पूर्व सांसद गोपाल नारायण सिंह पटना:बिहार में शराबबंदी कानून सफल है या नहीं इसपर जंग छिड़ी हुई है. बिहार सरकार के सहयोगी हों या विपक्ष जमकर निशाना साधा जा रहा है. बीजेपी के कद्दावर नेता सह पूर्व सांसद गोपाल नारायण सिंह ने शुक्रवार को प्रेस कॉफ्रेंस कर नीतीश सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री समाधान यात्रा पर हैं लेकिन बिहार की जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है.
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"सीएम नीतीश गंगा की कसम खाकर कहें...:गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि लगातार बिहार का विकास रुका हुआ है. मुख्यमंत्री को कोई चिंता नहीं है. शिक्षा की स्थिति बद से बदतर हो गई है. लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह से खराब हो गया है लेकिन मुख्यमंत्री कुछ समझने को तैयार ही नहीं है. बिहार के कई जिलों में पहले पत्थर को तोड़कर गिट्टी बनाई जाती थी. इससे 250 करोड़ से ज्यादा की राशि बिहार सरकार को मिलती थी , उसे भी बंद कर दिया गया. शराब बिहार में राजस्व का सबसे बड़ा साधन था लेकिन उसे भी नीतीश कुमार ने अपनी जिद के आगे खत्म कर दिया है. नीतीश गंगा में खड़े होकर कसम खाएं कि शराबबंदी कानून सफल है.
"बिहार में शराबबंदी की गई और एक भारी मात्रा में जो टैक्स की राशि आती थी, वह भी पूरी तरह से बंद है. जबकि पूरे बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से विफल साबित हो रही है. फिर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं. बिहार में शराबबंदी करने की इच्छा नीतीश कुमार की थी. उन्होंने ही प्रस्ताव रखा था. हमलोग सरकार में थे, समर्थन किया था. शराबबंदी के कारण अबतक कई लोगों की जान चली गई है."- गोपाल नारायण सिंह, पूर्व सांसद
शराबबंदी कानून पर पुनर्विचार की मांग: पूर्व बीजेपी सांसद ने कहा कि नीतीश की शराबबंदी नीति के कारण अबतक कई लोगों की मौते हो चुकीं हैं. जहरीली शराब का कारोबार फल-फूल रहा है.बिहार में विकास के नाम पर सिर्फ धोखेबाजी की जा रही है. योजनाएं धरातल तक नहीं पहुंच रही है और लोगों से विकास का झूठा वादा किया जाता है. बिहार में उद्योग धंधे पूरी तरह से चौपट हो चुके हैं और नीतीश कुमार शराबबंदी का ढिंढोरा पीट रहे हैं. नीतीश कुमार अहंकारी हैं. गोपाल नारायण सिंह ने शराबबंदी कानून पर पुनर्विचार करने की मांग की है.
जातीय जनगणना से होगा विद्वेष:उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में बने रहने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके महागठबंधन के नेता लगातार बिहार में जाति की राजनीति करना चाहते हैं. बिहार के विकास में बाधा डाला जा रहा है. अब जातीय जनगणना करा कर रहे हैं. डाटा आने पर आपस में विद्वेष की भावना होगी. यह कहीं से भी उचित नहीं है. सीएम नीतीश को बिहार और बिहार के लोगों के विकास के कार्यों को लेकर ध्यान देना चाहिए.