पटना: सीएम नीतीश कुमार चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में खुद को प्रोजेक्ट करने की तैयारी में लगे हैं. लेकिन, मिशन 2020 से पहले बीजेपी और जेडीयू में काफी तकरार देखने को मिली. सीट शेयरिंग को लेकर दोनों दलों के नेता कई बार आपस की बयानबाजी भी देखी गई. लेकिन, कहीं न कहीं बीजेपी और जेडीयू में सीएम पद को लेकर अभी भी तल्खी जारी है.
साल 2019 के दौरान बीजेपी और जेडीयू के नेताओं के बीच तल्खी देखी गई. कई मुद्दों को लेकर बीजेपी और जेडीयू नेता आमने-सामने हुए. धारा 370, तीन तलाक और नागरिकता संशोधन अधिनियम पर शुरुआती दौर में जेडीयू ने विरोध भी किया. लेकिन, अंतिम क्षणों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर बिल का समर्थन करने का फैसला लिया.
CM फेस को लेकर विवाद
मालूम हो कि एनडीए के अंदर सीएम चेहरे को लेकर भी विवाद रहा. बीजेपी के कुछ नेता मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने की बात करते रहे हैं. साथ ही सुशासन पर भी नेताओं ने कई सवाल खड़ा किए. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, विधान पार्षद संजय पासवान, विधान पार्षद सच्चिदानंद राय और रामेश्वर चौरसिया सरीखे नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं. वहीं, साल के अंत में जेडीयू ने भी विवाद को तूल दे दिया.
क्या है पीके का फॉर्मूला?
जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने सीट शेयरिंग को लेकर बवाल खड़ा कर दिया. प्रशांत किशोर ने कहा कि बड़े भाई की भूमिका में जेडीयू ही रहेगा और सीट शेयरिंग पर फैसला 2010 के विधानसभा चुनाव को आधार बनाकर किया जाना चाहिए.