पटनाः कोटा से बिहार के बच्चों को वापस लाने का मामला नीतीश कुमार के लिए गले की फांस बन गई है. मामले में विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावार है. नीतीश सरकार के फैसले से बीजेपी की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं. बीजेपी के नेता नीतीश कुमार को इस पर फिर से विचार करने की सलाह दे रहे हैं. वहीं, विषेशज्ञों का भी कहना है कि नीतीश कुमार बीजेपी का विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं.
'बिहार की स्थिति यूपी से बहुत बेहतर नहीं'
बीजेपी के नेता अरुण सिन्हा ने कहा कि कोटा में पढ़ रहे बच्चे हमारे राज्य के हैं और सरकार को इसपर फिर से पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा बीच का रास्ता निकालना चाहिए कि लाठी भी न टूटे और सांप भी मर जाए. अरुण सिन्हा ने कहा कि बिहार की स्थिति यूपी से बहुत बेहतर नहीं है. लेकिन वहां भी बच्चे लाए गए और सब ठीक है.
विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं नीतीश
वहीं, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने कहा कि आदर्श की बात करना और व्यवहार में चीजों को देखना दोनों अलग है. उन्होंने कहा कि यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी ने बिना गृहमंत्री और केंद्रीय नेतृत्व के अनुमति के फैसला नहीं लिया होगा. डीएम दिवाकर ने कहा कि पहले भी कई मुद्दों पर नीतीश दिखाने के लिए विरोध करते रहे हैं लेकिन फिर उन्हें बैक फूट पर आना पड़ा. वह फिलहाल बीजेपी का विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं.
बच्चों को अलग-अलग बुलाने में नहीं होगी परेशानी
विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि कोटा से एक साथ बच्चों को लाना जोखिम भरा हो सकता है. लेकिन यदि गार्जियंस को अलग अलग पास देकर बच्चों को बुला लिया जाए तो उसमें कोई परेशानी नहीं होगी.
फंसे हैं 6500 बच्चे
बता दें कि राजस्थान के कोटा में बिहार के 6500 बच्चे लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए हैं. सरकार ने नियम के उल्लघंन होने की बात कह कर उन्हें वापस लाने से मना कर दिया. जिसके बाद बीजेपी विधायक अनिल सिंह बेटी को विशेष पास निर्गत करा कर पटना ले आए. तभी से मामले पर सियासत तेज हो गई है.