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इनकी मजबूरी देखिए, रिक्शे पर ही दिल्ली से बिहार के ल‍िए निकला ये परिवार

पूरे देश मे लॉक डाउन होने की वजह से परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से बंद है. ऐसे में कुछ पैदल ही निकल पड़े हैं, तो कुछ अपने रिक्शा पर सवार होकर निकल पड़े हैं.

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Published : Mar 27, 2020, 3:27 PM IST

Updated : Mar 27, 2020, 9:24 PM IST

नई दिल्ली/पटना: देश में कोरोनावायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लागू कर दिया गया है, लेकिन इससे लाखों दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक, गरीबों की जिंदगी मुश्किलों से घिर गई है. हालांकि सरकार की तरफ से मुश्किलों का हल खोजेंगे की हर कोशिश की जा रही है. बावजूद इसके कुछ लोग परेशानियों का हल ढूढ़ने में नाकामयाब होने के बाद अपने अपने घरों की तरफ चल पड़े हैं.

रिक्शे पर निकला दिल्ली से बिहार के लिए एक परिवार
ऐसा ही एक परिवार बिहार के मोतिहारी जिले के हरेंद्र महतो का है. हरेंद्र पूरा कुनबा लेकर दिल्ली से मोतिहारी के लिए बुधवार को ही निकल पड़े हैं. उनके साथ पांच और परिवार हैं. तीन रिक्शों पर सवार हरेंद्र अपने परिवार के सदस्यों और कुनबे के साथ सामान लादकर गांव की तरफ चल पड़े हैं. पांच परिवारों की समूची गृहस्थी तीन रिक्शों पर सिमट गई है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मोतिहारी से फोन पर हरेंद्र के भाई गिरिधारी ने बताया कि भैया दिल्ली में रिक्शा चलाते हैं, उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है. ऐसे में वो क्या करते, क्या खाते और क्या अपने परिवार को खिलाते. लिहाजा, उन्होंने घर वापसी का निर्णय लिया. उनके साथ पांच और परिवार हैं जो तीन रिक्शों पर दिल्ली से मोतिहारी आ रहे हैं.

'5-7 दिन लग ही जाएंगे'
गिरिधारी ने आगे बताया कि रिक्शा चलता रहा तो पांच से सात दिन लग हीं जाएंगे यहां आने में और अगर रोक लिया गया तो फिर भगवान ही मालिक. अभी फिलहाल उनके पास दो दिन के खाने का सामान है. बता दें कि दिल्ली से मोतिहारी की दूरी लगभग एक हजार किलोमीटर है.

मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या
हरेंद्र कितने दिनों में पहुंचेंगे, कहना मुश्किल है, लेकिन ये सिर्फ हरेंद्र की कहानी नहीं है. दूसरे राज्य कमाने आए हर लोगों की लगभग यही कहानी है. घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर रहने वाले हजारों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आन पड़ी है. दिल्ली की सड़कों पर काम नहीं और घर लौटने के लिए कोई साधन नहीं है. ऐसे में मजदूरों के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई की स्थिति है. मरता क्या न करता, जैसे-तैसे घर वापसी के लिए लोग चल पड़े हैं.

Last Updated : Mar 27, 2020, 9:24 PM IST

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