पटना:बिहार में एक बार फिर से नदियां (Rising water level of rivers in Bihar) डराने लगीं हैं. कई जिलों में बाढ़ (flood in bihar) जैसे हालात अभी से ही देखने को मिल रहे हैं. एक बार फिर से लोगों के घर खेत खलिहान जलमग्न हो गए हैं. दरअसल बिहार में नदियों का जलस्तर(Water Level Of Rivers In Bihar) बढ़ रहा है. नेपाल ने जल ग्रहण क्षेत्र में लगातार हुई बारिश के बाद भारी मात्रा में पानी छोड़ दिया है जिसके कारण कोसी, बागमती, कमला बलान सहित कई नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है. वहीं बिहार में मानसून ने आफत को और बढ़ा दिया है. खासकर तराई इलाकों में लोगों का जीना अभी से मुहाल कर दिया है. कौन कौन से जिले में नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं विस्तार से जानें..
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सहरसा में डूबे खेत खलिहान: नौहट्टा प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों पंचायत कोसी नदी (Water Level Increases In Kosi River) के बाढ़ प्रभावित इलाके में आते हैं. यहां हजारों की आबादी वाले बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों की मुसीबतें एक बार फिर बढ़ गई है. कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद लोग अपने आशियाने को छोड़कर ऊंचे स्थान पर शरण लेने को मजबूर हैं. वहीं कोसी नदी का कटाव भी तेज हो चुका है. कब किनका घर कोसी में समा जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. नौहट्टा प्रखंड के हाटी पंचायत ,बरहरा ,बराही समेत कई इलाकों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. किसानों के भी कई एकड़ कृषि योग्य जमीन कटाव के चलते नदी में समा रहे हैं. लोगों में नाराजगी है कि प्रशासन की ओर से अब तक कटाव रोकने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं जबकि हर साल वादे किए जाते हैं.
सुपौल में बिगड़े हालात: वहीं नेपाल सीमा पर कोसी के मुहाने पर बसा सुपौल जिला हर वर्ष कोसी की विभिषिका झेलता है. इस बार भी कोसी के नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण लाखों लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. लोगों की खेती चौपट हो गयी है. तटबंध के भीतर सैकड़ों एकड़ में लगी मूंग और पटसन नदी के पानी में बह गए जबकि मवेशी पालक को पशुचारे की समस्या से जूझना पड़ रहा है. तटबंध के भीतर बसे सैकड़ों पशुपालक नाव के सहारे पशु को ऊंचे स्थान पर ले जाने को मजबूर हैं. लोगों के आवागमन का एकमात्र सहारा नाव रह गया है. कई स्थानों पर सड़कों पर नदी की तेज धार बह रही है, जिसके कारण शहर से लोगों का संपर्क टूट चुका है.
बेलागोठ गांव के करीब 80 घर नदी में समाए: नदी में डेढ़ लाख क्यूसेक पानी में ही बीते दिन दुबियाही पंचायत के बेलागोठ गांव के करीब 80 घर नदी में समा गए. जहां के लोग तटबंध पर शरण लिए हुए हैं. अब कोसी का कहर किशनपुर प्रखंड के बौराहा पंचायत के वार्ड नंबर 1, 2, 3, 11 और 12 में शुरू हो गया है. नदी उक्त वार्ड के समीप से बहने लगी है जिस कारण वहां बसे लोग अपना घर तोड़ने की तैयारी में जुट चुके हैं. कोसी नदी का डिस्चार्ज जल अधिग्रण क्षेत्र नेपाल के बराह क्षेत्र में 10 बजे सुबह (25 जून) 83 हजार 125 क्यूसेक दर्ज किया गया. वहीं कोसी बराज पर नदी का जलस्तर 01 लाख 04 हजार 755 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया.
प्रशासन का दावा : वहीं जल संसाधन विभाग व जिला प्रशासन का दावा है कि बाढ़ काल प्रारंभ होते ही चौकसी बरती जा रही है. अभियंताओं द्वारा तटबंधों की निगरानी प्रारंभ कर दी गयी है. संवेदनशील स्थलों पर रोशनी की व्यवस्था की गयी है. साथ ही निरोधात्मक कार्य भी प्रारंभ कर दिये गये हैं. हर 05 किलोमीटर पर जेई, 15 किलोमीटर पर एई और 50 किलोमीटर पर कार्यपालक अभियंता की तैनाती की गयी है. इसके साथ तटबंध के देखरेख के लिए चौकीदार की तैनाती की गई है.
3 लाख की आबादी होती है प्रभावित:जिले के 6 प्रखंड अंतर्गत करीब 36 पंचायतों में बसी लगभग 3 लाख की आबादी हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलती है. मानसून काल में घरों में पानी घुस जाता है. वहीं खेतों में लगी फसल डूब जाती है. जिसके कारण पीड़ित क्षेत्र के लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. दुबियाही पंचायत निवासी रजिया देवी का घर कोसी के कोख में समा चुका है.
"हर साल नदी के रौद्र रूप धारण करने से घर कट जाता है. इसबार भी घर नदी में समा चुका है. एक साल से किसी ने हमारी सुध नहीं ली है."- रजिया देवी, दुबियाही पंचायत निवासी