पटना:अंतरराष्ट्रीयमहिला दिवस पर पद्मश्री से सम्मानित डॉ. शांति जैन से ईटीवी भारत की टीम ने एक्सक्लूसिव बातचीत की. हमारे सभी रिपोर्टरों ने बारी-बारी से उनसे सवाल पूछे, जिनका उन्होंने विनम्रता से जवाब दिया. नीचे पढ़ें महिलाओं के मुद्दे पर शांति जैन ने क्या मुख्य बातें कहीं.
महिलाओं की इज्जत जरूरी-डॉ. जैन
डॉ. शांति जैन ने कहा कि आरंभ से स्त्रियों को लेकर दोयम दर्जा देने की धारणा रही है. यह भी कहा जाता है कि शिक्षा और अर्थ शिक्षा का बोलबाला है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. वैदिक काल से ही महिलाएं बहुत शिक्षित रही हैं. महिलाओं ने राजपाठ चलाया है. महिलाओं ने घर संभाला, घर की मालकिन रही हैं. यह दोयम दर्जे का युग शुरू हुआ है मध्यकाल से, मुगलों के काल से, जब से स्त्रियां पर्दे में रहने लगी और उनका शोषण होने लगा. इसके पहले महिलाएं तमाम काम करती थी. महिलाओं ने कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं. महिलाओं के सम्मान को लेकर डॉ. जैन ने मीडिया की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि आजकल मीडिया महिलाओं से संबंधित खबरों को मसाला बना रही है. महिलाओं से जुड़ी खबरों को चटपटा बनाया जाता है. ऐसा बनाया जाता है कि लोग उस पर बहुत इंटरेस्ट लेते हैं. तो महिलाओं के साथ एक सम्मान की भावना शुरू से होनी चाहिए. आज जो सम्मान की भावना नहीं है इसलिए इतना कुछ शोषण हो रहा है. लेकिन अगर घर में लोग महिलाओं की इज्जत करें, तो शोषण जैसा कुछ नहीं रहेगा.
मीडिया महिलाओं को दे बराबरी का दर्जा- डॉ. जैन
पद्मश्री डॉ. जैन ने कहा कि बहुत सी खबरें तो मीडिया में आ ही नहीं पाती हैं क्योंकि मीडिया तक उनकी बात ही नहीं पहुंचती, अगर पहुंचे तो लोग ध्यान नहीं देते. अगर मान लीजिए अशिक्षित महिला है वह आएगी अपनी कुछ समस्या लेकर, तो आपको उसे दिखाना चाहिए. लेकिन आज महिलाएं जाती हैं रिपोर्ट नहीं लिखा जाता है. यही बात मीडिया में भी होती है. अगर कुछ चाहेंगे तो उनकी इस बात को लोग समझें और उसका निवारण करें. तो वह नहीं हो पाता है. उसकी बात को लोग ध्यान ही नहीं देते हैं. हां जो हाई-फाई हैं बड़े घरानों की महिलाएं हैं उनकी बात सुनी जाती है. लेकिन जो मध्यमवर्गीय है जो निचले तबके की औरत है. उनकी बात कोई नहीं सुनता. तो मीडिया में बराबरी का दर्जा होना चाहिए. समान दर्जा होना चाहिए.
डॉ. जैन ने आगे कहा कि खबरें जो ऊंचे तबके की महिलाएं हैं. उनकी तो आती हैं. उनका काला पक्ष छुपा लिया जाता है. लेकिन निचले तबके के काले पक्ष को उजागर कर दिया जाता है. तो यह भेदभाव नहीं होना चाहिए. एक सवाल का जवाब देते हुए डॉ. जैन ने कहा कि न जाने क्यों मीडिया वाले ऐसी मानसिकता रखते हैं. आपके लिए सब बराबर है छोटा या बड़ा, ऊंची या नीची आपको सब की खबरों को बराबर का दर्जा देना चाहिए. अगर कोई बहुत दुखी महिला है, तो उसकी कोई समस्या है, तो आप लोगों तक पहुंचाएं.
महिला सशक्तिकरण पर बोलीं डॉ. जैन
डॉ. जैन ने सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी का उदाहरण देते हुए कहा कि उनको कोई नहीं दबा सकता. उनकी अपनी विचारधारा है. उनका अपना पॉवर है. देखें महिलाओं में बहुत शक्ति है, सशक्तिकरण यही है. महिलाओं में इतनी शक्ति है, कि घर के लोग ही नहीं उसे पहचान पाते. पति उसको दबाकर रखना चाहता है उन पर जो अंकुश रहता है. उसी भावना को खत्म करना चाहिए. लेकिन वही गांव की जो महिलाएं हैं. इस तरह से उन पर देखते हैं वह ज्यादा होता है. शहरों में जो महिलाएं हैं मुझे नहीं लगता है कि बहुत उन पर कोई दबाव है. इस दबाव से महिलाओं को निकलना चाहिए, क्यों नहीं आवाज उठा सकती हैं कि मुझ में निर्णय लेने की क्षमता है. क्योंकि महिलाओं के निर्णय पर ही गृहस्थी चलती है.
'महिलाओं की शिक्षा जरूरी'
ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ. जैन ने कहा कि महिलाओं को लेकर सभी फील्ड चाहे शिक्षा का क्षेत्र या श्रम क्षेत्र इसपर मीडिया को विशेष रूप से ध्यान देना होगा. महिलाओं की जो भागीदारी है, इस फील्ड में अभी भी आप देखिए क्यों उनको रोजगार मिल रहा है. जो वेतन है इतना कम क्यों होता है. उनका श्रम तो बल्कि ज्यादा है. शारीरिक जो शक्ति है उस हिसाब से उनका श्रम तो ज्यादा होता है, लेकिन उनको कम क्यों मिलता है इस पर आवाज उठनी चाहिए उन्हें समान श्रम समान वेतन मिलना चाहिए.
बदनामी का डर क्राइम को देता है बढ़ावा
दुष्कर्म जैसे मामले पर डॉ. जैन ने खुलकर बात रखते हुए कहा कि लोग आसानी से कह देते हैं कि महिलाएं ऐसे कपड़े पहनती हैं, इसलिए दुष्कर्म होता है. लेकिन जब मासूम बच्चियों के साथ ऐसी वारदात होती है, तब वो उनका ये तर्क कहां चला जाता है. डॉ. जैन ने कहा कि अब बहुत सी चीजें बदनामी के डर से दबा दी जाती हैं. लेकिन इसको दबाना नहीं चाहिए.
दुष्कर्मी का चेहरा सार्वजनिक हो- डॉ. शांति जैन
दुष्कर्म के मामले में डॉ. जैन ने आगे कहा कि ऐसी वारदातों में पीड़िता का नाम गोपनीय रखना अच्छी बात है. लेकिन दोषियों का चेहरा क्यों छिपाया जाता है. उसका चेहरा तो उजागर होना चाहिए. महिलाओं के दुष्कर्म के क्रम में पुरुषों को पकड़ा जाता है. आपने बराबर देखा है कि दोषियों का चेहरा ढक देते हैं. दुष्कर्मी का चेहरा न ढका जाए.