पटना:बिहार के कामेश्वर चौपाल का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है. सन् 1989 ई. में जब अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद ने राममंदिर निर्माण की आधारशिला रखी तो पहली ईंट कामेश्वर चौपाल ने ही रखी थी. केंद्र सरकार ने हाल ही में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के लिए 15 सदस्यों के नाम का ऐलान किया है. जिसमें इनका नाम भी शामिल है.
ईटीवी भारत बिहार के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने कामेश्वर चौपाल से खास बातचीत की. जहां उन्होंने कामेश्वर चौपाल से राम मंदिर निर्माण की योजानाओं और तैयारियों पर उनकी राय जानी.
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर बातचीत का पहला अंश पढ़ें:'गर्भगृह से शुरू होगा अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण का काम, विराजेंगे भगवान राम'
बातचीत का दूसरा अंश निम्नलिखित है :
सवाल:पटना महावीर मंदिर के सचिव किशोर कुणाल ने राम मंदिर निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है. पहली किस्त 2 करोड़ लेकर वे अयोध्या पहुंचे भी लेकिन, डीएम ने मना कर दिया. क्या नया ट्रस्ट मंदिर निर्माण के लिए दूसरे धार्मिक संगठनों से मदद लेगा ?
जवाब: देखिए, मंदिर बनाने के लिए अनेकों सामर्थ्यवान व्यक्ति हैं देश में, जो अकेले मंदिर बना सकते हैं. लेकिन, हम राम मंदिर से पूरे देशवासी को जोड़ना चाहते हैं. हमारी इच्छा है कि सभी रामभक्तों का त्याग और समर्पण मंदिर में लगे. क्योंकि जब तक वह नहीं लगेगा तब तक मंदिर केवल स्वरूप सुंदर होगा लेकिन, भव्यता नहीं आ पाएगी. हम समस्त राम भक्तों से मदद का अनुरोध करेंगे.
सवाल:कुल कितना खर्च आ सकता है राम मंदिर के निर्माण में?
जवाब:अभी तो ऐसा कोई अनुमान नहीं लगाया गया है. हमने केवल मंदिर का स्वरूप सोचा है. विशेषज्ञों से इस पर चर्चा की जाएगी फिर उस अनुसार खर्च पता चल पाएगा.
सवाल: राम मंदिर के आर्किटेक्ट कौन होंगे?
जवाब:देश के सुप्रसिद्ध आर्किटेक्ट और गुजरात निवासी चंद्रकांत सोमपुरा सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उन्होंने सोमनाथ मंदिर और अक्षरधाम मंदिर जैसे नमूने दिए हैं. उन्हें ही राम मंदिर निर्माण का जिम्मा दिया गया है. वे लगातार काम भी कर रहे हैं.
सवाल:राम मंदिर निर्माण में क्या किसी विदेशी आर्किटेक्ट की भी मदद ली जाएगी ?
जवाब: नहीं, मंदिर के स्वरूप में किसी विदेशी आर्किटेक्ट की कोई भूमिका नहीं होगी. हां, तकनीक के क्षेत्र में मदद जरूर ली जाएगी. कारण ये है कि ईंट उठाने की स्थिति वहां नहीं है. बड़े-बड़े पत्थर हैं जो मशीन से ही इस्तेमाल हो पाएंगे.
सवाल:मंदिर परिसर में शहीद स्मारक और अन्य स्थल बनाने की भी बात चल रही है, इस पर कोई जानकारी दें?
जवाब: जी, ऐसा प्रपोजल जरूर आ रहा है और भी कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. हम इस क्षेत्र को सभी की मन की कल्पना के अनुरूप बनाना चाह रहे हैं. जहां कितना भी दुखी, कितना भी हताश-निराश आदमी आए वह रिचार्ज और संतुष्ट हो जाए. हर एक के लिए विचार किया जा रहा है. ट्रस्ट् विचार करेगा.
कामेश्वर चौपाल, राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के सदस्य सवाल:अमूमन हिंदू तीर्थस्थलों पर एक विशेष वर्ग हावी रहता है जो लूट-खसोट मचाए रहता है. जिससे तीर्थयात्री निराश होकर लौटते हैं. राम मंदिर इन सब से कितना इतर होगा?
जवाब:वहां ऐसा कुछ नहीं होगा. मंदिर संचालन में इस प्रकार की व्यवस्था की जाएगी. मंदिर प्रबंधन में ऐसा प्रबंध जरूर किया जाएगा.
सवाल:बाहर दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने का इंतजाम होगा?
जवाब:अवश्य, मंदिर ट्रस्ट ऐसे सभी पहलूओं पर विचार करेगा. जिससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को तकलीफ ना हो. उन्हें सारी सुविधाएं मिलें. चूंकि ये एक विश्वस्तरीय मंदिर होगा इसलिए यहां ऐसा बंदोबस्त किया जाएगा जिससे विदेशों से आने वाले लोगों को भी तनिक भी परेशानी नहीं हो.
सवाल:अयोध्या में कुछ संत इस बात को लेकर धरने पर बैठे हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संचालक को परमाध्यक्ष बनाया जाए ट्रस्ट का, क्या आप इससे सहमत हैं?
जवाब:जैसा मैं समझता हूं जिनका नाम संत ले रहे हैं वे कभी इसके लिए सहमत ही नहीं होंगे. क्योंकि उन्हें पद, प्रतिष्ठा का कोई लोभ नहीं है. वे खुद ही इसके लिए राजी नहीं होंगे.
सवाल:आप एकमात्र दलित व्यक्ति हैं जो राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट में शामिल हैं. आप इसे किस रूप में देखते हैं?
जवाब: देखिए, राम की दृष्टि में कोई दलित या गैर दलित नहीं होता है. सभी हरिजन यानी भगवान के जन हैं. मैंने समिति में आने के लिए कोई अर्जी या आवेदन नहीं दिया है. सरकार ने स्वेच्छा से मुझे चुना. जहां तक बात है दलित की नियुक्ति की तो जनता जो सुनना चाहती है उसे सुनाने के लिए सरकार ने दलित शब्द का उल्लेख किया.
सवाल:अगर हिदूं धर्म से इतर लोग मंदिर निर्माण में सहयोग करना चाहें तो क्या ट्रस्ट उनकी मदद लेगा?
जवाब: हमने मदद के लिए आगे वाले हाथ को कभी नहीं रोका. अगर कोई दान देना चाहता है तो स्वागत है. देश में कई ऐसे मिसाल पहले ही हैं. लोगों की मदद से मंदिर की भव्यता और स्वरूप में बढ़ोतरी होगी. इससे राष्ट्रीय एकता मजबूत होगी.