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स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एक साल में नवविवाहित जोड़ों के बीच बांटा गया 64799 नई पहल किट - बिहार में परिवार कल्याण कार्यक्रम

बिहार में परिवार कल्याण कार्यक्रम की सफलता के लिए नवविवाहित जोड़ों को जागरूक किया जा रहा है. जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य के लिए विभाग के द्वारा नवविवाहित जोड़ों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं और इस कार्यक्रम के तहत नवविवाहित जोड़ों को पटना में 'नई पहल किट' दिया जा रहा है.

स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एक साल में नवविवाहित जोड़ों के बीच बांटा गया 64799 नई पहल किट
स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एक साल में नवविवाहित जोड़ों के बीच बांटा गया 64799 नई पहल किट

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Published : Jun 12, 2022, 11:06 PM IST

पटना: प्रदेश में परिवार कल्याण कार्यक्रम की सफलता के लिए नवविवाहित जोड़ों को जागरूक किया जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत नवविवाहित जोड़ों को 'नई पहल किट' दिया जा रहा है. 'नई पहल किट' में एक जूट का बैग होता है, एक ग्रूमिंग बैग होता है और साथ ही साथ विवाह पंजीकरण फॉर्म होता है और किट के इस्तेमाल संबंधित लिखित जानकारी होती है. ग्रूमिंग बैग में तोलिया, कंघी, बिंदी, नेल कटर, दो सेट रुमाल और एक छोटा आईना शामिल होता है, साथ ही साथ इस बैग में गर्भनिरोधक गोलियां और प्रेग्नेंसी जांच किट भी होती है.

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नई पहल किट: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि राज्य के प्रत्येक जिलों में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा नवविवाहित जोड़ों के बीच नई पहल किट का वितरण किया जा रहा है. किट का वितरण आशा कार्यकर्ताओं द्वारा कराया जा रहा है और प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 64799 नवविवाहित जोड़ों को नई पहल किट का वितरण किया गया है. इस किट के माध्यम से नवविवाहित जोड़ों को परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों के इस्तेमाल के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है. सारण जिले में सर्वाधिक 9696 किट, पश्चिम चंपारण में 3265 किट, पूर्णिया में 2943 किट और बेगूसराय में 2305 किट का वितरण किया गया है.


बिहार में घटी प्रजनन दर: स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि बिहार में 2005 में प्रदेश का प्रजनन दर 4.2 था जो अब घटकर के 2.97 पर आ गया है. देश का कुल प्रजनन दर 2 हो गया है, जो जनसंख्या के स्थिरीकरण को दर्शाता है. अब यही लक्ष्य बिहार के लिए भी है ताकि बिहार में भी जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर चल रहे प्रयासों को कामयाब किया जाए. स्वास्थ्य विभाग इसके लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और परामर्श देने के लिए कार्य लक्षित परिवारों के बीच जाकर कर रहा है.

'कंडोम का इस्तेमाल करना सबसे बेहतर उपाय': कंडोम का कोई साइड इफेक्ट नहीं है ऐसे में गर्भनिरोध के लिए जरूरी है कि पुरुष अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल करें. अपनी महिलाओं को स्वस्थ रखें. महिलाएं भी पिल्स का इस्तेमाल करना कम करें क्योंकि यह पिल्स ब्रेस्ट कैंसर के साथ-साथ सर्वाइकल कैंसर का भी एक कारक होता है. उन्होंने कहा कि अनचाही प्रेगनेंसी को रोकने के लिए पुरुषों द्वारा कंडोम का इस्तेमाल ही सबसे बेहतर तरीका है.

एनएचएफएस की रिपोर्ट: गौरतलब है कि इससे पहले हुए सर्वे में आगे कहा गया है कि गर्भनिरोधक विधि का ज्ञान भारत में लगभग सार्वभौमिक है. वर्तमान में विवाहित महिलाओं और 15-49 आयु वर्ग के पुरुषों में से 99 प्रतिशत से अधिक गर्भनिरोधक की कम से कम एक विधि जानते हैं. वर्तमान में विवाहित महिलाओं में से आधे से अधिक 52 प्रतिशत और पुरुष 52 प्रतिशत आपातकालीन गर्भनिरोधक के बारे में जानते हैं. वर्तमान में विवाहित महिलाओं में से आधे से अधिक और वर्तमान में विवाहित पुरुषों में से एक चौथाई से अधिक लैक्टेशनल एमेनोरिया विधि (एलएएम) के बारे में जानते हैं.

35 प्रतिशत पुरुषों का कहना है कि गर्भनिरोधक अपनाना महिलाओं का काम :ताजा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की रिपोर्ट के अनुसार करीब 35.1 प्रतिशत पुरुषों का मानना ​​है कि गर्भनिरोधक अपनाना 'महिलाओं का काम' है जबकि 19.6 प्रतिशत पुरुषों का मानना ​​है कि गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली महिलाएं ‘स्वच्छंद’ हो सकती हैं. एनएफएचएस -5 सर्वेक्षण में देश के 28 राज्यों और आठ केंद्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों से करीब 6.37 लाख नमूना घरों में आयोजित किया गया. सर्वेक्षण में 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों को शामिल किया गया.

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