पटना: बिहार इन दिनों प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेल रहा है. एक तरफ जहां राज्य के 12 जिले बाढ़ से परेशान है, वहीं दूसरी तरफ 16 जिले सूखे की मार झेल रहे हैं. इससे राज्य के किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार के योजनाओं का लाभ किसानों तक नहीं पहुंच रहा है. जबकि राज्य सरकार हर आपदा से निपटने का दावा कर रही है.
बाढ़-सुखाड़ पर विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना राज्य के 16 जिले सूखे की चपेट में हैं. किसानों ने अबतक 30 लाख हेक्टेयर भूमि में धान के बिचड़े डाल दिए हैं. जबकि राज्य सरकार की ओर से 33 लाख हेक्टेयर भूमि में रोपनी का लक्ष्य रखा गया था. सरकार के दावों के मुताबिक लगभग 99% लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है. लेकिन धरातल पर नहीं दिख रहा है. वहीं, सरकार की ओर से मक्का के लिए 4 लाख 24 हजार हेक्टेयर भूमि पर बुआई का लक्ष्य रखा गया था. अब तक 85% भूमि पर बुआई हो चुकी है. कुल मिलाकर 3 लाख 64000 हेक्टेयर भूमि पर मक्के की बुआई हो चुकी है.
बाढ़ और सूखे से किसान हैं परेशान- हम प्रवक्ता
हम प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा है कि राज्य में किसान बाढ़ और सूखे के कारण भूखे मर रहे हैं. खेतों में फसल बुआई नहीं हो रही है. एक तरफ बाढ़ के कारण खेत पानी में डूबे हैं तो वहीं दूसरे ओर खेतों में सिंचाई के लिए पानी नहीं है. लेकिन सरकार धारा 370 पर वाहवाही बटोर रही है.
सूखे से निपटने के लिए रोडमैप तैयार- कृषि मंत्री
कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि हमने सूखे से निपटने के लिए पूरा रोडमैप तैयार कर लिया है. जहां भी खेत में सूखे की स्थिति होगी वहां किसानों को हम कम समय में उत्पादन होने वाले सब्जियों और फसलों के बीज मुफ्त उपलब्ध कराएंगे. सरकार 15 अगस्त तक इंतजार करेगी और तब तक पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जाएगा. वहीं, किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से अनुदान की राशि दे दी जाएगी.