पटना:बिहार की राजधानी पटना के धनरूआ प्रखंड के नीमा गांव में किसान इन दिनों शतावरी और महोगनी के पौधों की खेती कर रहे हैं. शतावरी का पौधा(Shatavari Plant) औषधीय गुणों वाला होता है. इसकी लकड़ी से राइफल और बड़े-बड़े नाव बनाने के काम आता है. किसान इन पौधों की खेती (Shatavari Plant Cultivation) कर स्वरोजगार की ओर उन्मुख हो रहे हैं.
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नीमा गांव निवासी कुमार आनंद एक युवा किसान हैं, जो कोरोना काल के दौरान से ही अपने घर आकर औषधीय पौधों की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. इसके साथ ही लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं. आनंद मुंबई के एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे. जहां से उन्होंने नौकरी छोड़ गांव में परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती को बढ़ावा देते हुए औषधीय प्लांट की खेती कर रहे हैं. तकरीबन 2 एकड़ में शतावरी और महोगनी पौधे की खेती कर रहे हैं. जिसके काफी औषधीय गुण हैं.
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'आधुनिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए और अपने युवाओं को जागरूक करने के लिए इन दिनों हम औषधीय खेती कर रहे हैं. इसके साथ ही मल्टी फार्मिंग को बढ़ावा दे रहे हैं. जिसमें शतावरी एवं महोगनी जो एक औषधीय प्लांट है. उसकी खेती दो एकड़ में तकरीबन ₹3 लाख रुपये की पूंजी लगाकर शुरुआत किए हैं. 18 महीने में यह पौधा तैयार हो जाएगा. इसकी मार्केटिंग भी हो सकती है.'-कुमार आनंद, किसान