चिम से पूर्व बहने वाली गंगा बिहार में ही उत्तरायणी गंगा के तौर पर भी बहती हैं. इतिहास की कहानी बताने का मकसद सिर्फ इतना है एक भागीरथ प्रयास से गंगा धरती पर आई थीं, आज एक प्रयास से भागीरथ के वंशज जिस गया में बालू से तर्पण पाए थे अब उस गया तक गंगा पहुंच (Ganga reaching Gaya) रही हैं. इस भगीरथ प्रयास को किसी और ने नहीं बल्कि नीतीश सरकार ने खुद किया है.

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बिहार के 3 जिले अब गंगाजल पिएंगे. यह भागीरथ प्रयास नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने पूरा कर दिया है. पटना जिले के हाथीदह से गंगा का पानी नालंदा नवादा होते हुए गया तक पहुंचेगा और यह काम अब अंतिम रूप में है. नवादा में गंगा का पानी पहुंच गया है. इसका ट्रायल भी सफल हो गया. 24 मई 2022 बिहार के इतिहास के पन्ने में एक और लाइन जोड़ दिया जब गंगा उन जिलों से भी बहना शुरू की जिसकी कल्पना शायद जनमानस ने नहीं किया था, हां गंगा के प्रति आस्था किए जरूर बैठा था.

गंगा उद्वह योजना के तहत बिहार सरकार ने 3000 करोड़ की लागत से गंगा को गया लाने का काम किया है. गंगा उद्वह योजना का ट्रायल सफल रहा है. इस ट्रायल में अब गंगा कर जल नवादा पहुंच भी गया है. गंगा उद्वह योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2019 में की थी. इसके तहत पटना, नवादा, नालंदा और गया जिले को 190 किलोमीटर पाइप लाइन के जरिए पटना के मोकामा के हाथीदह से पानी पहुंचाया जाएगा. इन क्षेत्रों में पानी की दिक्कत है और उस दिक्कत को खत्म करने के लिए इस योजना का शुभारंभ किया गया था. कहने के लिए तो सरकारी फाइलों में यह महज योजना है लेकिन उन लोगों के लिए, जिन लोगों को गंगा का पीने का पानी मिलेगा उनके लिए नए युग और जीवन का संचार हो रहा है. ये सदियों तक इन्हें जीवन देता रहेगा.

पटना के हाथीदह से 190 किलोमीटर की पाइप लाइन के जरिए गंगा के पानी को गया ले जाया जा रहा है. जिस योजना में गया बोधगया और राजगीर जैसे शहरों को पेयजल मुहैया कराया जाएगा. पहले चरण में कुल 2386 करोड़ रुपए की लागत से इसे बनाया जा रहा है. जिसमें राजगीर शहर को 7 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी और गया शहर को 43 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध कराया जाएगा.

परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जिन लोगों ने अपनी जमीनें दी है धन्यवाद के पात्र हैं. साथ ही इस पूरी परियोजना को लेकर के नीतीश कुमार ने कहा है कि पानी को लेकर के जो पहाड़ी क्षेत्र बढ़ रहे हैं उन पहाड़ी क्षेत्रों में पक्की वॉल बनाई जाएगी. साथ ही मॉनिटरिंग के लिए पुलिस चौकी भी बनाई जाएगी. ताकि किसी तरह की कोई दिक्कत न खड़ी हो. यह योजना निश्चित तौर पर नवादा नालंदा और गया के जीवन के उद्भव की योजना होगी, जहां पानी के लिए लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था.

गंगा उद्वह योजना के स्वरूप को इन जिलों में उतारा गया है. वह यहां के लोगों को पीने के पानी देने भर नहीं है. यह पूरे जीवन को बदल देने की नई कहानी है. बिहार की भौगोलिक संरचना की बात करें तो जिस तरीके से नदियों के संचरण की व्यवस्था बिहार में है, उसमें उत्तर बिहार बाढ़ में डूब जाता है. दक्षिण बिहार में पानी ही नहीं मिलता और उसमें जिन जिलों में गंगा नही है उसको योजना के तहत पानी जा रहा है. गंगा उद्वह योजना के तहत आने वाले पानी से इन चीजों की पूरी जिंदगानी ही बदल जाएगी. निश्चित तौर पर इस योजना की जितनी तारीफ की जाए वह कम है.

किसी भी धार्मिक मान्यता का आधार मानवीय मूल्यों का जीवन होता है. भागीरथ ने गंगा को अपने पूर्वजों को तारने के लिए धरती पर लाया था. वह भागीरथ प्रयास एक ऐसी मेहनत को कहा जाता है जिससे कुछ भी करना और इतनी मेहनत के साथ करना कि असंभव को संभव कर दिया जाए. उसे ही भागीरथ प्रयास के तौर पर जाना जाता है. आज भागीरथ के इस प्रयास से धरती पर आई गंगा को उस जगह तक पहुंचाने का काम भी किया है जहां उनके पूर्वजों को बालू से तर्पण मिला था. हालांकि विश्व प्रसिद्ध गया का पितृपक्ष मेला जिसमें अपने पितरों के मोक्ष के लिए हर व्यक्ति पिंड दान करता है. उसेे मिलने वाला पानी अब गंगा का होगा, जो गया से सनातन मान्यता को मूर्त रूप देगा. अपने पितरों के मोक्ष के लिए आस्था को वह स्वरूप भी जो गंगा से पितृ तर्पण की मान्यता है. पीने के लिए गंगा का वह पानी गया के जीवन का मूल्य.

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