पटना: बिहार में मानसून इस बार देरी से सक्रिय हुआ है. लेकिन इसके बावजूद शुरुआती मानसून में ही बिहार के कई जिले के लोगों को बाढ़ डराने लगा है. खासकर उत्तर बिहार में बहने वाली नदियों में नेपाल से पानी का आना शुरू हो गया है. नेपाल में होने वाली बारिश से गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कोसी, महानंदा जैसी नदियों का जल स्तर बढ़ता है. इन नदियों से जुड़े मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, समस्तीपुर, खगड़िया, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा और भागलपुर को अलर्ट किया गया है.
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फ्लश फ्लड का खतरा बना रहेगाः जल संसाधन मंत्री पिछले 3-4 दिनों से चंपारण, गोपालगंज सहित कई इलाकों के तटबंध का निरीक्षण किया. बाढ़ की तैयारियों को लेकर जायजा ले रहे हैं. लेकिन नेपाल में होने वाली पानी का डर उन्हें भी सता रहा है. जल संसाधन मंत्री का दावा है कि बाढ़ पूर्व तैयारी पूरी की गई है, लेकिन सिवान में गंडक नदी पर बने तटबंध यूपी से सिंचाई के पानी छोड़े जाने के बाद टूट गए. उन्होंने कहा कि नेपाल में जब तक डैम नहीं बनेगा बिहार में बाढ़ से निजात नहीं मिलने वाला है. फ्लश फ्लड का खतरा हमेशा बना रहेगा.
''बिहार से ज्यादा चिंता नेपाल साइड की बारिश है. वहां हाई डैम बनना है. अब इसके लिए भारत सरकार बात करेगी. बिहार सरकार तो बात नहीं करेगी. अभी नेपाल के प्रधानमंत्री भी आये थे. उनसे क्या बात हुई हमलोगों को पता नहीं. नेपाल में हाई डैम बन जाता तो निश्चत रूप से बिहार का मैजर एरिया बाढ़ मुक्त हो जाएगा.''- संजय झा, जल संसाधन मंत्री
नेपाल में बारिश का अंदाजा लगाना संभव नहींः बाढ़ प्रभावित उत्तर बिहार से आने वाले जदयू के मंत्री मदन सहनी का कहना है जल संसाधन विभाग के मंत्री से लेकर अभियंता और अधिकारी तक बाढ़ से सुरक्षा को लेकर काम कर रहे हैं. लेकिन बाढ़ के समय तटबंध टूटता है, क्योंकि नेपाल में कितनी बारिश होगी इसका अंदाजा लगाना संभव नहीं है. और तटबंध की भी एक सीमा होती है.
बिहार के कई इलाकों में भारी बारिशः पिछले 24 घंटा में बिहार के विभिन्न हिस्सों में भी काफी बारिश हुई है. उत्तर बिहार के कई इलाकों में अलर्ट भी जारी किया गया है. पटना में ही फुलवारी शरीफ में 145 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है. वहीं भागलपुर के तिलकामांझी में 132 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है.
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कोसी और गंडक में डिस्चार्ज बढ़ने लगाः जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोसी और गंडक में डिस्चार्ज तेजी से बढ़ रहा है. कोसी में बीरपुर बराज में 1लाख क्यूसेक से अधिक पानी पहुंच गया है. वहीं बाल्मीकि नगर बराज में 45000 क्यूसेक से अधिक डिस्चार्ज होने लगा है. अन्य स्थानों पर भी जलस्तर बढ़ रहा है. जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसी तरह बारिश होती रही तो अगले सप्ताह परेशानी बढ़ सकती है.
नदियों का बढ़ने लगा जलस्तरः बागमती नदी का सीतामढ़ी के डेंगब्रिज में जलस्तर 69. 44 मीटर है जो खतरे के निशान 71 मीटर से कुछ ही नीचे है. वहीं मुजफ्फरपुर के बेनीबाद में 47.32 मीटर जलस्तर पहुंच गया है. जबकि खतरा का निशान 48.68 मीटर है. मधुबनी, दरभंगा और समस्तीपुर में भी बागमती राइजिंग ट्रेंड में है. कोसी का जलस्तर सुपौल में 46.69 मीटर पर पहुंच गया है जबकि खतरे का निशान 47.75 मीटर है. खगड़िया में 32.34 मीटर जल स्तर पहुंच गया है, जबकि खतरे का निशान 33. 85 मीटर है. गंडक और अन्य नदियों का भी जलस्तर बढ़ रहा है.
बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य पर हो रहा खर्चः बिहार में बाढ़ से पूर्व तैयारी पर हर साल बड़ी राशि खर्च होती है. जल संसाधन विभाग की ओर से पिछले साल भी बाढ़ से बचाव की तैयारियों का दावा किया गया था. पिछले साल 334 योजनाओं के साथ बाढ़ सुरक्षा के नाम पर 893 करोड़ की राशि जल संसाधन विभाग ने खर्च किया था. इसके बाद भी कोसी, बागमती, गंडक जैसी नदियों पर बने तटबंध कई स्थानों पर टूटे. इस साल भी सरकार 1000 करोड़ से अधिक की राशि बाढ़ सुरक्षा से संबंधित कार्यों पर खर्च कर रही है. इसमें गंगा नदी के अलावे कोसी गंडक बूढ़ी गंडक महानंदा बागमती कमला बलान सोन जैसी नदियों से जुड़ी हुई योजनाएं हैं.
इतना खर्च होने के बाद भी रिजल्ट जीरोः सबसे चौंकाने वाली बात है कि सिवान में गंडक नदी पर बने तटबंध केवल सिंचाई के पानी छोड़ने के कारण टूट चुका है. इसके लिए चूहा को दोषी ठहराया जा रहा है. अब कई तटबंधों पर दबाव है. नेपाल से आने वाला पानी के कारण मुश्किल अभी से बढ़नी शुरू हो गई है. ऐसे सभी जगह अलर्ट किया गया है. अभियंताओं की छुट्टी भी रद्द की गई है. जल संसाधन विभाग में कंट्रोल रूम भी 1 जून से ही काम करने लगा है. लेकिन इसके बाद भी जिस प्रकार से जल संसाधन मंत्री की चिंता दिख रही है, ऐसे में इस बार भी बिहार सरकार की तैयारी पर नेपाल का पानी अभी से भारी पड़ता दिख रहा है.