पटना: इसी साल मार्च महीने के आखिर में बिहार सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी. स्वास्थ्य मंत्री दावा कर रहे थे कि बिहार में कहीं कोई परेशानी नहीं है. अब स्थिति ऐसी है कि मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं मिल पा रहा है. अस्पतालों के बाहर बेड फुल होने की नोटिस चस्पा कर दी गई है. मरीजों को जमीन पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है. आम लोग तो परेशान हैं ही, खास लोगों की जान भी आफत में पड़ गई है. उन्हीं खास लोगों में एक बड़ा चेहरा जेडीयू विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी का था. मेवालाल के निकटतम लोगों का कहना है कि उनकी मौत सिस्टम की खामी की वजह से गई.
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काम नहीं आईं पूर्व मंत्री की मिन्नतें और पैरवी
दिवंगत मेवालाल के सहायक शुभम ने बताया कि 12 अप्रैल को मुंगेर के तारापुर में उन्होंने अपनी RT-PCR जांच कराई थी, लेकिन इसकी रिपोर्ट 16 अप्रैल की शाम को मिली. इसी बीच उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई. आनन फानन में उन्हें मुंगेर से पटना IGIMS लेकर रवाना हुए. वहां उनकी रैपिड जांच भी हुई लेकिन उनकी रिपोर्ट 2 दिन बाद आई. रिपोर्ट नेगेटिव आने से IGIMS ने उन्हें भर्ती नहीं किया. इस बीच परेशानी ज्यादा बढ़ी तो उन्हें पारस अस्पताल में सीटी स्कैन कराया गया. रिपोर्ट में फेफडे में संक्रमण की पुष्टि हुई.
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'सिस्टम की नाकामी से हुई मौत'
डॉक्टरों ने उन्हें ICU में भर्ती करने को कहा लेकिन विडंबना ये कि पारस अस्पताल का एक भी ICU बेड खाली नहीं था. लाख मिन्नतें और पैरवी धरी की धरी रह गईं. मजबूरी में उन्हें इमरजेंसी वार्ड में ऑक्सीजन पर रखा गया. जब तक ICU में बेड मिला उनकी हालत चिंताजनक हो चुकी थी. कुछ घंटे वेंटिलेटर पर रहे. लेकिन समय के साथ उनकी सांसें भी थमती गईं. डॉक्टर मेवालाल चौधरी को बचा न सके.
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किस वजह से गई जान
दिवंगत मेवालाल चौधरी के सहयोगी शुभम ने कहा कि अगर समय पर RT-PCR रिपोर्ट आ जाती और समय पर इलाज शुरू हो जाता तो मेवालाल जी को बचाया जा सकता था. दिवंगत मेवालाल चौधरी के दो बेटे हैं, एक ऑस्ट्रेलिया में रहता है और दूसरा अमेरिका में. दोनों बेटों का इंतजार हो रहा है. बुधवार की सुबह दोनों बेटे पटना पहुंचेंगे इसके बाद उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा.
ऑक्सीजन की कमी बनी मुसीबत
सिर्फ मेवालाल ही अकेले नहीं है, बल्कि पटना और पूरे बिहार में आए दिन ऐसे केस बड़ी संख्या में मिल रहे हैं. RT-PCR रिपोर्ट आने में 4 दिन या उससे ज्यादा का वक्त लग रहा है. तब तक मरीजों की स्थिति बिगड़ जा रही है. ऊपर से ऑक्सीजन की कमी मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही है.
आम मरीजों का हाल भी जानिए
ऐसे ही एक आम कोरोना मरीज के परिजन दिवाकर ने बताया कि उनकी आंटी को सही समय पर ऑक्सीजन मिलता और इलाज शुरू हो जाता है तो आज वो ज़िंदा रहतीं. परेशानी ऑक्सीजन को लेकर ही नहीं है. RT-PCR रिपोर्ट के आने में देरी से लेकर अस्पतालों में दवाओं की कमी. बेड की कमी ने मरीजों को मुसीबत में डाल दिया है. सरकार ने दावे तो बहुत किए लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया.