पटना: बिहार में जल जीवन हरियालीयोजना के तहत ग्रीन कवर को बढ़ाने के लिए 5 करोड़ पौधे लगाने की तैयारी जोर शोर से हो रही है. पिछले साल वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने कई अन्य विभागों के सहयोग से 2 करोड़ 51 लाख पौधे लगाने के लक्ष्य को पीछे छोड़ते हुए 3 करोड़ 91 लाख पौधे लगाए थे.
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ग्रीन कवर बढ़ाने की कवायद
बिहार के हरित आवरण को बढ़ाने के लिए पिछले कुछ सालों से हर साल सघन पौधारोपण का कार्यक्रम बिहार में चल रहा है. जल जीवन हरियाली योजना के तहत वर्ष 2021-22 में वन विभाग ग्रामीण विकास विभाग और जीविका की मदद से 5 करोड़ पौधारोपण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए तमाम तैयारियों को लेकर लगातार बैठकें भी कर रहा है. इस बार वन विभाग के साथ मुख्य भूमिका में ग्रामीण विकास विभाग, मनरेगा और जीविका हैं.
5 करोड़ पौधे लगाने की तैयारी ''जीविका दीदियों का पौधारोपण में काफी महत्वपूर्ण रोल है. उसे वह कैसे पूरा करेंगी, कैसे पूरा काम होगा और किस तरह सिस्टम काम करेगा उसे लेकर बैठक हुई है. हमें उम्मीद है कि जो लक्ष्य है उसे हम पूरा करेंगे''- बाला मुरुगन डी, सीईओ, जीविका
ग्रीन कवर बढ़ाने की कवायद ''जीविका की तरफ से जो सर्वेक्षण किया गया है, उसमें पिछले साल लगाए गए पौधों में से 50 से 60% पौधे जीवित हैं. वहीं, मनरेगा के तहत लगाए गए पौधे भी करीब 60 से 75 फीसदी तक बचे हैं. वन विभाग ने जो पौधे लगाए थे उनकी उत्तरजीविता भी 80 फीसदी तक है''- दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, वन विभाग
लोगों से पौधारोपण की अपील
वन विभाग के प्रधान सचिव ने स्पष्ट किया कि पौधे लगाने के बाद उनकी पर्याप्त देखभाल बहुत जरूरी है और इसके लिए हमने पिछली बार भी तमाम लोगों से अनुरोध किया था. इस बार भी हम जन सहयोग के तहत लगाए जाने वाले पौधों को लेकर सभी संबंधित लोगों से और संस्थाओं से अपील करेंगे कि वह जो पौधे लगाएंगे, उनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी उठाएं. ताकि पौधे ज्यादा से ज्यादा संख्या में जीवित रह सकें.
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वन विभाग ने कसी कमर
इस पूरे अभियान को सफल बनाने के लिए आगामी 15 अप्रैल को विभाग की एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है. जिसमें विभागीय मंत्री के अलावा पारा मिलिट्री फोर्सेज, रेलवे, बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, कई एनजीओ और बिजली कंपनी समेत कई अन्य संस्थाएं भी शामिल होंगी. वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से आम लोगों को 10 रुपए प्रति पौधे की दर से पौधे भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. ये पौधे विभागीय नर्सरी में उपलब्ध हैं.