पटना: बिहार लोकल बॉडी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा और बिहार स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के नेताओं की नगर विकास विभाग (Urban Development Department) के प्रधान सचिव आनंद किशोर (Principal Secretary Anand Kishore) के साथ वार्ता हुई. लेकिन पहले दौर ये बातचीत बेनतीजा रही. अब तक हड़ताल खत्म कराने को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है. देर शाम दूसरे दौर की बातचीत फिर शुरू होगी.
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बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश सिंह ने कहा कि नगर विकास विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में बातचीत काफी सकारात्मक हुई. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. उन्होंने कहा कि सफाई कर्मियों और दैनिक मजदूरों के हक की सभी बात कर रहे हैं, लेकिन निर्णय नहीं हो पा रहा है. इस वजह से हड़ताल जारी रहेगी.
'इस बार सफाई कर्मियों और दैनिक मजदूरों ने तय कर लिया है कि जब तक मजदूरों को रोजगार की गारंटी नहीं मिलती, उनका रोजगार नियमित नहीं होता, मानदेय में बढ़ोतरी नहीं होती तब तक हड़ताल जारी रहेगी. अब सरकार चाहे जो भी कुछ कर ले लेकिन यह हड़ताल बिना निर्णय के समाप्त नहीं होने वाली है'-चंद्र प्रकाश सिंह, अध्यक्ष, कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा
चंद्र प्रकाश सिंह ने ये भी कहा कि एक तरफ सरकार दलितों और वंचितों के उत्थान की बात करती है. नगर निगम और नगर निकायों के जितने भी सफाई कर्मी और दैनिक मजदूर हैं सभी वंचित और दलित समाज से आते हैं और सरकार उन्हें रोजगार की गारंटी नहीं दे रही है ऐसे में सरकार की मंशा पर सवाल उठते हैं कि क्या वह सही में दलितों और वंचितों का उत्थान चाहते हैं.
'नगर निकायों में नियमित मजदूर की संख्या काफी नगण्य है और सभी नगर निकाय दैनिक मजदूर से ही चल रहे हैं. ऐसे में चाहे स्मार्ट सिटी की बात हो या क्लीन सिटी की बात हो सभी की जिम्मेदारी इन्हीं दैनिक मजदूरों के पास है और इनके साथ सरकार का यह रवैया बिल्कुल गलत है. इन मजदूरों के मानदेय में बढ़ोतरी बेहद जरूरी है क्योंकि महंगाई काफी बढ़ गई है. 6000 से 8000 के मानदेय से महीना चलाना उनके लिए मुश्किल होता है'- चंद्र प्रकाश सिंह, अध्यक्ष, कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा
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चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा कि वह मानते हैं कि वायरल फीवर काफी फैला हुआ है और सफाई कर्मी इसी बीच अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं मगर इसके लिए पूरी तरह सरकार जिम्मेवार है सफाई कर्मी नहीं. उन्होंने कहा कि कोरोना का हवाला देकर अब सफाईकर्मियों और दैनिक मजदूरों को नहीं डराया जा सकता. दैनिक मजदूरों के हक की लड़ाई तब तक चलेगी जब तक सरकार इस पर कोई इनके पक्ष में अंतिम निर्णय नहीं ले लेती है. इस बार आश्वासन से काम चलने वाला नहीं है.