पटना : बिहार में नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. नेपाल में हो रही बारिश के कारण नदियां उफानाने (flood in Bihar) लगी हैं. पिछले साल 15 जून से 31 अक्टूबर तक बाढ़ अभियान चलाया गया था. लेकिन, इस बार 1 जून से ही 31 अक्टूबर तक बाढ़ अवधि सरकार ने तय किया है. सीमांचल में कई छोटी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. असम में हुई बारिश का असर भी है महानंदा नदी का जलस्तर खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है. वहीं नेपाल के तराई वाले इलाकों में बारिश के कारण कोसी, गंडक, बागमती, अधवारा समूह, कमला बलान, महानंदा और खिरोई जैसी नदियों के जलस्तर में भी लगातार वृद्धि हो रही है.
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बिहार में बढ़ी बाढ़ की अवधि: जून के पहले सप्ताह में ही नेपाल के तराई इलाकों में हुई बारिश के कारण बिहार की कई नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा (Rising water level of rivers in Bihar) है. इससे जल संसाधन विभाग की चुनौती बढ़ गई है. जल संसाधन विभाग ने अपने अभियंताओं को अभी से ही अलर्ट कर दिया है. इस बार 1 जून से 31 अक्टूबर तक बाढ़ का समय जल संसाधन विभाग ने तय किया है. पहली बार इस तरह से किया गया है. 1 जून से ही नदियों के जलस्तर का डाटा भी जारी हो रहा है.
क्या कहते हैं जल संसाधन मंत्री: जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय झा इस बार तैयारी को लेकर पूछे सवाल पर कहते हैं कि मुख्यमंत्री तो खुद हर जगह पहुंच रहे हैं. पिछले दिनों सुपौल के बीरपुर में जाकर तैयारियों का जायजा लिया था. मुख्यमंत्री एक बार डिटेल रिव्यु कर चुके हैं और जून में भी मुख्यमंत्री फिर से बाढ़ की तैयारियों पर समीक्षा करने वाले हैं. संजय झा ने कहा कि बाढ़ नहीं आएगी ऐसा कोई नहीं कह सकता है. बारिश होगी तो पानी आएगा. लेकिन तैयारी की बात करें तो दो पार्ट है. एक फ्लड फाइटिंग का काम, वहां मटेरियल रखना और अलर्ट रहना. एंटी रोजन का काम है वह समय पर पूरा हो जाए तो उस पर हम लोगों की नजर है.
'टेक्नोलॉजी है मददगार': वहीं, दूसरा पार्ट है टेक्नोलॉजी का प्रयोग. इसका बेनिफिट बहुत बड़ा मिल रहा है. पिछले दो-तीन सालों से हम लोग देख रहे थे कि डाटा मिलता था तो जरूर लेकिन नीचे तक नहीं जाता था. 72 घंटा पहले हम लोग सूचना दे दे रहे हैं कि किस इलाके में कितनी इंटेंसिटी से बारिश होगी. उसका लाभ मिलना शुरू हो गया है. पटना में मैथमेटिकल मॉडलिंग सेंटर है और वहां से जो डाटा तैयार हो रहा है. 90% तक करेक्ट डेटा है. उसे सभी कलेक्टर और विभाग के इंजीनियर को उपलब्ध कराया जा रहा है. उससे फायदा यह हुआ है कि जिस इलाके में अधिक इंटेंसिटी से बारिश होने वाली है, तो वहां प्रशासन के साथ हमारे अभियंता भी पहले से अलर्ट हो जाते हैं.
'पटना में जिस प्रकार से मैथमेटिकल मॉडलिंग सेंटर है उसी तरह से फिजिकल मॉडलिंग सेंटर सुपौल के बीरपुर में तैयार किया जा रहा है. इस साल तक वह काम हो जाएगा. मुख्यमंत्री ने भी जाकर उसे देखा है. उससे काफी लाभ मिलेगा, क्योंकि अभी तक पुणे में ही फिजिकल मॉडलिंग सेंटर था. पुणे के बाद बिहार में दूसरा सेंटर होगा. पहले नदियों का अध्ययन पुणे में जाकर करना होता था. लेकिन, अब बिहार में ही इसका अध्ययन संभव होगा. इसका काफी लाभ आने वाले दिनों में मिलेगा.'- संजय झा, जल संसाधन मंत्री, बिहार
'बाढ़ से पहले तैयारी पूरी': वहीं, ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री जयंत राज ने कहा कि फ्लड पूर्व जो तैयारी होनी थी उसे विभाग ने पूरी कर ली है. सड़कों की मरम्मत को भी हम लोग प्राथमिकता देंगे. विधायकों के साथ जो बैठक में फीडबैक मिला था डैम वगैरह साफ कराने की बात थी, उसको भी हम लोगों ने करा लिया है. जल संसाधन विभाग की ओर से बाढ़ से सुरक्षा के लिए जो योजना ली गई है. उस पर 14 सौ करोड़ से अधिक की राशि खर्च होना है. इसमें जल संसाधन विभाग ने बाढ़ वाले 300 स्थलों की विशेष पहचान की है. उसके लिए 914 करोड़ की राशि की खर्च हो रही है.
15 जून से पहले कार्य पूरा करने का टास्क: समस्तीपुर में 80 , बीरपुर में 63, कटिहार में 46, मुजफ्फरपुर में 36, गोपालगंज में 48 मुख्य योजनाओं पर काम चल रहा है. 15 जून तक सभी कार्य को पूरा कर लेना है. उसके लिए टास्क पहले ही दिया जा चुका है. बिहार के सभी विधायकों, विधान पार्षदों से भी जल संसाधन विभाग ने फीडबैक भी लिया है. उस पर भी काम किया जा रहा है. मुख्यमंत्री खुद लगातार निगरानी रख रहे हैं. मई में बाढ़ से बचाव को लेकर उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की है.
बिहार में 153 दिन हुई बाढ़ की अवधि: सुपौल जाकर स्थल का भी निरीक्षण भी सीएम नीतीश कुमार ने किया है. इस महीने फिर से बाढ़ की तैयारी पर समीक्षा बैठक करेंगे. पहली बार बाढ़ की अवधि 1 जून से 31 अक्टूबर तक बिहार सरकार ने किया है. इससे बाढ़ अवधि 139 दिन से बढ़कर 153 दिन हो गया है. 1 जून से ही नदियों के जलस्तर का डाटा सभी जिलों को जारी किया जा रहा है जिससे अलर्ट बना रहे. यही नहीं बाढ़ को लेकर स्वास्थ्य विभाग को विशेष दिशा निर्देश दिया गया है. हर जिला और प्रखंड अस्पताल को 50000 पैकेट ORS देने की तैयारी है. साथ ही अस्पतालों में सांप काटने की दवा, कुत्ता काटने की दवा, जिंक टेबलेट और ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव की व्यवस्था के लिए भी तैयारी की गई है. इसके साथ ग्रामीण कार्य विभाग और पथ निर्माण विभाग को भी पहले ही निर्देश दिया जा चुका है कि बाढ़ के पानी निकलने के 24 से 48 घंटा में सड़कों का मरम्मत कर दिया जाए.
नदियों के जलस्तर का डाटा 1 जून से ही हो रहा तैयार: ऐसे तो बिहार में जुलाई के पहले सप्ताह से ही बाढ़ आती रही है, लेकिन पिछले साल 16 जून को गंडक में भारी उफान के बाद बड़े इलाके में बाढ़ आ गई थी. ये जल संसाधन विभाग के लिए भी अप्रत्याशित था. उसी को ध्यान में रखकर इस बार जल संसाधन विभाग ने पहले से ही अलर्ट भी जारी कर दिया है. पिछले साल 4.12 लाख क्यूसेक पानी गंडक में छोड़े जाने के कारण तबाही मची थी. 16 से 19 जून तक लगातार चार लाख क्यूसेक पानी गंडक में आता रहा. उसके कारण मुश्किल बढ़ी थीं और इसीलिए सरकार ने इस बार बाढ़ की अवधि 1 जून से ही तय कर दी है. लगातार नदियों का जलस्तर का डाटा भी सभी जो बाढ़ प्रभावित जिले होते हैं उन्हें भेजा जा रहा है जिससे अलर्ट बना रहे.
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