पटना: पूर्व मंत्री तुलसी दास मेहता का निधन गुरुवार को पटना आवास पर हो गया. वह 94 साल के थे. उनके निधन के बाद राजद नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे. बता दें कि सबसे पहले उन्होंने 37 साल की उम्र में 1962 में जंदाहा विधानसभा से चुनाव जीतकर राजनीति में एंट्री ली थी. उस समय में वो सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव जीतकर आये थे.
पटना: पूर्व मंत्री तुलसीदास मेहता का 94 साल की उम्र में निधन, RJD नेताओं ने दी श्रद्धांजलि - patna latest news
पूर्व मंत्री तुलसी दास मेहता का निधन गुरुवार को पटना आवास पर 94 साल की उम्र में हो गया. उनकी मौत के बाद राजद नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
कर्पूरी ठाकुर और लोहिया को मानते थे आदर्श
अपने राजनीतिक जीवन में तुलसी दास मेहता दो बार कैबिनेट मिनिस्टर भी रह चुके थे. सोशलिस्ट पार्टी से करियर की शुरूआत करने वाले मेहता पांच बार विधानसभा का चुनाव जीते थे. तुलसी दास मेहता 1990 में जब जनता दल से चुनाव जीते तो लालू यादव की सरकार में ऊर्जा मंत्री बनाये गए. दूसरी बार जीते जाने पर वन एवं पर्यावरण मंत्री के रूप में उन्होंने काम किया. कर्पूरी ठाकुर और लोहिया के आदर्श को आत्मसात करनेवाले तुलसी दास मेहता का राजनीतिक सफर बेदाग रहा. आज भी उनका परिवार राष्ट्रीय जनता दल के साथ है. उनके पुत्र आलोक मेहता राजद में प्रधान महासचिव हैं और राजद के पिछली सरकार में सहकारिता मंत्री थे.
'कमजोर वर्ग को आगे बढ़ाया'
बता दें कि तुलसी दास मेहता की एक पुत्री सुहेली मेहता भी राजनीति में सक्रिय हैं. वो सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में प्रवक्ता हैं. राजद के प्रधान महासचिव आलोक मेहता अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए कर्पूरी और लोहिया के सिद्धांतों को महत्व देते हैं. तुलसी दास मेहता के करीबी पूर्व विधान पार्षद विष्णुदेव राय का कहना है कि वो एक ऐसे नेता थे जो समाज के कमजोर वर्ग को आगे बढ़ाने में लगे रहते थे. सोशलिस्ट आंदोलन से जुड़ने के बाद उन्हें लोगों ने सिर आंखों पर बिठाया. वो बिहार में कमजोर वर्ग के नेतृत्वकर्ता थे.