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Holli 2023: गांव-गांव में फगुआ गीतों की बही बयार, होलाष्टक आज से शुरू - ईटीवी भारत न्यूज

होली का रंग धीरे-धीरे चढ़ने लगा है. अब कुछ ही दिन होली में शेष रह गए हैं. ऐसे में गांव-गांव में फगुआ गीत शुरू (Fagua song started in villages regarding Holi 2023) हो गया है. वहीं आज से होलाष्टक भी शुरू हो गया है. पढ़ें पूरी खबर..

होली को लेकर गांवों में फागुआ गीत शुरू
होली को लेकर गांवों में फागुआ गीत शुरू

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Published : Feb 27, 2023, 12:02 AM IST

होली को लेकर गांवों में फागुआ गीत शुरू

पटना: रंगों का त्योहार होली में अब महज चंद ही दिन शेष बचे हैं. ऐसे में बिहार के गांवों और गली मुहल्लों में होली की चौपाल न जमे यह मुनासिब नहीं है. इन दिनों हर गांव में फाग की चौपाल जम रही है. वहीं सोमवार से होलाष्टक भी शुरू (Holashtak starts from today) हो जाएगा. इसमें होली का धमाल मचा रहा है, ढोलक झाल के साथ यह चौपाल शाम ढलते ही परवान चढ़ती है जो देर रात तक जवान रहती हैं. गांव-गांव में इन दिनों फगुआ की बयार बह चली है. फाग गीतों का परवान सिर चढ़कर बोल रहा है.

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ढोल-झाल की थाप पर चढ़ रहा फगुआ का रंगःढोलक झाल के साथ यह चौपाल कहीं अबीर तो कहीं गुलाल उड़ रहे हैं. युवाओं की टोली भक्ति रस में डूब रही है युवाओं की टोली श्रृंगार रस झूम रही है. इन चौपालों की धुन में माहौल को होलीयाना बना दिया है. होली के चौपाल में जब पारंपरिक फगुआ के गीत गूंजते हैं तो लोग होली के मस्ती में सराबोर होते हैं. पटना के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों पूरा इलाका होलियाना मूड में दिख रहा है.

हर गांव में चौपाल पर जम हो रहा फागः हर गली, मोहल्ले, टोला में फगुआ गायन चल रहा है. इस चौपाल ने गांव में आपसी प्रेम सौहार्द का भाईचारा बना रखा है. गांव के लोगों की माने तो यह परंपरा सदियों गांव से चली आ रही हैं.मसौढ़ी के विभिन्न गांव टोला मुहल्ले में इन दिनों सज रहा है. फगुआ का चौपाल, होली का धमाल और चारों तरफ फगुआ बयार इस कदर बढ़ गई है कि हर कोई फाग गीतों के रंगों के सरोवर में झाल कीर्तन ढोलक के साथ मस्ती में दिख रहे हैं. मसौढ़ी, धनरूआ, पुनपुन के विभिन्न इलाकों में जोगीरा सरा सरा....रर की धुन से सुनाई दे रही है.

"फगुआ बसंत ऋतु के आगमन के साथ शुरू हो जाती है. फागुन में प्रकृति भी अपना सौंदर्य बिखेरती नजर आती है. इस कारण इस समय हर तरफ खुशनुमा माहौल रहता है. बंसत आने के साथ ही फाग शुरू हो जाता है"-चंदेश्वर सिंह, दरियापुर,मसौढी

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