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शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़े की खुली पोल, कई जिलों ने जारी नहीं की मेरिट लिस्ट तो कई ने की खानापूर्ति

बिहार में शिक्षक नियोजन (Bihar Shikshak Niyojan) के लिए हुई काउंसलिंग (Counseling) में एक बार फिर बड़ी संख्या में हुए फर्जीवाड़े (Fraudulent) की बात सामने आ रही है. ताजा मामला इस साल 5 जुलाई से 12 जुलाई के बीच शिक्षक नियोजन का है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 22, 2021, 12:24 PM IST

शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़े की खुली पोल
शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़े की खुली पोल

पटना :बिहार में शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा (Fraud In Recruitment) कोई नई बात नहीं है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से बदश्तूर जारी है. ताजा मामला इस साल 5 जुलाई से 12 जुलाई के बीच शिक्षक नियोजन(Bihar Shikshak Niyojan) का है, जहां काउंसलिंग में जमकर फर्जीवाड़ा का खेल किया गया है. 1500 से ज्यादा अभ्यर्थियों की काउंसलिंग में विशेष रूप से पंचायतों में खुले तौर पर धांधली देखी गई है. इसका असर जिलों की एनआईसी वेबसाइट पर साफ दिख रहा है.

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एनआईसी वेबसाइट पर दरभंगा समेत कई जिलों ने लिस्ट जारी नहीं की. भोजपुर समेत कई जिलों में लिस्ट प्रकाशित की गई जिसमें महत्वपूर्ण जानकारियां गायब है. पटना जिले में जो चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी हुई है. उसपर गौर करें तो इसमें चयनित अभ्यर्थी का नाम, पिता का नाम, रोस्टर के अनुसार कैटेगरी, चयन किस कैटेगरी में हुआ है, ये सभी जानकारी मेरिट अंक समेत उपलब्ध कराई गई हैं. जिससे यह स्पष्ट समझा जा सकता है कि किस आधार पर नियोजन इकाई ने अभ्यर्थी की काउंसलिंग कराई है.

ये रहा अंदर.

वहीं दूसरी ओर भोजपुर की लिस्ट पर गौर करें तो इसमें सारी महत्वपूर्ण जानकारियां गायब हैं ताकि किसी को यह पता ना चल सके कि किस आधार पर अभ्यर्थी का चयन हुआ है. ना तो अभ्यर्थी का मेधा अंक दिया गया है और ना ही कैटेगरी की जानकारी दी गई है. शिक्षा विभाग का यह स्पष्ट निर्देश था कि 20 जुलाई तक सभी नियोजन इकाइयों को काउंसलिंग में चयनित अभ्यर्थियों की कंप्लीट लिस्ट एनआईसी की वेबसाइट पर जारी करनी है. ताकि सार्वजनिक तौर पर यह पता चल सके कि काउंसलिंग में पारदर्शिता बरती गई है.

शिक्षा विभाग के आदेश के बावजूद बड़ी संख्या में नियोजन इकाइयों ने इसकी अवहेलना की है. इसमें भोजपुर तो पहले नंबर पर है. वही दरभंगा ने अब तक एनआईसी पर कोई लिस्ट जारी नहीं की है कि किसका चयन हुआ और किसका नहीं हुआ है. विभाग का निर्देश है कि पारदर्शी तरीके से नियोजन में काउंसलिंग होनी चाहिए ताकि योग्य अभ्यर्थी का चुनाव हो सके. लेकिन कई पंचायत इकाइयों में जमकर धांधली की गई. जिसके बाद 473 पंचायत योजन इकाइयों में काउंसलिंग रद्द करनी पड़ी.

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वहीं जिन नियोजन इकाइयों में काउंसलिंग कराई गई वहां धांधली छुपाने के लिए एनआईसी की वेबसाइट पर शिक्षा विभाग के आदेश की अवहेलना करते हुए लिस्ट जारी नहीं की गई. वहीं कहीं अगर लिस्ट भी जारी की गई है तो उसमें भी पारदर्शिता का अभाव है. अब देखना है कि शिक्षा विभाग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है. क्योंकि अगर पारदर्शिता नहीं होगी तो शिक्षक नियोजन सवालों के घेरे में फिर से आ जाएगा.

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