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'सखी सब गावेली सोहर रतिया मनोहर हो.. ललना यशोदा के भईल किशोर जी मुरली मनोहर हो', मनीषा श्रीवास्तव से सुनें कृष्ण के गीत

आज देश भर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम है. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर बिहार की लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान एक से बढ़कर एक गीत गाए और मुरली मनोहर से जुड़े प्रसंग सुनाए.

लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव
लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 7, 2023, 6:04 AM IST

लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव

पटना:बिहार में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों में विशेष तैयारी की जा रही है. कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर सोहर भी गया जाता है. इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर परलोक गायिका मनीषा श्रीवास्तवने ईटीवी भारत के दर्शकों के लिए पारंपरिक सोहर गीत गया है. मनीषा ने कहा कि कृष्ण जन्मोत्सव पर एक से बढ़कर एक सोहर गीत है. हमने पिछले साल भी और इस साल भी कई सोहर गीत अपने दर्शकों के लिए गाए हैं.

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"हम लोगों के यहां जब बच्चे का जन्म होता है तो उसमें राम और कृष्ण की छवि देखते हैं. कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर पूजा-पाठ तो होता ही है लेकिन लोकगीत के माध्यम से एक अलग भी माहौल तैयार होता है"- मनीषा श्रीवास्तव, लोक गायिका

बच्चे के जन्म के समय सोहर गीत: मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि बच्चों का जन्म होता है तो बच्चे को एक अलग कमरे में रखा जाता है. उस दौरान सौरी को लिपने-पोतने का जो काम होता है, वह बच्चे की चाची-बुआ या मौसी करती हैं. इस दौरान पारंपरिक सोहर गीत गाए जाते है, जिसमें लोग नेग के लिए अटखेलिया करती हैं. इस भी खास सोहर गीत है. 'अरे हमारा बेटा होई त तोहरा के बुलाईब नन्दो, हमरा होरिला होई त तोहरा के बुलाईब नन्दी.'

मनीषा ने गाए एक से बढ़कर एक गीत:मनीष श्रीवास्तव ने 'सखी सब गावेली सोहर रतिया मनोहर हो, ललना भइले यशोदा के भईले किशोर जी मुरली मनोहर हो' समेत कई गीत गाए. उन्होंने भगवान कृष्ण की माखन चोरी को लेकर कहा कि बचपन में सभी बच्चा कहीं ना कहीं अपनी मां को परेशान करता है. सभी बच्चे बचपन में हरकत करते हैं, उसपर भी हमने गीत गया है.

बेटी के जन्म पर सोहर गीत नहीं गाने का मलाल:मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि लोकगीत में सोहर एक ऐसा विधा है, जिसे बेटे के जन्म होने पर गा कर खुशियां मनाई जाती है. हालांकि वह ये भी कहती हैं कि विडंबना ही है कि बेटी के जन्म पर सोहर गाने की कोई परंपरा नहीं है. यह पुरुषवादी समाज की मानसिकता कहे या स्त्रियों द्वारा अपने ही रूप को नजर अंदाज करना है. इस जमाने में बेटे हो या बेटियां हो सभी के लिए एक समान नजर होना चाहिए.

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