पटनाः पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर संग्राम छेड़ दिया है. अमिताभ दास लोगों को इसके खतरे से अगाह करा रहे हैं और तमाम जिलों का दौरा कर रहे हैं. पूर्व आईपीएस ने अंतिम दम तक यह लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है. हमारे संवाददाता ने अमिताभ दास से उनके जरिए शुरू की गई इस लड़ाई के उद्देश्य और मंशा के बारे में बात की, पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश...
प्रश्नः आपके मन में क्या इच्छा जगी कि आपने एक गैर राजनीतिक संगठन बनाया, संगठन का उद्देश्य क्या है?
उत्तर-देखिये ये पूरी तरह से गैर राजनीतिक मंच है और इसका नाम है ' बिहार विप्लवी परिषद', विप्लवी का अर्थ है क्रांतिकारी. मैं पूरे बिहार में संविधान को बचाने की लड़ाई लड़ रहा हूं. कई जिलों में घूम कर लोगों को समझाया और आगे भी मेरी कोशिश जारी रहेगी.
प्रश्नः पूरे आंदोलन पर यह आरोप है कि यह समुदाय विशेष तक सिमट कर रह गया है.
उत्तर-नहीं, ये किसी समुदाय विशेष का आंदोलन नहीं है, सिर्फ इसे बदनाम करने के लिए ऐसा कहा जा रहा है, यह कानून जो लाया गया है, यह भारतीय संविधान पर चोट है और संविधान सबका है, सिर्फ मुसलमानों का नहीं है. ये सारे हिंदुस्तानियों की लड़ाई है.
प्रश्नः सीएए कानून का स्वरूप ऐसा है कि जिससे नागरिकता दी जाएगी किसी की नागरिकता ली नहीं जाएगी, फिर आप लोग इसके खिलाफ क्यों हैं?
उत्तर-नहीं, ये झूठी बात फैलाई जा रही है कि किसी की नागरिकता छीनी नहीं जाएगी, असल मामला एनआरसी का है,जब यह बनेगा तो अधिकारियों को यह अधिकार प्राप्त हो जाएगा कि वह किसी भी नागरिक के नाम के सामने 'डी' लिख देंगे, जिसका मतलब होता है डाउटफुल सिटीजन यानि उसकी नागरिकता पर सवाल खड़े होंगे, उस वक्त ऐसे मुसलमानों को सीएए कानून के तहत नागरिकता नहीं मिलेगी. उसे डिटेनशन सेंटर में डाल दिया जाएगा जो असम में हो रहा है.