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कोरोना वायरस से कैसे बच सकती हैं गर्भवती महिलाएं, जानिए एक्सपर्ट की राय

डॉ. शिखा रानी ने कहा कि अभी के समय गर्भवती महिलाएं घर में डिलीवरी कराने की बिल्कुल भी कोशिश ना करें और संस्थागत प्रसव पर ध्यान दें, जब प्रसव पीड़ा शुरू हो तो अस्पताल पहुंचे. क्योंकि घर में प्रॉपर हाइजीन मेंटेन नहीं हो पाता है और अस्पतालों में सभी कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो किए जाते हैं.

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Published : Nov 25, 2020, 10:23 PM IST

Updated : Nov 25, 2020, 10:48 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना के 'सेकंड वेव' की आशंका बन रही है और ठंड का मौसम भी शुरू हो गया है. कोरोना इंफेक्शन एक महामारी है जो गर्भवती महिलाओं में ज्यादा गंभीर रूप से देखी जा सकती है, क्योंकि उनकी इम्युनिटी आम महिलाओं की तुलना में कमजोर होती है. शरीर में बहुत से बदलाव आने की वजह से गर्भवती महिलाओं को इस समय ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए. ईटीवी भारत संवाददाता ने पीएमसीएच की डॉक्टर डॉ. शिखा रानी से बातचीत की.

एक्सपर्ट की राय

पीएमसीएच की डॉक्टर शिखा रानी ने कहां कि ठंड के मौसम में कोई भी संक्रमण की बीमारी ज्यादा फैलती है और प्रदेश में कोरोना के 'सेकंड वेव' की लहर भी कई जगह देखने को मिल रही है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाएं खासकर जो गर्भावस्था के तीसरे और आखिरी चरण में है. उनमें हाइपरटेंशन, हाई बीपी जैसे कई कोमोरबिडिटी के लक्षण पाए जाते हैं. उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.

कोरोना से बचाव के तीन प्रमुख नियम
ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉक्टर डॉ. शिखा रानी ने कहा कि कोरोना से बचाव के जो तीन प्रमुख नियम है, हाथ साफ रखना, चेहरे पर मास्क का प्रयोग करना और सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करना. इन तीन नियमों को गर्भवती महिलाओं को गंभीरता से पालन करने की जरूरत है. इसके अलावा गर्भावस्था के आखिरी समय में गर्भवती महिलाएं नियमित प्राणायाम करें और घर में समय-समय पर टहलते रहें. उन्होंने कहा कि इससे फेफड़ा भी स्वस्थ रहेगा और प्रसव में भी आसानी होगी.

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'नवजात को बेवजह छूने से बचें'
डॉ. शिखा रानी ने कहा कि अभी के समय में गर्भवती महिलाएं घर में डिलीवरी कराने की बिल्कुल भी कोशिश ना करें और संस्थागत प्रसव पर ध्यान दें, जब प्रसव पीड़ा शुरू हो तो अस्पताल पहुंचे. क्योंकि घर में प्रॉपर हाइजीन मेंटेन नहीं हो पाता है और अस्पतालों में सभी कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो किए जाते हैं. इसके अलावा जब प्रसव हो जाता है तो नवजात को किसी के भी हाथों में बेवजह ना दें और उसे बेवजह छूने से बचें.

'चेहरे पर मास्क होना अनिवार्य'
पीएमसीएच की डॉक्टर डॉ शिखा रानी ने कहा कि जब भी नवजात को छुएं, तो यह ध्यान रखें कि हाथ अच्छी तरह से साफ हो. घर के किसी सदस्य को नॉर्मल फ्लू भी है तो उसे बच्चे के पास ना जाने दें. उन्होंने कहा कि अभी ठंड का मौसम चल रहा है और नवजात शिशु में निमोनिया होने का खतरा भी सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में नवजात शिशु को लेकर विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है. डॉ शिखा रानी ने कहा कि अभी के समय जब माताएं अपने नवजात को ब्रेस्टफीडिंग कराएं. तब यह ध्यान रखें कि माता के चेहरे पर अनिवार्य रूप से मास्क हो. उन्होंने कहा कि प्रसव के बाद महिलाओं के खानपान के रूटीन में थोड़ा बदलाव होता है. तो उन में हल्की सर्दी जुकाम के लक्षण आ जाते हैं.

'कोविड-19 के प्रोटोकॉल करें पालन'
डॉ. शिखा रानी ने कहा कि जिस घर में भी नवजात है उस घर में यदि कोई बाहर से काम करके आता है तो कोशिश यह करें कि वह अपने कपड़े को घर से बाहर ही रखें और अच्छी तरह से नहा धो लेने के बाद ही नवजात के करीब जाएं. उन्होंने कहा कि जिस घर में गर्भवती महिलाएं और नवजात बच्चे हैं वह कोविड-19 के प्रोटोकॉल को स्ट्रिक्टली फॉलो करें और अगर संभव हो तो गर्भवती महिलाएं और नवजात कुछ दिनों के लिए घर में आइसोलेट होकर ही रहें.

Last Updated : Nov 25, 2020, 10:48 PM IST

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