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पूर्ण शराबबंदी से कोर्ट पर बढ़ा दबाव, 2.5 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग

बिहार में 2016 से पूर्ण शराब बंदी लागू है. शराबबंदी कानून बिहार में लागू करने का जिम्मा उत्पाद विभाग और पुलिस विभाग के पास है. जिस रफ्तार से कोर्ट में शराबबंदी से जुड़े केस पहुंच रहे हैं. उससे संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. राज्य के अदालतों में 2.5 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग हैं.

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Published : Dec 21, 2020, 5:57 PM IST

Patna high court
पटना हाईकोर्ट

पटना: बिहार में 1 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने के लिए उत्पाद विभाग और पुलिस विभाग पर भरोसा किया है. राज्य में शराबबंदी कानून लागू हुए साढ़े तीन साल से अधिक का वक्त बीत चुका है. इस दौरान कुल मिलाकर उत्पाद विभाग और पुलिस विभाग ने 2 लाख 59 हजार 998 मामले दर्ज किए हैं. अदालतों में 2.5 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग हैं.

2020 में 48187 लोग हुए गिरफ्तार
पुलिस विभाग ने 180133 और उत्पाद विभाग ने 79825 केस दर्ज किए हैं. इस दौरान कुल मिलाकर 3 लाख 6 हजार 310 गिरफ्तारियां भी हुई हैं. पुलिस विभाग ने 2 लाख 39 हजार 653 और उत्पाद विभाग में 66 हजार 657 गिरफ्तारियां की हैं. 2020 में शराबबंदी कानून के उल्लंघन के 39467 केस दर्ज किए गए, 9519 वाहन जब्त हुए, 48187 गिरफ्तारियां हुईं और 108 अभियुक्तों को सजा दिलाई जा सकी. जिस तरीके से थानों में शराबबंदी के मामले दर्ज हो रहे हैं उससे न्याय व्यवस्था के सामने संकट की स्थिति है. अदालतों में इतने संसाधन नहीं हैं कि मामलों की सुनवाई कर शीघ्र अंजाम तक पहुंचाया जा सके.

देखें रिपोर्ट

शराबबंदी में ही लगी है सरकारी मशीनरी
"जितने शराबबंदी के मामले कोर्ट तक पहुंच रहे हैं सिर्फ उसकी सुनवाई की जाए तो उसके निपटारे में सालों लग जाएंगे. एक केस को अंजाम तक पहुंचाने में 3 महीने का वक्त लगता है. बिहार में तो इसकी संख्या लाखों में है. इसके अलावा जिलाधिकारी की भूमिका भी वाहन जब्ती में होती है. सरकार की मशीनरी शराबबंदी में ही लगी है. दूसरे काम के लिए उनके पास वक्त नहीं है. न्यायालय में भी कमोबेश स्थिति वैसी ही है."- दीनू कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता

74 स्पेशल कोर्ट का हुआ सृजन
"बिहार में शराबबंदी सही कदम है. इससे समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. कुछ लोग कानून तोड़ते हैं तो उसके लिए कार्रवाई का भी प्रावधान है. जहां तक न्यायिक व्यवस्था का सवाल है तो बिहार के 38 जिलों में 74 स्पेशल कोर्ट ऑफ एडीशनल डिस्टिक जज का सृजन किया है. 666 कर्मियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्र पूरी कर ली जाएगी."- ललित किशोर, अपर महाधिवक्ता, बिहार सरकार

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