पटना: बिहार में एक बार फिर से शेल्टर होम में लड़कियों के साथ यौन शोषण का मामला सुर्खियों में है. मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड (Muzaffarpur Shelter Home Case) के बाद बोधगया और पटना के गायघाट बालिका गृह (Gaighat Shelter Home Patna) में लड़कियों को नशीला पदार्थ देकर उनसे दुष्कर्म का मामला सामने आया है. घटना सामने आने के बाद सरकार सकते में है. इसकी गूंज अब पटना हाईकोर्ट में भी सुनाई दे रही है. जहां प्रदेश से सभी शेल्टर होम की एक साथ जांच की मांग की गई है.
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साल 2018 में पहली बार मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बच्चियों के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था. मुंबई की संस्था टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइसेंज़ (टीआईएसएस) ने बालिका गृह के सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यहां की 21 लड़कियों के साथ यौन शोषण का खुलासा किया था. इसके बाद पुलिस जांच में शेल्टर होम से छह बच्चियों के गायब होने की भी बात सामने आयी थी. मामले में दस लोगों की गिरफ्तारी हुई और फिर तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफा देना पड़ा था.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली ट्रांसफर हुआ था केस: इसकी घटना का शोर पूरे देश में सुनाई दिया था. मामले की सुनवाई बिहार की कोर्ट में चल रही थी. 7 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. उच्चतम न्यायालय ने बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए सख्त टिप्पणी की थी.
गायघाट बालिका गृह की पीड़िता मांग रही इंसाफ: रिमांड होम से भागी एक युवती ने शेल्टर होम संचालिका वंदना गुप्ता (Shelter Home Operator Vandana Gupta) पर लड़कियों का शारीरिक और मानसिक शोषण करने का गंभीर आरोप लगाया. युवती ने बताया कि वहां गंदा काम होता है, बच्चियों को नशे का इंजेक्शन देकर अवैध धंधा करने के लिए विवश किया जाता है.
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जांच टीम ने शेल्टर होम संचालिका को दिया क्लीन चीट: आरोप के बाद बिहार में एक बार फिर से खलबली मच गई. राजनीतिक दल से लेकर सामाजिक संस्थाओं तक ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की. फिर आनन-फानन में समाज कल्याण विभाग ने जांच के लिए एक टीम गठित कर दी, जिसने लीपापोती कर अधीक्षिका वंदना गुप्ता को क्लीन चिट दे दिया.