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पटना : 28 सितंबर को लगेगा न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के मरीजों के लिए नि:शुल्क कैंप

डॉ नंदिनी गोकुलचंद्रन ने बताया कि अभी तक माना जाता था कि जन्म के दौरान जो मानसिक विकृतियां आती है, उनमें बदलाव नहीं हो सकती. लेकिन उभरते अनुसंधान के साथ हम यह जान गए हैं कि सेल थेरेपी का उपयोग कर क्षतिग्रस्त मस्तिष्क को ठीक किया जा सकता है.

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Published : Sep 14, 2019, 7:58 AM IST

डॉ नंदिनी गोकुलचंद्रन

पटना: राजधानी में 28 सितंबर को न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के सभी मरीजों के लिए नि:शुल्क वर्कशॉप और कैंप का आयोजन होने जा रहा है. यह आयोजन न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट के तरफ से किया जा रहा है. इस कार्यक्रम की जानकारी इंस्टीट्यूट की डिप्टी डायरेक्टर और मेडिकल डिपार्टमेंट के हेड डॉ नंदिनी गोकुलचंद्रन ने दी. इस वर्कशॉप में रोलॉजिकल रोगों से पीड़ित सभी मरीजों के लिए नि:शुल्क स्टेम सेल थेरेपी ओपीडी शिविर का आयोजन किया जाएगा.

'मानसिक विकृतियों में बदलाव संभव'
डॉ नंदिनी गोकुलचंद्रन ने बताया कि अभी तक माना जाता था कि जन्म के दौरान जो मानसिक विकृतियां आती है, उनमें बदलाव नहीं हो सकती. लेकिन उभरते अनुसंधान के साथ हम यह जान गए हैं कि सेल थेरेपी का उपयोग कर क्षतिग्रस्त मस्तिष्क को ठीक किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि सेरेब्रल पल्सी और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित मरीजों के लिए न्यूरो रिजेनरेटिव रिहैबिलिटेशन थेरेपी आदर्श मेडिकल विकल्प होने के साथ-साथ मेडिकल की दुनिया में एक नई क्रांति है.

रोलॉजिकल डिसऑर्डर के मरीजों के लिए निशुल्क कैंप

'स्टेम सेल थेरेपी बेहद सरल'

डॉ नंदिनी गोकुलचंद्रन ने बताया कि स्टेम सेल थेरेपी बेहद सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है. इसका लॉन्ग-टर्म साइड इफेक्ट कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में एक सुई की मदद से कमर के पास से बोन मैरो से स्टेम सेल मरीज को दी जाती है. इस स्टेज के बाद उसे स्पाइनल फ्लूड में वापस इंजेक्ट किया जाता है. जिसके बाद स्टेम सेल ब्रेन तक जाकर ब्रेन के डैमेज को रिपेयर करता है. इस पूरे प्रक्रिया में कुछ एक्सरसाइज कराए जाते हैं. स्टेम सेल मरीज के शरीर से ही दी जाती है. इस कारण मरीज पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है. यह सुरक्षित प्रक्रिया होती है.

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