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पूर्व DGP अभयानंद ने स्वास्थ्य विभाग पर साधा निशाना, पूछा- कौन देगा कोरोना काल के सवालों का जवाब? - स्वास्थ्य विभाग बिहार सरकार

बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने स्वास्थ्य विभाग से पूछा है कि कोरोना काल के व्यापक सवालों का उत्तर कौन देगा? उन्होंने कहा कि कोरोना की इस त्रासदी में जब जनता और मीडिया दुखी होकर सवाल पूछती है तो जवाब देने के लिए मंत्री आते हैं या हॉस्पिटल के डॉक्टर. स्वास्थ्य निदेशालय जो क्रियान्वयन की जिम्मेदारी लेता है. वह विलुप्त हो चुका है.

former dgp abhayanand
पूर्व डीजीपी अभयानंद

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Published : May 27, 2021, 5:08 PM IST

पटना:बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठ रहे सवाल को लेकर स्वास्थ्य विभाग पर निशाना साधा है. उन्होंने पूछा है कि कोरोना काल के व्यापक सवालों का उत्तर कौन देगा? कोरोना का दौर अति करुणामयी होता जा रहा है. निरीह की भांति कभी समाज की विवशता को देखता हूं तो कभी सरकारी प्रतिक्रिया को.

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ध्वस्त हो गए हैं निदेशालय
अभयानंद ने अपने पोस्ट के माध्यम से कहा कि सरकार में मुख्यतः तीन स्तर होते हैं. सबसे ऊपर हैं मंत्रीगण. इन्हें नियम-कानून की बारीकियां समझाने के लिए आईएएस अधिकारी होते हैं. ये ब्यूरोक्रेसी का अंग भी होते हैं. ये दोनों मिलकर नीति निर्धारण करते हैं. इसके बाद नीति को क्रियान्वित करने के लिए उस विभाग के निदेशालय को काम दिया जाता है.

पूर्व डीजीपी अभयानंद का फेसबुक पोस्ट.

निदेशालय में उस विभाग के तकनीकी जानकार होते हैं जो नीति और तकनीक का समन्वय कर जनता के हित में काम करते हैं. सरकार के सभी विभागों का काम इसी प्रक्रिया से किए जाने का प्रावधान है, लेकिन समय के साथ पुलिस को छोड़कर सभी निदेशालय ध्वस्त हो चुके हैं.

विलुप्त हो चुका है स्वास्थ्य निदेशालय
पूर्व डीजीपी ने कहा कि पुलिस निदेशालय खाका स्वरूप ही सही, लेकिन बचा हुआ है. क्योंकि इसकी संरचना एक कानून के तहत की गई है. इसे सरकारी आदेश से निरस्त नहीं किया जा सकता है. अन्यथा इस निदेशालय का ढांचा भी ढूंढने से नहीं मिलता. यही कारण है कि कोरोना की इस त्रासदी में जब जनता और मीडिया दुखी होकर सवाल पूछती है तो जवाब देने के लिए मंत्री आते हैं या हॉस्पिटल के डॉक्टर.

स्वास्थ्य निदेशालय जो क्रियान्वयन की जिम्मेदारी लेता है. वह विलुप्त हो चुका है. यह अदृश्य रहता है. प्रश्न पास होकर सीधे अस्पताल प्रबंधन के पास आ जाता है. बहरहाल सरकार का जो भी स्तर नीतिगत निर्णय ले कर क्रियान्वयन कर रहा है उसे समाज और मीडिया के सामने सवालों के उत्तर देने के लिए आना चाहिए.

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