नई दिल्ली/पटना:पूर्व सांसद शरद यादव(Former MP Sharad Yadav) ने लोकतांत्रिक जनता दल का आरजेडी में विलय(Lokatantrik Janata Dal Merged With RJD) कर दिया है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) की मौजूदगी में नई दिल्ली में आयोजित विलय समारोह के दौरान एलजेडी (LJD) को राष्ट्रीय जनता दल में मर्ज किया गया है. साल 2018 में जेडीयू से अलग होकर शरद यादव ने अपनी पार्टी बनाई थी. इस मौके पर उन्होंने कहा कि ये एक नई शुरुआत है. ये विलय व्यापक एकता के लिए पहला कदम है. इसमें हमने अपनी पहल कर दी है, पूरे देश के विपक्ष अगर एकजुट हो जाए तो बीजेपी को हराया जा सकता है.
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आरजेडी में एलजेडी का विलय:समाजवादी नेता शरद यादव इन दिनों अस्वस्थ चल रहे हैं. जिस वजह से वे राजनीति में बहुत अधिक सक्रिय नहीं हैं. उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भी बहुत कम ही किसी मुद्दे पर सड़कों पर नजर आते हैं. माना जा रहा है कि वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते उन्होंने ये फैसला लिया है ताकि बिखरे हुए जनता परिवार को फिर एकजुट किया जा सके. पिछले दिनों जब तेजस्वी ने उनसे दिल्ली स्थिति उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की थी, तभी ही उन्होंने संकेत दे दिए थे कि वे आरजेडी के साथ जाने वाले हैं. तेजस्वी से मुलाकात के बाद शरद यादव ने कहा था, 'मैंने और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने जो राजनीति की है, उसकी कमान हमलोगों ने अब तेजस्वी को सौंप दी है. वे ही अब हमारी विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे. तेजस्वी ही आरजेडी के तमाम फैसले लेंगे. वे पार्टी को आगे ले जाने में पूरी तरह से सक्षम हैं.'
दिल्ली में शरद यादव से मिले लालू:इससे पहले 3 अगस्त 2021 को लालू यादव और शरद यादव की मुलाकात हुई थी. जिसके बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थी. हालांकि मीडिया से बात करने के दौरान लालू ने कहा था, 'शरद यादव पार्लियामेंट में नहीं हैं. इसके कारण संसद में उनकी कमी खल रही है. वे हर मुद्दे पर मजबूती से सरकार को घेरते थे. मैं, शरद यादव और मुलायम सिंह यादव फिर से एकजुट होने की कोशिश में लगे हुए हैं.'
2018 में नीतीश से अलग हुए थे:दरअसल नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के चलते शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी का गठन किया था. शरद यादव के साथ अली अनवर सहित कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद शरद यादव 2019 लोकसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव भी लड़े लेकिन जेडीयू के दिनेशचंद्र यादव से एक लाख वोटों से हार गए.
2018 में बनाई थी अलग पार्टी:शरद यादव ने 2018 में नीतीश कुमार से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया था. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान तकनीकी कठिनाईयों की वजह से उन्होंने आरजेडी के सिंबल पर ही मधेपुरा से चुनाव लड़ा था. उनके एक अन्य साथी और पूर्व सांसद अर्जुन राय ने भी आरजेडी के सिंबल पर सीतामढ़ी से चुनाव लड़ा लेकिन दोनों को शिकस्त हाथ लगी थी. उसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में मधेपुरा के बिहारीगंज विधानसभा सीट से उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन उनको भी जीत नसीब नहीं हुई.