पटना: बिहार में हाल ही में जहरीली शराब (Poisonous liquor) से 60 से ज्यादा लोगों की हुई मौत के बाद सरकार और प्रशासन अलर्ट हो गया है. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अध्यक्षता में इसको लेकर समीक्षा बैठक (Review Meeting On liquor Ban) हो रही है. लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि जब बिहार में 2016 से ही पूर्ण शराबबंदी है, इसके बावजूद भी सूबे में अब तक लगभग 125 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से कैसे हुई?
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से शराबबंदी (Prohibition) को लेकर समीक्षा कर रहे हैं. विपक्ष भी इस मुद्दे को लेकर लगातार सरकार (Government of Bihar) पर हमलावर है. बड़ा सवाल उठाते हुए विपक्ष पूछ रहा है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद भी कैसे अवैध शराब बिहार पहुंच रहा है और बनाया जा रहा है. क्या बिना प्रशासन की मिलीभगत से बिहार में शराब पहुंचना या बनाया जाना मुमकिन है.
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शराबबंदी की समीक्षा को लेकर पॉलिटिकल एक्सपर्ट ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया (Experts Opinion) कि निश्चित तौर पर नीतीश कुमार द्वारा किए जा रहे शराबबंदी को लेकर समीक्षा का परिणाम सही साबित होगा. दरअसल शराबबंदी कानून को लागू करवाने को लेकर प्रशासन द्वारा क्या कुछ कदम उठाए जा रहे हैं, इसकी वह समीक्षा कर रहे हैं. इसके साथ साथ शराबबंदी कानून के तहत कर्तव्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर गाज भी गिर सकती है.
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हालांकि पहले भी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की जा चुकी है. नीतीश कुमार आज समीक्षा बैठक के दौरान सभी जिले के डीएम, पुलिस अधीक्षक, पुलिस मुख्यालय के अधीक्षक, संबंधित मंत्री के साथ समीक्षा बैठक कर रहे हैं. इस समीक्षा बैठक में बिहार में कैसे शराब पहुंच रहा है और विपक्ष द्वारा जो आरोप लगाए जा रहे है, उन तमाम चीजों पर चर्चा की जा रही है.
पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉक्टर संजय की मानें तो बिहार सरकार को शराबबंदी कानून को सही ढंग से पालन करवाने के लिए संबंधित जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक को जिम्मेदारी देनी पड़ेगी. तभी जाकर सभी जिले के पुलिसकर्मी और प्रशासनिक महकमे के लोग सही ढंग से शराबबंदी कानून का पालन करवा सकेंगे.
"बिना पुलिसकर्मी की मिलीभगत से दूसरे राज्य से शराब की खेप नहीं पहुंच सकती है. इसको कहीं ना कहीं जदयू के नेता भी मानते हैं. शराबबंदी कानून लागू होने के बाद भी जहरीली शराब से हो रही मौत को लेकर विपक्ष एकजुट होकर सरकार पर हमलावार है, जिसके बाद सरकार को मजबूरन समीक्षा करना पड़ रहा है."- डॉ संजय कुमार, पॉलिटिकल एक्सपर्ट
गौरतलब है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक 3 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. 55 लाख लीटर देसी शराब और 100 लाख लीटर विदेशी शराब जब्त की गई है. 700 से ज्यादा पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई, 400 से अधिक सरकारी कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. वहीं 200 से अधिक की बर्खास्तगी और 60 से अधिक थानाध्यक्षों को शराब मामले की वजह से हटाया जा चुका है लेकिन सबके बावजूद 2021 की बात करें तो अब तक जहरीली शराब से पीकर मरने वालों की संख्या 100 से अधिक हो चुकी है.