पटनाः त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद नहीं रहे. रविवार की संध्या भूतनाथ रोड स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. तीन दिन पहले ही उन्होंने अपना 94वां जन्मदिन मनाया था. जून 1995 से जून 2000 तक त्रिपुरा के राज्यपाल रहे थे. उनकी तबीयत करीब दो हफ्ते पहले खराब हो गई थी. उन्हें सांस संबंधी और उम्र संबंधी समस्याएं हो रही थी. एम्स पटना में उनका इलाज चल रहा था. त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद के निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल फागू चौहान ने शोक जताया है.
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राज्यपाल ने दी श्रद्धांजलिः राज्यपाल फागू चौहान ने त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है. राज्यपाल ने अपने शोक संदेश में कहा कि सिद्धेश्वर प्रसाद प्राध्यापक एवं कुशल राजनेता थे. उन्होंने केन्द्र एवं बिहार में मंत्री के अतिरिक्त त्रिपुरा के राज्यपाल के रूप में अपनी महत्वपूर्ण सेवा दी. उनके निधन से शैक्षणिक, सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा की चिरशांति तथा शोक संतप्त परिजनों को धैर्य, साहस एवं सम्बल प्रदान करने हेतु ईश्वर से प्रार्थना की है.
मुख्यमंत्री ने शोक जतायाः नीतीश कुमार ने कहा कि त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद का निधन दुःखद. उन्होंने केन्द्र एवं बिहार में मंत्री तथा त्रिपुरा के राज्यपाल के रूप में अपनी जिम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया था. वे हमेशा लोकतंत्र की मजबूती की बात करते थे. उनसे हमारा पुराना एवं व्यक्तिगत संबंध रहा है. उनके निधन से राजनीतिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें.
युवा सांसद रहे थे: सिद्धेश्वर प्रसाद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा था कि 'आज की राजनीति में स्वच्छ रूप से युवाओं को आगे आने की जरूरत है. आज की राजनीति में धन बल एवं पैसों वालों का बोलबाला हो गया है. हम लोग के समय में राजनीति में जनता की सेवा हुआ करता था. सबसे कम उम्र में सांसद बनने वाले पहले युवा सांसद थे. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें संविधान के प्रति दी थी जो आज गांधी संग्रहालय पटना में सुरक्षित है.
ऐसा रहा राजनीतिक सफर: प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद का जन्म 19 जनवरी 1929 को हुआ था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े थे. 1962, 1967 और 1971 में बिहार के नालंदा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने गए थे. 1983 और 1989 तक एमएलसी भी रहे. राजनीति में आने से पहले वे बिहार के नालंदा कॉलेज में प्रोफेसर थे. जून 1995 से जून 2000 तक त्रिपुरा के राज्यपाल रहे थे. 1983 से 1989 तक बिहार सरकार में मंत्री भी रहे थे. 1969 से 1970 तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे. वह एक लेखक भी थे. उन्होंने हिंदी भाषा में 22 पुस्तकें लिखी थी.