पटना:बिहार में 24 सीटों पर एमएलसी का चुनाव (MLC Elections On 24 Seats in Bihar) होना है. फिलहाल बिहार विधान परिषद में जेडीयू के सबसे अधिक 23 विधान पार्षद हैं. उसके बाद बीजेपी के सदस्यों की संख्या 16 है, जबकि आरजेडी के केवल 5 एमएलसी हैं. वहीं कांग्रेस के तीन, सीपीआई के दो विधान पार्षद हैं. इसके अलावे हम और वीआईपी के 1-1 सदस्य हैं. वैसे तो विधान परिषद की खाली हुई 24 सीटों में से ज्यादातर बीजेपी और जेडीयू के हैं लेकिन आरजेडी के लिए सदन में अपनी स्थिति मजबूत करना है तो इसमें से अधिक से अधिक सीट जीतना जरूरी होगा. इसलिए आरजेडी ने 24 में से 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार दिए हैं. केवल एक सीट लेफ्ट पार्टी के लिए छोड़ी है. इसी कारण कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार चुनाव में उतारे हैं.
ये भी पढ़ें: बिहार में ड्राइविंग सीट चाहता है RJD, लेकिन बगैर कांग्रेस के सहयोग के सफलता आसान नहीं!
दोनों गठबंधन में बिखराव:पिछले साल 2 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव के बाद आरजेडी के लिए 24 विधान परिषद सीटों का चुनाव महत्वपूर्ण है लेकिन उपचुनाव की तरह ही विधान परिषद चुनाव में भी महागठबंधन बिखर चुका है. दूसरी तरफ एनडीए में बीजेपी और जेडीयू एक बार फिर से एकजुटता के साथ इस चुनाव में लड़ने जा रही है. 12 सीट पर बीजेपी अपने उम्मीदवार दे रही है तो वहीं 11 सीट पर जेडीयू और एक सीट पर पशुपति पारस की आरएलजेपी चुनाव लड़ रही है. हालांकि एनडीए में मुकेश सहनी और जीतनराम मांझी सीट नहीं मिलने से नाराज हैं. सहनी ने तो सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की भी घोषणा कर दी है. जानकार मानते हैं कि एनडीए पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.
एनडीए ने किया जीत का दावा: जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है पंचायत प्रतिनिधि जो चुनकर आए हैं, उनमें से अधिकांश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपोर्टर हैं, क्योंकि सीएम ने त्रिस्तरीय पंचायत को लेकर जो फैसला लिया है उसके कारण ही बड़ी संख्या में आधी आबादी को मौका मिला है. उन्होंने दावा किया कि एनडीए एकजुट है और परिणाम उनके पक्ष में आएंगे. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर का कहना है कि कहीं कोई मुकाबला है ही नहीं. एक भी सीट विपक्ष को मिलने वाला नहीं है. उनका सारा गणित फेल हो जाएगा और एनडीए को बड़ी सफलता मिलेगी.
आरजेडी को भी जीत की उम्मीद: उधर, आरजेडी के प्रदेश महासचिव नागेंद्र प्रसाद सिंह का दावा है कि पंचायत प्रतिनिधि जो नव निर्वाचित हुए हैं, अधिकांश आरजेडी खेमे के हैं. पंचायत प्रतिनिधियों में नीतीश सरकार को लेकर नाराजगी भी है. इसीलिए आरजेडी को पंचायत प्रतिनिधियों का वोट मिलेगा और आने वाले समय में विधान परिषद में हमारी स्थिति बेहद मजबूत होगी.