हैदराबाद: भारत की वर्तमान स्थिति किस ओर करवट ले रही है इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि झारखंड और बिहार जैसे गरीब राज्य में आने वाले भविष्य में काफी गंभीर स्थिति होने वाली है, क्योंकि रोजगार तो है ही नहीं और लॉकडाउन हटने के बाद भी दो तीन महीने तक रोजगार के कोई साधन नजर नहीं आ रहे हैं. बहुत जगहों से मजदूर लौट रहे हैं, जिससे लेबर सरप्लस हो जाएगी और बार्गेनिंग पावर कम हो जाएगी. पूरा देश का फोकस लेबर पर ही है, क्योंकि ये लेग रोड पर हैं, लेकिन जो गरीब लोग घरों में है उनपर कम फोकस हो रहा है. नतीजा झारखंड के लातेहार में एक पांच साल की लड़की की भूख से मौत हो जाती है, तब खबरों में आती है. ज्यां द्रेज ने कहा कि बिहार की स्थिति भी ऐसी है वहां भी लगभग 50 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनके पास अपना कोई जमीन नहीं है. ऐसे लोगों को आगे के दिनों में मनरेगा के तहत ही कोई तात्कालिक रोजगार दिया जा सकेगा.
मनरेगा ही सहारा
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों कि क्या रियलिटी है, क्या वहां रोजगार बढ़ाने के लिए कोई काम हो रहा है, इस सवाल पर ज्यां द्रेज ने कहा कि शॉर्ट टर्म के लिए रोजगार गारंटी योजना ही ऐसे साधन हैं जिससे लोगों को राहत दी जा सकती है, इसके लिए रोड मैप तैयार है, कई राज्य राजस्थान, तमिलनाडू और छत्तीसगढ़ इस योजना का अच्छे तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं. अभी अधिकतर लोगों की जिंदगी जन वितरण प्रणाली के सहारे चल रही है, लेकिन आगे तेल, साबून, बच्चों की फीस की जररूत पड़ेगी इसके लिए उन्हें कमाना होगा.
स्थानीय संसाधन पर जोर
मनरेगा तो शॉर्ट टर्म मेजर्स है, क्या आपको लगता है सरकार को इससे आगे बढ़कर काम करने की जरूरत है, क्योंकि आधारभूत ढांचा पूरी तरह ढह गया है. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अलग-अगल राज्यों की स्थिति अगल-अगल है. झारखंड जैसे राज्यों में लोकल बहुत सारे रिसोर्सेज हैं जिसका इस्तेमाल झारखंड के लोगों के लिए किया जा सकता है. यहां हॉर्टिकल्चर, कृषि, जड़ी बूटी जैसे कई साधन हैं जिसमें बहुत संभावनाएं है. बिहार में ये सब सुविधा कम है. वहां ह्यूमैन रिसोर्सेज के माध्यम से काम किया जा सकता है. इस पर कम ध्यान दिया जाता है. पलायन पर ध्यान देने की जरूरत है, इसके लिए केरल का उदाहरण देख सकते हैं.
मनरेगा में चाहिए और फंड
मनरेगा के ड्राफ्ट में आपकी भूमिका रही है, मनरेगा के लिए सरकार ने पहले से अधिक फंड दिया है, आपको लगता है कि लगों को अपने क्षेत्र में रोजगार देने के लिए और अधिक फंड देने की जरूरत है. इस सवाल के जवाब में ज्यां द्रेज ने कहा कि मनरेगा को यदि इमानदारी से लागू किया जाएगा तो और अधिक फंड की जरूरत पड़ेगी क्योंकि इन दिनों इसकी डिमांड बहुत अधिक है.
कृषि मार्केटिंग पर ध्यान
बिहार झारखंड में 70 प्रतिशत से अधिक लोग खेती पर निर्भर रहते हैं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है ऐसे में पॉलिसी में बदलाव कर उनकी स्थिति में सुधार लाने के लिए क्या करने चाहिए? इस पर ज्यां द्रेज ने कहा कि जो किसान वर्ग हैं वो अभी इतना ज्याद प्रभावित नहीं हो रहे हैं, जो किसानी कर रहे हैं उनको बहुत फर्क नहीं पड़ेगा. उन्हें प्रोडक्शन का प्रोबलेम नहीं, मार्केटिंग का प्रोबलेम हो रहा है, इस पर काम करना है. लोगों के परचेजिंग कैपेसिटी को बढ़ाना पड़ेगा.