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पेड़ पर 21 दिनों से रह रहें हैं बाढ़ पीड़ित दर्जनों परिवार, नहीं देख रही सरकार

भागलपुर के सबौर पंचायत में आई बाढ़ की चपेट में कई गांव हैं. ऐसे में एक गांव में कई लोग फंसे हुए हैं. ये लोग पेड़ पर 21 दिनों से अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. ये लोग रेस्क्यू के इंतजार में हैं. इनके पास राहत सामग्री भी नहीं पहुंची है.

पेड़ पर 21 दिनों से रह रहें हैं बाढ़ पीड़ित दर्जनों परिवार, नहीं देख रही सरकार

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Published : Oct 4, 2019, 7:04 PM IST

Updated : Oct 6, 2019, 5:19 PM IST

भागलपुर: बिहार के कई जिलों में बाढ़ आई हुई है. वहीं, भागलपुर के भी कई प्रखंड बाढ़ की चपेट में हैं. ऐसे में लाखों की आबादी मुसीबत में है. लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर जाकर हालात का जायजा लिया, तो यहां लोगों की तकलीफों की मार्मिक तस्वीर सामने आयी है. यहां लोग पेड़ पर अपना जीवन बसर कर रहे हैं.

भागलपुर के सबौर प्रखंड के अंतर्गत फरका पंचायत के बगडेर बगीचे में कई लोगों ने बाढ़ की वजह से पेड़ पर शरण ले रखी है. लोग अपने घर का सामान पेड़ से बांध रखा है. यहां जिंदगी तकरीबन 21 दिनों से कई सूखे पेड़ों की डाल पर कट रही है. लेकिन सरकार को इसकी फिक्र ही नहीं है. ये हालत किसी एक परिवार की नहीं है. यहां दर्जनों लोग ऐसे रहने को मजबूर हैं.
सूखे पेड़ पर जिंदगी, बाढ़ में फंसे लोग कई दिन से पेड़ पर जी रहे हैं.

डूब गए आशियानें

कच्चा घर और बाढ़ की मुसीबत...
तस्वीरों से साफ है कि इस प्रखंड के कई घर कच्चे हैं. वहीं, इलाके में आई बाढ़ के बाद कई लोग अपने इन्हीं कच्चे मकानों के ऊपर पेड़ के सहारे रहने को मजबूर हैं. ऐसे में लोग अपनी जान को खतरे में डालकर यहां रह रहे हैं. जाने कब इनके ये कच्चे आशियानें बाढ़ के पानी में ढह जाएं, ये कोई नहीं जानता. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे इन लोगों को सरकारी राहत नहीं मिली है.

भागलपुर से संतोष श्रीवास्तव की रिपोर्ट

तीन सप्ताह से नहीं खाया खाना...
पेड़ों पर गुजर बसर कर रहे इनमें से कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने लगभग 3 सप्ताह से खाना नहीं खाया है. किसी तरह से रूखा-सूखा खाकर अपना अपने परिवार की और अपने पशुओं की जिंदगी बचा रहे हैं. इन लोगों का गांव पूर्व में दियारा इलाके में कट गया था. इसके बाद इन्होंने अपना नया डेरा तकदीर बगीचे में बनाया. जब भी बाढ़ का समय आता है, तो इन सभी लोगों की धड़कनें तेज हो जाती हैं. इसके बाद ये लोग अपना आशियाना पेड़ पर ही बनाना शुरू कर देते हैं.

ऐसी है स्थिति

उम्मीद है कि सरकार बाहर निकालेगी- बाढ़ पीड़ित
परिवार के साथ पेड़ पर जिंदगी गुजार रहे सीताराम मंडल का कहना है कि काफी मुश्किल हालातों में परिवार समेत वो ऐसी जिंदगी जी रहे हैं. सरकार की तरफ से अभी तक कोई भी सहायता नहीं मिल पाई है. सीताराम मंडल की बकरी भी इस बाढ़ के पानी में गिर कर मर गई है. काफी मुश्किल से इनकी जिंदगी इस पेड़ पर गुजर रही है. सीताराम मंडल को उम्मीद है कि सरकारी सहायता या प्रशासन उनके साथ-साथ इस इलाके में फंसे लोगों को बाहर निकालेगा.

जुगाड़ नाव का सहारा

सांप-बिच्छु का डर...
वहीं, बाढ़ में फंसे दशरथ मंडल का कहना है कि हम लोगों की जिंदगी काफी बदतर हो गई है. बाढ़ में कई बार जहरीले सांप भी तैरते हुए पेड़ पर बने बांस की मचान पर चढ़ जाते हैं. बच्चे सांप को देखकर डर जाते हैं और घबरा जाते हैं. किसी तरह से हम लोग अपनी जिंदगी जी रहे हैं.

कच्चे घर की छत पर भी खतरा

ऐसे में यक्ष सवाल ये उठता है कि हवाई सर्वे कर निरीक्षण करने वाली सरकार को पेड़ पर गुजर बसर कर रहे इन लोगों पर नजर क्यों नहीं पड़ी. या यूं कहे कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण ये लोग 21 दिनों से बाढ़ में फंसे हुए हैं. उम्मीद सरकारी मदद की है. उम्मीद पक्के और सुरक्षित आशियाने की है.

क्या करें साहब मजबूरी है
Last Updated : Oct 6, 2019, 5:19 PM IST

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