टाॅप 10 विद्यार्थियों को मुफ्त कोचिंग की सुविधा देने पर पहल पटनाः बिहार बोर्ड ने मैट्रिक परीक्षा 2023 का परिणाम जारी कर दिया है. मैट्रिक परीक्षा में कुल 81.04% विद्यार्थी सफल हुए हैं और पहली बार टॉप टेन में 90 की संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हैं. ऐसे में छात्र छात्राओं को आगे कैरियर के लिहाज से बेहतर अवसर उपलब्ध हो सके इस दिशा में बिहार बोर्ड कार्य कर रहा है. वैसे छात्र जो मेडिकल, इंजीनियरिंग व अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ना चाहते हैं. उन्हें बेहतर कोचिंग की सुविधा मुफ्त में बोर्ड की ओर से उपलब्ध (Free coaching facility to top 10 students) कराई जाएगी. संभवतः मई महीने से ही यह पहल शुरू हो जाएगी. यह जानकारी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में दी.
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मेधावी छात्रों को आगे बढ़ाने में मदद करेगा बिहार बोर्ड: बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि बिहार बोर्ड के परीक्षा परिणामों में बीते वर्षों से यह देखने को मिल रहा है कि अधिकांश जो टॉप टेन में विद्यार्थी रहते हैं वह काफी गरीब परिवार से होते हैं लेकिन बहुत मेधावी होते हैं. वह भी बेहतर शिक्षा पाना चाहते हैं. इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग करना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए कोचिंग का फीस अफोर्ड कर पाना मुश्किल होता है. ऐसे में इन विद्यार्थियों को बेहतर कैरियर अपॉर्चुनिटी उपलब्ध कराने के लिए बिहार बोर्ड नई पहल पर काम कर रहा है. इसके तहत इस पहल की रूपरेखा तैयार की जा रही है कि, कैसे यह मेधावी विद्यार्थी जिस फील्ड में जाना चाहते हैं, उसके लिए उन्हें बिहार बोर्ड की तरफ से मदद की जाए.
जल्द ही टाॅपर्स को मुफ्त कोचिंग मुहैया करने पर हो सकता है निर्णयः आनंद किशोर ने बताया कि किस प्रकार ऐसे विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए तैयार किया जाए. इस पर काम चल रहा है और जल्द ही इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि यह पहल निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण शुरुआत होगी, लेकिन इसके बारे में अब तक अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. लेकिन बिहार बोर्ड का उद्देश्य है कि यदि इस प्रकार की कोई योजना की शुरुआत हो रही है तो उसका लाभ इसी सत्र से विद्यार्थियों को मिले.
छात्राओं का दिख रहा दबदबा: आनंद किशोर ने बताया कि इंटरमीडिएट परीक्षा की तर्ज पर मैट्रिक परीक्षा में भी टॉपर्स में छात्राओं का दबदबा दिख रहा है. टॉप 3 में 6 विद्यार्थी हैं, इसमें 4 छात्राएं हैं और 2 छात्र हैं और इसका पूरा श्रेय सरकार की ओर से बालिकाओं की शिक्षा के लिए चलाई जा रही कन्या उत्थान योजना और सरकार के विभिन्न प्रयासों को जाता है. उन्होंने बताया कि लगातार रिकॉर्ड पांचवीं बार देशभर में बिहार बोर्ड ने सबसे पहले इंटरमीडिएट के साथ-साथ मैट्रिक परीक्षा का भी परिणाम जारी किया है और लगातार दूसरी बार है, जब मार्च महीने में ही मैट्रिक परीक्षा का परिणाम जारी हो गया है.
"बिहार बोर्ड के परीक्षा परिणामों में बीते वर्षों से यह देखने को मिल रहा है कि अधिकांश जो टॉप टेन में विद्यार्थी रहते हैं वह काफी गरीब परिवार से होते हैं लेकिन बहुत मेधावी होते हैं. वह भी बेहतर शिक्षा पाना चाहते हैं. इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग करना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए कोचिंग का फीस अफोर्ड कर पाना मुश्किल होता है. ऐसे में इन विद्यार्थियों को बेहतर कैरियर अपॉर्चुनिटी उपलब्ध कराने के लिए बिहार बोर्ड नई पहल पर काम कर रहा है. इसके तहत इस पहल की रूपरेखा तैयार की जा रही है कि, कैसे यह मेधावी विद्यार्थी जिस फील्ड में जाना चाहते हैं, उसके लिए उन्हें बिहार बोर्ड की तरफ से मदद की जाए"-आनंद किशोर, अध्यक्ष, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति
सभी बोर्ड से पहले दिया रिजल्टः आनंद किशोर ने बताया कि बीते वर्षों में जो कंप्यूटराइजेशन के माध्यम से नए बदलाव किए गए हैं और परीक्षा व्यवस्था को जिस प्रकार से पारदर्शी बनाया गया है. इसी का परिणाम है कि कम समय में परीक्षा परिणाम जारी हो जा रहे हैं और रिजल्ट में त्रुटियों की संभावनाएं भी कम रह रही हैं. बिहार बोर्ड के इन बदलावों का नतीजा है कि सीबीएसई, आईसीएसई और अन्य शिक्षा बोर्ड से दसवीं देने वाले परीक्षार्थी काफी संख्या में अपने बोर्ड को छोड़कर बिहार बोर्ड ज्वाइन कर रहे हैं.
दूसरे बोर्ड को छोड़ बिहार बोर्ड में आ रहे विद्यार्थीः बिहार बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि विगत 5 वर्षों में 500000 से अधिक विद्यार्थियों ने सीबीएसई और आईसीएसई जैसी शिक्षा बोर्ड को छोड़ बिहार बोर्ड में 11वीं में नामांकन कराया है. साल 2022 में सीबीएसई छोड़कर 11वीं कक्षा में बिहार बोर्ड ज्वाइन करने वाले छात्रों की संख्या 95204 रही है. वहीं आईसीएसई छोड़कर बिहार बोर्ड ज्वाइन करने वाले छात्रों की संख्या 18006 रही है और कुल 113210 छात्र दसवीं में अन्य शिक्षा बोर्ड रहने के बावजूद भी 11वीं में बिहार बोर्ड को ज्वाइन किए हैं.
परीक्षा पैटर्न में बदलाव से से बढ़े हैं अंकः आनंद किशोर ने बताया कि परीक्षा पैटर्न में किए गए बदलावों और सुधारों का नतीजा है कि बिहार बोर्ड की परीक्षाओं में विद्यार्थी अब 90% से अधिक अंक प्राप्त कर रहे हैं. बीते 10 वर्षों में इस बार किसी विद्यार्थी ने सबसे अधिक अंक लाकर मैट्रिक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है और इस बार प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थी को 97.80% यानी 489 अंक प्राप्त हुए हैं. टॉप टेन में भी विद्यार्थी इस बार काफी अधिक संख्या में है और ऐसे विद्यार्थी के टॉप टेन में आए हैं उनकी संख्या 90 है.
जेईई और नीट जैसी परीक्षा पास करने वाले बच्चों में आई है कमीः बताते चलें कि जिस प्रकार बीते कुछ वर्षों से बिहार बोर्ड से दसवीं पास करने वाले विद्यार्थियों की संख्या जेईई-मेन और नीट जैसी परीक्षाओं में घट रही है. इसी को देखते हुए बिहार बोर्ड यह पहल करने जा रहा है. बिहार बोर्ड का उद्देश्य है कि जो बिहार बोर्ड से अच्छे नंबर के साथ दसवीं पास करने वाले गरीब परिवार के मेधावी छात्र होते हैं, उन्हें रेगुलर स्टडीज के साथ एक कोचिंग सिस्टम से एजुकेशन दिया जाए, ताकि कंपटीशन की परीक्षा के लिए तैयार हों और अपनी मेधा का पूरा इस्तेमाल कर सकें. बोर्ड इस पैटर्न पर भी इस योजना को तैयार कर रहा है कि टॉप टेन में आने वाले छात्र छात्राओं के लिए पटना में बिहार बोर्ड कैंपस में कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाए.
अवासीय सुविधा मुहैया कराने पर भी हो रहा मंथनःसंभव हो तो इनके लिए रेसिडेंशियल कोचिंग की भी व्यवस्था हो. ऐसे विद्यार्थियों को पूरा स्टडी मैटेरियल मुफ्त में उपलब्ध कराया जाएगा. इस योजना को लेकर बिहार बोर्ड शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विद्वानों की राय भी ले रहा है. प्रथम दृष्टया जो जानकारी निकलकर सामने आई है, संभव है कि इन टॉपर्स के लिए जो कोचिंग सिस्टम की व्यवस्था होगी. उसके मेंटर कोई रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी होंगे, जो शिक्षा से जुड़े हैं. अथवा रिटायर्ड प्रोफेसर होंगे और यह मेंटर तय करेंगे कि जो शिक्षक बच्चों को कोचिंग देने के लिए आएंगे उनका स्टैंडर्ड क्या होगा. इसके अलावा इन विद्यार्थियों के लिए यह भी अनिवार्य होगा कि वह इंटरमीडिएट के लिए बिहार में ही नामांकन कराएं. तभी वह इस योजना का लाभ ले पाएंगे.