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पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी के मौत की इनसाइड स्टोरी, निशाने पर सिस्टम की नाकामी

बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री और जेडीयू के विधायक मेवालाल चौधरी की मौत ने प्रदेश के हेल्थ सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है. ईटीवी भारत ने मेवालाल चौधरी के सहयोगी शुभम से बात की. शुभम का साफ कहना है कि अगर रिपोर्ट समय पर आती और वक्त पर इलाज शुरू हो जाता तो ये नौबत नहीं आती. अब मेवालाल चौधरी के दोनों बेटों का इतजार हो रहा है. बुधवार को मेवालाल चौधरी के दोनों बेटे पटना पहुंचेंगे और उसके बाद ही पटना में उनका अंतिम संस्कार होगा. ये कहानी सिर्फ मेवालाल जैसे खास लोग की ही नहीं है. आम जनता भी इस त्रासदी को झेल रही है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट-

सिस्टम की लापरवाही
सिस्टम की लापरवाही

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Published : Apr 20, 2021, 7:39 PM IST

Updated : Apr 20, 2021, 8:25 PM IST

पटना: इसी साल मार्च महीने के आखिर में बिहार सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी. स्वास्थ्य मंत्री दावा कर रहे थे कि बिहार में कहीं कोई परेशानी नहीं है. अब स्थिति ऐसी है कि मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं मिल पा रहा है. अस्पतालों के बाहर बेड फुल होने की नोटिस चस्पा कर दी गई है. मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है. आम लोग तो परेशान हैं ही, खास लोगों की जान भी आफत में पड़ गई है. उन्हीं खास लोगों में एक बड़ा चेहरा जेडीयू विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी का था. मेवालाल के निकटतम लोगों का कहना है कि उनकी मौत सिस्टम की खामी की वजह से गई.

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काम नहीं आईं पूर्व मंत्री की मिन्नतें और पैरवी
दिवंगत मेवालाल के सहायक शुभम ने बताया कि 12 अप्रैल को मुंगेर के तारापुर में उन्होंने अपनी RT-PCR जांच कराई थी, लेकिन इसकी रिपोर्ट 16 अप्रैल की शाम को मिली. इसी बीच उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई. आनन फानन में उन्हें मुंगेर से पटना IGIMS लेकर रवाना हुए. वहां उनकी रैपिड जांच भी हुई लेकिन उनकी रिपोर्ट 2 दिन बाद आई. रिपोर्ट नेगेटिव आने से IGIMS ने उन्हें भर्ती नहीं किया. इस बीच परेशानी ज्यादा बढ़ी तो उन्हें पारस अस्पताल में सीटी स्कैन कराया गया. रिपोर्ट में फेफडे में संक्रमण की पुष्टि हुई.

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'सिस्टम की नाकामी से हुई मौत'
डॉक्टरों ने उन्हें ICU में भर्ती करने को कहा लेकिन विडंबना ये कि पारस अस्पताल का एक भी ICU बेड खाली नहीं था. लाख मिन्नतें और पैरवी धरी की धरी रह गईं. मजबूरी में उन्हें इमरजेंसी वार्ड में ऑक्सीजन पर रखा गया. जब तक ICU में बेड मिला उनकी हालत चिंताजनक हो चुकी थी. कुछ घंटे वेंटिलेटर पर रहे. लेकिन समय के साथ उनकी सांसें भी थमती गईं. डॉक्टर मेवालाल चौधरी को बचा न सके.

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किस वजह से गई जान
दिवंगत मेवालाल चौधरी के सहयोगी शुभम ने कहा कि अगर समय पर RT-PCR रिपोर्ट आ जाती और समय पर इलाज शुरू हो जाता तो मेवालाल जी को बचाया जा सकता था. दिवंगत मेवालाल चौधरी के दो बेटे हैं, एक ऑस्ट्रेलिया में रहता है और दूसरा अमेरिका में. दोनों बेटों का इंतजार हो रहा है. बुधवार की सुबह दोनों बेटे पटना पहुंचेंगे इसके बाद उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा.

ऑक्सीजन की कमी बनी मुसीबत
सिर्फ मेवालाल ही अकेले नहीं है, बल्कि पटना और पूरे बिहार में आए दिन ऐसे केस बड़ी संख्या में मिल रहे हैं. RT-PCR रिपोर्ट आने में 4 दिन या उससे ज्यादा का वक्त लग रहा है. तब तक मरीजों की स्थिति बिगड़ जा रही है. ऊपर से ऑक्सीजन की कमी मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही है.

आम मरीजों का हाल भी जानिए
ऐसे ही एक आम कोरोना मरीज के परिजन दिवाकर ने बताया कि उनकी आंटी को सही समय पर ऑक्सीजन मिलता और इलाज शुरू हो जाता है तो आज वो ज़िंदा रहतीं. परेशानी ऑक्सीजन को लेकर ही नहीं है. RT-PCR रिपोर्ट के आने में देरी से लेकर अस्पतालों में दवाओं की कमी. बेड की कमी ने मरीजों को मुसीबत में डाल दिया है. सरकार ने दावे तो बहुत किए लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया.

बिहार के स्वास्थ्य सिस्टम पर सवाल
एक साल से कोरोना का कहर जारी है. सरकार एक साल से कर क्या रही थी, अब लोग ये सवाल पूछ रहे हैं. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी यही सवाल उठा रहे हैं.

'हजारों करोड़ रुपए खर्च किए आपने लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था का बंटाधार कर दिया. पटना समेत पूरे बिहार में न तो सरकारी और ना ही निजी अस्पतालों में इतनी व्यवस्था है कि लोगों को सही समय पर इलाज मिल पाए. सरकार को पहले से इसकी तैयारी करनी थी. सरकार अपनी पीठ थपथपाने में ही रह गई'- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार

क्या कहते हैं डॉक्टर?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर अजय कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि- पटना समेत पूरे बिहार में RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट आने में लंबा वक्त लग रहा है. इसके पीछे एक तो लैब में टेक्नीशियन की कमी है. आरटीपीसीआर किट भी कम हो गयी है. सरकार को तत्काल पर्याप्त संख्या में किट उपलब्ध करानी चाहिए और टेस्ट रिपोर्ट लोगों को कम समय में मिले ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए.

RT-PCR रिपोर्ट आने में वक्त लग रहा है. इसके पीछे लैब टेक्नीशियन की कमी है. ऊपर से आरटीपीसीआर किट भी कम हो गई है. सरकार को तत्काल इसपर ध्यान देना होगा- डॉक्टर अजय कुमार, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, IMA

सेन्ट्रलाइज मॉनिटरिंग सिस्टम वक्त की जरूरत
डॉ अजय कुमार ने सरकार से बिहार में तुरंत सेंट्रलाइज मॉनिटरिंग सिस्टम की शुरूआत करने की मांग की है . ताकि लोगों को एक वेबसाइट के जरिए हर समय यह जानकारी मिलती रहे कि किस जगह पर, किस अस्पताल में बेड उपलब्ध है, ताकि लोगों को जरूरत के समय इधर-उधर दौड़ना ना पड़े. उन्होंने कहा कि इस सिस्टम की रियल टाइम मॉनिटरिंग और रियल टाइम अपडेट होना चाहिए.

'बिहार में तुरंत सेंट्रलाइज मॉनिटरिंग सिस्टम शुरू होना चाहिए. इससे मरीजों को यहां-वहां भागना नहीं पड़ेगा. किस अस्पताल में बेड खाली है. इस सिस्टम के जरिए आसानी से पता चल जाएगा'- डॉ अजय कुमार वरिष्ठ उपाध्यक्ष, IMA

डॉक्टरों की सुन लो सरकार !
कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर बी बी भारती ने ईटीवी भारत को बताया कि सरकार को सबसे पहले पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि लोगों की जान बचाई जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को ऑक्सीजन सैचुरेशन पर ध्यान रखना चाहिए. सरकार से अपील की है कि अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की पर्याप्त मात्रा में सप्लाई सुनिश्चित करनी चाहिए.

सरकार को ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि आम लोगों की जान बचाई जा सके, अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई भी पर्याप्त मात्रा में सरकार सुनिश्चित करे- डॉक्टर बीबी भारती, कार्डियोलॉजिस्ट

ईटीवी भारत की अपील
ईटीवी भारत ने वर्तमान कोविड-19 को लेकर डॉक्टर से बात की. उनका साफ कहना है कि लोग घबराहट में ज्यादा परेशानी मोल ले रहे हैं. लोगों को घबराना बिल्कुल नहीं है. जिन लोगों को सर्दी खांसी या कोविड-19 कोई लक्षण है तो उन्हें अपनी जांच करानी चाहिए. जो लोग टीका लेने के योग्य हैं उन्हें टीका जरूर लेना चाहिए. क्योंकि यह पूरी तरह सुरक्षित है.

Last Updated : Apr 20, 2021, 8:25 PM IST

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