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चमचमाती राजधानी से दूर एक पटना यह भी..एक पुलिया की चाहत, एक नाव पर जिंदगी

पटना कहते ही आपके जेहन में स्मार्ट सिटी की रेस में शामिल चमचमाती राजधानी की छवि उभर जाती होगी. लेकिन इससे दूर भी एक पटना बसता है, जहां महज एक पुलिया के लिए लोग जिंदगी की जद्दोजहद कर रहे हैं. गंगा में बढ़े जलस्तर के कारण यहां बाढ़ जैसे हालात हैं. ग्राउंड रिपोर्ट...

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Published : Aug 6, 2021, 8:02 AM IST

पटनाःगंगा नदी में आई उफान (Ganga River) के कारण पटना सदर (Patna sadar) के नकटा दियारा पंचायत के बिंद टोली गांव में भी पानी घुस गया है. गांव के करीब तीन हजार से ज्यादा की आबादी बाढ़ से घिर गई हैं. घर तो घर, सड़कें भी डूब गई हैं. इस बीच ग्रामीण आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि अब तक प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है.

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बाढ़ त्रस्त ग्रामीणों ने बताया कि लोगों के घर जलमग्न हो गए हैं. सबकुछ बर्बाद हो गया है. लोगों के सामने आर्थिक तंगी की समस्या है. जान-माल बचाने के लिए लोग सुरक्षित जगहों पर पलायन करने को मजबूर हैं. लोग प्लास्टिक छारकर जीवन गुजार रहे हैं. बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए किए जाने वाले सरकारी दावे सिर्फ कागजी साबित हो रहे हैं.

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ग्रामीण कहते हैं कि क्षेत्र में एक बहुत गहरा नाला है, जो हर साल पानी से भर जाता है. इसके चलते लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है. हर बार यहां पुलिया निर्माण का आश्वासन दिया गया, लेकिन यह महज अब तक वोट का मुद्दा बनकर रह गया है. दीघा विधासभा क्षेत्र से लगातार विधायक बन रहे संजीव चौरसिया ने लोगों को गहरे नाले पर पुल निर्माण का आश्वासन भी दिया था, लेकिन वह आज तक वादा ही बना हुआ है.

ईटीवी भारत की टीम ने इलाके का जायजा लिया. इस दौरान लोगों ने बताया कि बीते 4 दिनों से क्षेत्र में गंगा का पानी बढ़ता ही जा रहा है. दर्जनों घर डूब चुके हैं. जमीन से तीन-चार फीट उपर तक पानी है. लिहाजा लोग चौकी पर खाना बनाने को मजबूर हैं. इस क्षेत्र के करीब 3 हजार की आबादी बाढ़ जैसे हालात के कारण त्रस्त हैं, और नाव से आवाजाही करते हैं.

ध्यान देने की बात ये है कि आपदा की इस घड़ी में भी अब तक प्रशासन की ओर से लोगों को किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है. ग्रामीणों के पास खाने को न तो अनाज है और न ही आने जाने के लिए अनाज. प्रशासन की इस उदासीन रवैये को लेकर लोगों में नाराजगी भी है. क्षेत्र में बाढ़ के पानी के कारण सब्जियों और फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है.

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"पिछले साल भी जब बाढ़ जैसे हालात थे और एक महिला की डिलेवरी होने वाली थी. रात का समय था. आने-जाने का कोई साधन नहीं था, जिसके कारण तड़प-तड़पकर महिला की जान चली गई. इसके बाद लोगों ने एक बैठक की जिसके बाद आपसी सहयोग से 70 हजार रूपये में एक नाव खरीदी गई. अब वही एकमात्र सहारा है."- राजकिशोर, ग्रामीण

यह इलाका दीघा विधानसभा के क्षेत्र में पड़ता है. अब तक यहां एक स्वास्थ्य केन्द्र भी नहीं है, जिससे स्वास्थ्य सुविधाएं तो नदारद हैं ही स्कूल नहीं होने के कारण शिक्षा की हालात भी चौपट है. शौचालय के अभाव में लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं, लेकिन कागज पर पटना ओडीएफ मुक्त घोषित हो चुका है.

लोगों ने बताया कि कुछ साल पहले जब वे दीघा में रहते थे, तब रेल लाइन विस्तार के तहत सभी को बिंद टोली क्षेत्र में बसा दिया गया. पर इन्हें आजतक जमीन का कागज सरकार ने नहीं दी है. बता दें कि यह इलाका पटना के कुर्जी चौक, कुर्जी होली फैमिली और कांग्रेस के पार्टी कार्यालय सदाकत आश्रम से महज थोड़ी ही दूरी पर स्थित है, लेकिन किसी की निगाह इस ओर नहीं जा सकी है.

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