पटना: राजधानी पटना में इस बार बारिश और जलजमाव से लोगों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है. हालांकि सरकार की तरफ से अभी तक नुकसान को लेकर किसी तरह का असेसमेंट नहीं किया गया है. लेकिन, विशेषज्ञ इसे 1975 में आई बाढ़ के बाद सबसे बड़ा नुकसान बता रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह नुकसान हजारों करोड़ की राशि से कम नहीं है.
स्थानीय निवासी की व्यथा
राजेंद्र नगर निवासी आंचल कपूर ने बताया कि राजेंद्र नगर, कंकड़बाग सहित दर्जनों मोहल्ले में भीषण जलजमाव का नजारा देखने को मिला. लोगों की गाड़ियां, घर के कीमती सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान सब बर्बाद हो गया. उन्होंने कहा कि यहां तक बैंकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा. स्थानीय निवासी ने बताया कि व्यवसायियों का व्यवसाय ठप हो गया. दुकान का सारा सामान भी बर्बाद हो गया. लेकिन सरकार की तरफ से कुछ नहीं मिला. उन्होंने कहा कि इसको लेकर लोगों ने अपना विरोध भी जताया. इसके बाद भी सरकार की तरफ से न तो इन नुकसान का कोई असेसमेंट किया गया और ना ही किसी तरह की मदद की अब तक आश्वासन ही दिया गया.
'1975 से ज्यादा हुआ नुकसान'
इस संबंध में आर्थिक विशेषज्ञ प्रो. एन के चौधरी ने ईटीवी भारत से कहा कि पटना में हुए जलजमाव से नुकसान को 1975 के बाद सबसे बड़ा नुकसान है. आर्थिक विशेषज्ञ प्रोफेसर एन के चौधरी के अनुसार लोगों का सामान तो बर्बाद हुआ ही साथ ही कई दिनों तक उनका व्यवसाय भी ठप रहा. जिससे और भी नुकसान उठाना पड़ा. उन्होंने कहा कि सरकार को इस नुकसान का एक असेसमेंट कराना चाहिए. यह नुकसान हजार करोड़ से कम का नहीं होगा.