पटना:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जल संरक्षण को लेकर जल जीवन हरियाली योजना (Jal Jeevan Hariyali Scheme) की शुरुआत की है ताकि भूगर्भीय जल स्तर नीचे नहीं जाए. लेकिन ऐसा देखा जा रहा है कि इन योजनाओं के माध्यम से जल का संरक्षण नहीं हो पा रहा है. यही कारण है कि लाखों लीटर पानी हर दिन बर्बाद हो रहा है. वहीं बहुत से ऐसे भी लोग है जिन्हें पीने का पानी नहीं मिल रहा है.
ये भी पढ़ें:जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत चलाए जा रहे 11 सूत्री कार्यक्रम- सीएम नीतीश
राजधानी पटना में जल परिषद और निर्माण एजेंसियों की लापरवाही की वजह से लाखों लीटर पीने का पानी हर दिन बर्बाद हो रहा है. नगर निगम और निर्माण एजेंसी के जल आपूर्ति शाखा के बीच तालमेल का अभाव होने के चलते पीने योग्य पानी सीधे नाले में बह रहा है. ऐसा कहीं एक जगह नहीं बल्कि पटना के विभिन्न वार्डों में देखने को मिल रहा है. एसके पुरी, लोदीपुर, गर्दनीबाग रोड नंबर 1, रोड नंबर 4 के साथ ही कौटिल्य नगर इलाके में भी पीने का पानी यूं ही बर्बाद हो रहा है.
राजधानी पटना में पानी बर्बादी का मुख्य कारण पाइपलाइन का जर्जर होना है. शहर में लोगों को पानी पिलाने के लिए जो पाइप लाइन बिछाई गई है. वह तकरीबन 5 दशक पुरानी है. पुरानी पाइप लाइन को बदलने और नई के विस्तार की योजना चलाई तो जा रही है. लेकिन इसकी गति काफी धीमी है. शहर की आबादी को ध्यान में रखकर पहले 1252 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई गई थी. लेकिन बढ़ती आबादी को ध्यान में रखकर अब दो हजार किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने है. लेकिन रफ्तार धीमी होने की वजह से कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. यही वजह है कि हर साल 5475 एमएलडी पीने का पानी नाली में बह जा रहा है.
जर्जर पाइप की वजह से हर दिन लाखों लीटर पानी की हो रही बर्बादी को लेकर जब हमने पटना नगर निगम के स्थानीय जनप्रतिनिधि इंद्रदीप चंद्रवंशी से बात कि तो उन्होंने कहा कि पाइप लाइन पुरानी होने के कारण पानी बर्बाद हो रहा है. नगर विकास विभाग की ओर से कोई मदद नहीं कर रहा है. जिसके चलते पाइप लाइन को सुधारने में समय लग रहा है.
"पटना शहर में जितनी भी पाइप लाइन बिछाई गई है, वह सभी पुरानी है, जर्जर हो चुकी है. जिसकी वजह से पानी की बर्बादी हो रही है. पटना नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 75 वार्डों को 262 एमएलडी पानी की सप्लाई करते हैं. पुरानी पाइप की वजह से 10 से 15 एमएलडी पानी हर दिन बर्बाद हो रहा है. ऐसे में इसे दुरुस्त करने के लिए भी हम लोग लगे हुए हैं. 111 पुराने पंप के सहारे शहरवासियों को पानी पिलाने का कार्य चल रहा है. निगम क्षेत्र में इसके अलावा 11 पंप का निर्माण भी करवाया गया है. नगर विकास विभाग हमारी कोई मदद नहीं कर रहा है. जिसकी वजह से जर्जर पाइप को सुधारने में काफी समय लग रहा है."- इंद्रदीप चंद्रवंशी, वार्ड सदस्य, पीएमसी
ये भी पढ़ें:CM नीतीश कुमार ने ट्वीट कर किया दावा- बिहार में अब हरित आवरण 15 प्रतिशत
बता दें कि जर्जर पाइप लाइन के कारण पानी की गुणवत्ता में भी कमी आ गई है. हमेशा पाइप फट जाता है. अधिकांश पाइपलाइन पुरानी है. बोरिंग के प्रेशर के कारण भी पाइप लाइन फट जाते हैं. बारिश के मौसम में पाइपलाइन फटे में होने के कारण गंदा पानी प्रवेश कर जाता है. हर दिन लगभग 15 एमएलडी (MLD) पानी की बर्बादी होती है. महीने में 450 एमएलडी और साल के 5475 एमएलडी पानी की बर्बादी हो रही है. यदि इतने पानी को बचाया जाए तो निश्चित ही 40 हजार से अधिक आबादी को शुद्ध पेय जल पिलाया जा सकता है.